Rekha, An Ekal Teacher In 2005, Is In UP Police Today

Text in English given below. - Editor

पड़ोसी मैत्री देश नेपाल सीमा से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी में बसा उत्तरप्रदेश लखीमपुर का एक गाँव बेला परसुआ जो लखीमपुर जिला केंद्र से 80 किलोमीटर दूरी पर बसा है। इतना सुदूर गाँव जो एकदम पड़ोसी मैत्री देश नेपाल की सीमा पर जहां का वातावरण पूरा नेपाल जैसा ही है, इस गाँव में सत्र 2005 से एकल विद्यालय का प्रारम्भ हुआ, उस समय इस गाँव मे ग्राम की बैठक में एकल विद्यालय की संकल्पना एकल के सेवाव्रती कार्यकर्ता ने रखी, आव्हान हुआ कि कौन है जो इस चुनोती को स्वीकार करेगा , इस समय वहां 10 वी पढ़ी बेटी ने इस शिक्षा के दीप से गाँव अशिक्षा, रूपी अधंकार को मिटाने एवं गाँव के समग्र विकास के लिए कोई एक साहसी कार्यकर्ता बनकर इन कामों की जिम्मेदारी इस बेटी ने लिया जिसका नाम था रेखाकुमारी एक छोटे किसान चुन्नाराम राणा की बेटी घर में 2 भाई एक बहिन है जिनमें रेखाकुमारी सबसे बड़ी है। इनकी माता का नाम रुकमणी देवी है। इस ग्राम के ग्राम प्रमुख बालकराम जी के सहयोग से आचार्य बनकर एकल अभियान से जुड़ी,इनके समर्पित सेवा के द्वारा इनकी निष्ठा समर्पण को देखते हुए 2 वर्ष में ही सेवाव्रती के रूप में संच प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई।रेखाकुमारी ने बताया कि मेरे कार्यो को देखते हुए संगठन ने  2008 में संकुल प्रशिक्षक, 2010 में अंचल आरोग्य प्रशिक्षक, 2011 में भाग आरोग्य प्रशिक्षक ऐसे विभिन्न दायित्वों का सफलता पूर्वक निर्वाहन करते हुए साथ ही पुलिस की तैयारियां भी में करती थी, पहले मुझे एकल के द्वारा संचालित पी0डी0सी वर्ग सूर्या फाउंडेशन दिल्ली में प्रशिक्षण मिला जिसमें मेरा हौसला बढ़ा , इस दौरान दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मिला था ।एकल कार्यो को अपने जीवन में उतारा साथ ही यह सब करते करते मन में देश भक्ति का जज्बा भी उमड़ पड़ा में पूरी इच्छा शक्ति के साथ पुलिस की तैयारी करती रही, सौभाग्य से  2014 में उत्तरप्रदेश में पुलिस भर्ती आई मैंने फार्म भरा जिसमें मेरा चयन हो गया। में वर्तमान में उत्तरप्रदेश गोंडा जिले के कटरा बाजार थाना में पदस्थ हूँ। मुझे एकल ने देश भक्ति के भाव भरे, वो कभी नही भूलूंगी,मेरा एकल मेरी पहचान है, पहले मुझे बहुत डर लगता था किंतु मेरा जो साहस जज्बा बढ़ाया उसमें एकल का बहुत बड़ा योगदान है। मैंने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी कानपुर से M.A समाजशास्त्र की पढ़ाई पूरी किया है।

 

This is the story of Rekha Kumari from the village Bela Persua in Lakhimpur district of Uttar Pradesh. This village is some 80 km from Lakhimpur and is just a km away from the Nepal border.

This is the story of Rekha, who started teaching in the Ekal Vidyalaya in the village when it started in 2005. She is now recruited in the state Police department and posted at Katra Bazar in Gonda district.

Rekha had studied till class X, and she took the responsibility of educating other children there and ensure their development by joining as a teacher in Ekal. Daughter of Rukmani Devi and Chunnaram Rana, a farmer, she has another younger sister and two younger brothers.

Impressed by her dedication to the work, Ekal gave her the responsibility of sankul (group of 30 Ekal Vidyalayas) trainer in 2008. She was further promoted and given more responsibility. She was selected to be trained further by Ekal’s programme of Personality Development at the Surya Foundation in Delhi.

With her confidence gradually increasing and her desire to serve the nation, she opted to sit for the recruitment examination of Uttar Pradesh Police, and was selected. She has even completed her Masters in Social Science from the Bundelkhand University, Kanpur.

She proudly says that she will never forget her days in Ekal where she got the needed confidence and where she was motivated to work for development of the nation.

News Source
Ekal

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