भारतीय परम्पराओं में पहले बच्चों के मानसिक शारीरिक विकास के लिए खेल कूद को अहम हिस्सा माना जाता था। आजकल गाँवों में खिलाड़ियों की संख्या कम निकल रही है , क्योंकि उनको खेलों के प्रति रुचि पैदा नही कर पा रहे है। हम आधुनिक जीवन में योग ,खेलकूद को नजर अंदाज करने लगे हैं।
भारत में खेल प्राचीन काल से आधुनिक काल तक परिवर्तन की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरे हैं। कबड्डी, शतरंज, खो-खो, कुश्ती, गिल्ली-डंडा, तीरंदाजी आदि परंपरागत खेलों के अलावा विभिन्न देशों के संपर्क में आने से भारत में क्रिकेट, जूडो कराटे, टेनिस, बैडमिंटन आदि खेलों का भी खूब प्रचलन हुआ है। भारत के प्रमुख खेल कबड्डी, क्रिकेट, बैडमिंटन, जूडो कराटे, खो-खो, शतरंज आदि हैं।
जिन्दगी में अक्सर खेल के महत्व को हम ध्यान नहीं देते हैं । खेल में भाग लेने से सबसे पहले तो हमारे स्वास्थ्य पर उत्तम प्रभाव पड़ता है । भागने से या खेलने से हमारी सांस लेने की योग्यता 2 या 3 गुना बढ़ जाती है। इसके अलावा, हमारे शरीर में हमारे रक्त का परिसंचरण भी सुधर जाता है । खेलों में भाग लेने से, हमारा दिमाग भी ठंडा रहता है । अगर हम कभी काम से बहुत थक जाएँ या काम के बोझ से छूटना ढूंढ पाये तो फूटबाल की गेंद को लात मारकर हम अपने दिमाग के हर भाग पर फिर से काबू पा सकते हैं । स्वस्थ रहने के अलावा, खेल में भाग लेने से हम दोस्ती और विश्वास के सहानुभूतियों को बढ़ा सकते हैं ।
इसी प्रकार एकल विद्यालय के पूर्व छात्र चंदन कुमार, पिता श्री जनार्दन यादव, उम्र 23 वर्ष, निवासी- मुज्जफरपुर संच शिकारगंज(जागेश्वर धाम), काशी, पूर्वी उत्तर प्रदेश अपनी आप बीती बताते है कि - "उनके गाँव में एकल विद्यालय चलता है, मैं सन 2004 से 2007 तक एकल विद्यालय में पढ़ा, उस समय एकल विद्यालय के आचार्य श्री प्रभु पाल जी थे, वो प्रतिदिन शाम को विद्यालय लगाते थे। मेरा मन स्कूल जाने का बिल्कुल नहीं होता था लेकिन आचार्य जी मेरे घर बार बार आकर मुझे ले आते। खेलकूद, कहानी बताते थे। धीरे धीरे मुझे अच्छा लगने लगा। फिर में खुद जल्दी ही स्कूल आने लगता था। खेलकूद में मुझे बिल्कुल भी रुचि नहीं थी किंतु आचार्य जी ने मेरा जज्बा बढ़ाया। बार बार आग्रह किया करते थे कि तुम्हे खेलकूद में आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आता था। बार बार आग्रह पर मेरा जज्बा बढ़ने लगा। कराटे का अभ्यास करने लगा। मैंने 2013 में कराटे की रुचि इतनी बढ़ गई कि आज मैंने इंटरनेशनल कराटे खेलने का मुकाम हासिल किया। यह तो केवल एकल के जज्बा से ही मिला। मैैं धन्य हूँ, मैंने जिला, प्रदेश, देश ही नही अपितु इंटरनेशनल स्पर्धा में भाग लिया। फरवरी 2017 में इंटरनेशनल कराटे के लिए विशाखापटनम गया जहाँ मैंने सिल्वर मैडल जीता। रजक पद पाकर मेरा ह्रदय एकल को धन्यवाद दे रहा था। यदि एकल नही होता तो मेरा जज्बा नही बढ़ता। इतना ही नही, 3rd इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप 2018 काठमांडू नेपाल में संपन्न हुई जिसमें मैंने ब्रांज मैडल जीता। अब मेरा हौसला और भी अधिक बढ़ गया है। मुझे 10 गोल्ड मैडल जीतना ह।, यह सब एकल के माध्यम से ही सम्भव हो सका। इसका सारा श्रेय में एकल को देता हूँ।"
चंदन कुमार ने आई टी आई फिटर से 86% अंको से पास किया है, उसके बाद BA की पढ़ाई बाबा जागेश्वर नाथ महाविद्यालय, मुज्जफरपुर, से पूर्ण किया। वर्तमान में इस वर्ष MA समाजशास्त्र में दाखिला लेने वाले हैं। खेल के अलावा जो समय बचता है उसमें गाँव के सर्वजीत सिंह शिक्षण संस्थान में बच्चों को पढ़ाते है। बच्चों को पढ़ाने में इन्हें बढा आनंद आता है। यहाँ कक्षा 6 से लेकर 8 तक के बच्चों को साइंस, हिंदी, इंग्लिश पढ़ाते हैं।
इस प्रकार एकल अभियान के द्वारा निरंतर समाज में सफलता की कहानियां मिल रही है, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की अनूठी मिसाल कायम करने में एकल ने कोई कसर नही छोड़ी है, अब इतना ही नही देश के 4 लाख गाँवो के सम्पूर्ण स्वराज अभियान को लेकर विचारधारा की क्रांति लाने के लिए प्रयासरत हैं, गाँधी जी के सपनोँ का भारत एवं डॉ हेडगेवारजी के सपनों का वैभवशाली राष्ट्र बनाने की दिशा में बढ़ चले है,। जिनके परिणाम दिखाई देने लगे है।
आज एकल विद्यालय 90,000 से अधिक गांवो में कार्यरत है। अधिक जानकारी के लिए www.ekal.org
Ekal alumni won medals at International Karate events for India
Chandan Kumar was not interested in studies. Further to the repeated invites by Ekal Acharya, Shri Prabhu Pal of his village - Jageshwar Dham in eastern Uttar Pradesh, who went to his house everyday, Chandan joined Ekal Vidyalaya. Seeing Chandan’s interest in sports, Shri Prabhu Pal shared a lot of success stories in sports, with him. This inspired Chandan to take up Karate as his sport. He trained himself well and won Silver medal at an International Event in 2013, representing India. He later won a bronze in Nepal International Karate event for India. He dedicate this success to Ekal Vidyalaya but for which he would not have achieved this, he feels.