Zero-Investment Innovations for Education Initiatives

Zero-Investment Innovations for Education Initiatives

ZIIEI is an initiative of Sri Aurobindo Society. Working for over 55 years to transform Education, Sri Aurobindo Society has identified that the Zero Investment Innovations at grassroots in India can be one of the most game-changing accelerators in improving the quality of education.

ZIIEI has been facilitating wide-spread adoption of the most promising “zero-investment” innovations in Education, and helping the State to solve the toughest challenges of making education more effective and meaningful. Presently, it is proving to be a significant step in implementation of the vision of the State Government to establish UP as a role model state of Educational Transformation.

The ZIIEI platform brings together the scattered, isolated and yet-to-be–recognised individual innovations, and is making these collective and inclusive. Each school, educator, and student is intended to be part of a mutually-sustained ecosystem to address the gaps in education—with simple tools—and will earn recognition by the Education Community and the State Government for their successful ideas.

ZIIEI is inclusive innovation at its best also because of the fact that it brings together the government, the schools, and educators, non-governmental and corporate players. While ZIIEI, evolved in response to critical educational needs, has been designed under the guidance of the UP State Government, it is funded by HDFC Bank— a collaboration model that goes beyond even public-private partnership (PPP) to facilitate the best of ideas, research, knowledge-sharing and cross-sector collaborations.

खेल खेल में शिक्षा

बच्चे जीवन की कई महत्वपूर्ण क्रियाएं जैसे कि भोजन करना, चलना और बोलना खेल-खेल में स्वतः ही सीख जाते हैं. खेल-खेल में सीखना और समझना बच्चों के लिए स्वाभाविक प्रक्रिया है. ऐसा करने से उन्हें पढ़ाई आनन्दमयी लगने लगती है, और वह सहयोग, समन्वय, मित्रता, दया, करूणा, अनुशासन, प्रेम, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के

भारत एक, भाषा अनेक

हमारे देश में एक प्रसिद्ध कहावत है `एक कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी`। अनेक भाषाओं, बोलियों और शैलियों के कारण ग्रामीण भारत के विद्यालयों में शिक्षकों को एक विशेष समस्या का सामना करना पड़ता है. अक्सर देखा गया है कि छात्रों की स्थानीय बोली शिक्षक समझ नही पाते. छात्र भी भाषा बोध में कमी के कारण

Human Values

What is the true role of education in a person’s life? If we say that it is to equip a person with the knowledge and skills to be able to perform well in the world and to have a fruitful career, we will be only touching the tip of the iceberg. The true role of education is to teach a person how to

छात्र प्रोफाइल

हमारी शिक्षा प्रणाली में परीक्षाओं के प्राप्तांकों पर छात्र-छात्राओं की सफलता-असफलता का मूल्यांकन होता है. हालांकि प्राथमिक शिक्षा में काफी सुधार हुए हैं लेकिन माध्यमिक शिक्षा पद्धति में लार्ड मैकाले का ही अनुसरण हो रहा है. ऐसे में जरूरी है कि शिक्षा छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिये हो और यदि

सामुदायिक सहभागिता

ग्रामीण परिवेश में सबसे अधिक समस्या छात्रों को विद्यालय तक ले जाने की है. अभियान चलाकर यदि छात्रों का विद्यालय में नामांकन भी करा दिया जाता है, तब भी विद्यालय में छात्रों के गैरहाजिर रहने की समस्या बनी रहती है. इसके अतिरिक्त आमतौर पर अशिक्षित या कम पढ़े-लिखे माता-पिता विद्यालय तक आने में संकोच करते

कला-शिल्प से सर्वांगीण विकास

अगर आप छात्र को रचनात्मक एवं नवाचारी बनाना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि उसमें पाठ्येत्तर विषयों के प्रति रूचि उत्पन्न की जाये. ऐकेडमिक शिक्षा जहां छात्र को ज्ञान के साथ सर्टिफिकेट और डिग्री होल्डर बनाती है, वहीं उसकी सृजनात्मक अभिरूचि उसे बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी बनाती है. छात्र के सम्पूर्ण

अभिनव शिक्षण तकनीक

प्रत्येक छात्र को शिक्षित करने के उद्देश्य और शिक्षा के प्रति आकर्षण उत्पन्न करने के लिये सरकार ने अनेक सुविधाएंं उपलब्ध करायी हैं. सरकारी विद्यालयों मेंं पूर्ण रूप से निःशुल्क शिक्षा के साथ पाठ्य पुस्तकें, मध्यान्ह भोजन, छात्रवृति, शिक्षण अधिगम सामग्री उपलब्ध कराने के लिये सरकार ने अपने संपूर्ण

भविष्य सृजन

प्राथमिक विद्यालय में छात्र कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं और मिट्टी को आकार देना शिक्षक का कर्तव्य है. सत्य यही है कि शिक्षकों के सृजन से ही छात्रोंं का भविष्य सवंरता है. शिक्षकों का दायित्व है कि वह छात्र के मस्तिष्क में उसकी रूचि के अनुसार उनमें भविष्य निर्माण के बीज रोपित करें. छात्र जब प्राथमिक

दैनिक बाल अखबार

छात्रों में सृजनात्मक क्षमता को विकसित करने, उनमें अभिव्यक्ति की क्षमता का विस्तार करने, कला, संस्कृति व साहित्य के प्रति अभिरूचि उत्पन्न करने, देश-दुनिया-राज्य-समाज की स्थितियों से साक्षात्कार कराने के लिये 'बाल अखबार' की उपादेयता निश्चित तौर पर अतुलनीय है. इस नवाचार के माध्यम से छात्रों का पठन

बाल संसद - 'मेरा विद्यालय मेरी नजर से'

छात्रों का सर्वांगीण विकास शिक्षा का लक्षय है, जिसके लिये दायित्व बोध उत्पन्न करने के साथ उनमें लोकतंत्र के प्रति निष्ठा भावना का प्रसार करना आवश्यक है. यदि छात्र सामूहिकता के महत्व को समझ जायेंगे, तो जीवन भर उनमें अहं की जगह सामुदायिक सहभागिता की भावना जागृत होगी. कदम से कदम मिलाकर चलना सीखने के

खेल-खेल में शिक्षा

स्वाभाविक रूप से बचपन खेल-कूद के लिये होता है. छात्रों की गतिविधियां उनके परिवेश और रूचि पर निर्भर करती है. यही कारण है कि किताबी ज्ञान उन्हें अरूचिकर लगता है. हर समय शिक्षक द्वारा पढ़ाये गये पाठ, होम वर्क, परीक्षा आमतौर पर छात्रों को बोझिल लगने लगती है. संभव है, ऐसे में किताबों और विद्यालय से उसे ऊब

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