विश्व स्तर पर भारत पवन ऊर्जा के क्षेत्र में चौथे, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में पांचवें और नवीकरणीय ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता के मामले में पांचवें पायदान पर
कुल विद्युत उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 के 6 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 10 प्रतिशत हो गई
नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों में अतिरिक्त निवेश वर्ष 2022 तक लगभग 80 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा, जबकि वर्ष 2023-2030 अवधि के दौरान 250 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में 2018-19 की आर्थिक समीक्षा पेश की। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संसाधन है। समीक्षा में यह भी कहा गया है, ‘इन संसाधनों का दोहन ऊर्जा सुरक्षा, एक मजबूत अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन में कमी के साथ ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव लाने और सामाजिक समानता हासिल करने संबंधी भारत के विजन का एक हिस्सा है।’ समीक्षा में कहा गया है कि वैसे तो ऊर्जा तक लोगों की पहुंच बढ़ाना आवश्यक है, लेकिन इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि विकसित देशों में इस वजह से पर्यावरण को ऐतिहासिक रूप से हुई भारी क्षति के बजाय यह भारत में पर्यावरण को अपेक्षाकृत कम नुकसान के साथ हासिल हो।
आर्थिक समीक्षा में यह बात रेखांकित की गई है कि भारत को भी दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रमों को लागू करने वाले देशों में शुमार किया जाता है। समीक्षा में यह बताया गया है कि भारत में समग्र विद्युत मिश्रण या उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी निरंतर बढ़ती जा रही है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार, वर्ष 2018-19 में कुल विद्युत उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा (25 मेगावाट से अधिक पनबिजली को छोड़कर) की हिस्सेदारी लगभग 10 प्रतिशत आंकी गई, जबकि वर्ष 2014-15 में यह हिस्सेदारी लगभग 6 प्रतिशत ही थी। समीक्षा में कहा गया है, ‘अब विश्व स्तर पर भारत पवन ऊर्जा के क्षेत्र में चौथे, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में पांचवें और नवीकरणीय ऊर्जा की समग्र स्थापित क्षमता के मामले में पांचवें पायदान पर पहुंच गया है। नवीकरणीय ऊर्जा की संचयी स्थापित क्षमता (25 मेगावाट से अधिक पनबिजली को छोड़कर) 31 मार्च, 2014 के 35 गीगावाट से दोगुनी से भी अधिक होकर 31 मार्च, 2019 तक 78 गीगावाट (जीडब्ल्यू) के स्तर पर पहुंच गई है। वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा आधारित विद्युत की स्थापित क्षमता हासिल करना है।’
आर्थिक समीक्षा में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा के संयंत्रों (बिना पारेषण लाइनों वाले संयंत्र) में अतिरिक्त निवेश आज के मूल्यों पर लगभग 80 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा और वर्ष 2023 से लेकर वर्ष 2030 तक की अवधि के दौरान तकरीबन 250 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी। अत: वार्षिक आधार पर अगले दशक के दौरान एवं उसके बाद 30 अरब अमेरिकी डॉलर से भी अधिक के निवेश अवसर प्राप्त होने की आशा है।
आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि वैसे तो नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता कई गुना बढ़ा दी गई है, लेकिन जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा के आगे भी बिजली का एक महत्वपूर्ण स्रोत बने रहने की संभावना है।