In 2nd Phase Water Conservation Prog in 4200 Raj Villages

Bharat Mahan

प्रदेश को जल-आत्मनिर्भर बनाने एवं वर्षा जल की बूंद-बूंद को संरक्षित/संग्रहित करने के लिए संचालित मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के प्रथम चरण की अभूतपूर्व सफलता के बाद द्वितीय चरण का शुभारम्भ मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे झालावाड़ एवं बारां से 9 दिसम्बर को करेंगी। वहीं शेष जिलों में मंत्री एव प्रभारी सचिवों की उपस्थित में शुभारंभ समारोह आयोजित होंगे। दूसरे चरण में 4 हजार 2 सौ गांवों में 1 लाख 40 हजार जल संरक्षण के कार्य किये जाएंगे। समस्त कार्य 31 मई तक पूर्ण करने का लक्ष्य दिया गया है। पहली बार अभियान में गांवों के साथ शहरी क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। जिसके तहत प्रत्येक जिले के दो-दो शहरी क्षेत्रों में परम्परागत जल स्रोत बावड़ियों का जीर्णाेद्धार कर पुनर्जीवित किया जाएगा साथ ही वर्षा जल को संग्रहित करने के लिए रूफटॉप वाटर हार्वेस्टिंग बनाये जायेंगे। लगाये जाएंगे एक करोड़ पौधे मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत किये जाने वाले जल संरक्षण कार्याें के आस-पास वृक्षारोपण का कार्य मानसून के दौरान किया जाएगा। जिसमें लगभग एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है। पौधों की देख-रेख एवं सिंचाई की उचित व्यवस्था की गई है। विद्यालयों में बनेंगे टांके अभियान के तहत राजकीय विद्यालयों में वर्षा जल को संग्रहित करने के लिये टांके बनाये जायेंगे। इस पानी का उपयोग शौचालय तथा पौधों की सिंचाई में किया जा सकेगा। फसल पद्धति में बदलाव किसानों को सिंचाई की आधुनिक तकनीक ड्रिप एवं फव्वारा सिंचाई से जोडेंगे। साथ ही कम पानी की फसलों को बढ़ावा देने के लिये किसानों को फसल पद्धति में बदलाव लाने के लिये जागरूक किया जायेगा। अभियान में स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों, भामाशाहों तथा विभिन्न संस्थाओं को जोड़ने के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए प्रस्तावित कार्याें की सघन मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है। जिओ टेगिंग, वेब-पॉइन्ट मोबाइल एप जैसी आधुनिक तकनीकों का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। सर्वे रिपोर्ट, डी.पी.आर तैयार करने तथा प्रगति रिपोर्ट जैसी समस्त कार्यवाही ऑनलाइन संपादित की जा रही है। अब नहीं सतायेगी अकाल की पीड़ा प्रदेश की विषम भौगोलिक स्थिति एवं मानसून की अस्थिरता के कारण अनावृष्टि, सूखा, अकाल की परछाई मंडराती रहती है। जिसके चलते परम्परागत जल स्रोत कुएं, बावड़ी, बांध, तालाब, रीत जाते हैं। भू-जल स्तर असामान्य रूप से नीचे गिरता जाता है और खेती बाड़ी ही क्या पेयजल का भी संकट मण्डराने लगता है। इन विषम परस्थितियों से छुटकारा दिलाकर राज्य को जल आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 27 जनवरी, 2016 से मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के प्रथम चरण की शुरूआत की गई थी। अभियान के प्रथम चरण में 3 हजार 529 गांवों को शामिल किया गया, जिनमें समयबद्ध कार्य योजना संचालित कर 94 हजार से अधिक कार्यों को मानसून से पूर्व पूरा किया गया। मानसून आने पर सभी जल स्रोत वर्षा जल से लबालब हुए और इन क्षेत्रों में भू-जल स्तर में वृद्धि हुई। मानसून के द्वौरान इन जल स्रोतों के आसपास 28 लाख से अधिक पौधे लगाकर प्रदेश को हराभरा बनाने का अहम कार्य किया गया है। इसे जन अभियान बनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाकर आम तथा खास सभी को जोड़ने के सार्थक प्रयास किये गये है। अभियान की सफल क्रियान्विती के फलस्वरूप देश के अन्य राज्यों ने ही नहीें अपितु दूसरे देशों ने भी इसे मॉडल के रूप  में अपनाने में रूचि दर्शाई है। अभियान में आधुनिक तकनीकी का भरपूर उपयोग किया गया। जिसे देखते हुए राज्य एवं केन्द्र सरकार ने अन्य योजनाओं में भी जिओ टेगिंग को अपनाया है। जल स्वावलम्बन अभियान की रूपरेखा फोर वाटर कान्सेप्ट (चार जल संकल्पना) पर तैयार की गई है। प्रथम चरण में सम्पादित कार्यो से लगभग 11 हजार 170 एमसीएफटी वर्षा जल को संग्रहित किया गया। जिससे 41 लाख आबादी तथा 45 लाख पशुओं को लाभ मिला है। सम्बन्धित क्षेत्रों में पेयजल ही नहीं कृषि के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध हुआ है। जिसका प्रभाव रबी की फसल में प्रत्यक्षतः दिखाई देगा। अभियान का उद्देश्य व्यर्थ बहते वर्षा जल को रोकना तथा उपलब्ध जल का उचित प्रबन्धन कर सदुपयोग सुनिश्चित करना है। खेती में पानी का सर्वाधिक उपयोग होता है, इसलिए खेती में पानी की बचत की आध्ुानिक तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। ड्रिप एवं फव्वारा सिंचाई को अपनाने के लिए किसानों को जागरूक करने पर भी जोर दिया गया है। प्रदेश की जलवायु एवं पानी की उपलब्धता के अनुसार कम पानी की फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। थर्ड पार्टी जांच का प्रावधान अभियान के तहत किये गये जल संरक्षण के कार्यों में गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया गया है। जिसकी स्वतन्त्र (थर्ड पार्टी) एजेन्सी के द्वारा जांच करवाने का प्रावधान किया गया है। 

News Source
DIPR Rajasthan

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