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मिशन चंद्रयान-3 पर गतिविधि-आधारित सहायता सामग्री के साथ वेब पोर्टल 'अपना चंद्रयान' शुरू

इस कार्यक्रम में मिशन चंद्रयान-3 पर 10 विशेष मॉड्यूल भी लॉन्च किए गए

चंद्रयान-3 की सफलता 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है: श्री धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज, नई दिल्ली में वेब पोर्टल 'अपना चंद्रयान' लॉन्च किया जिसमें मिशन चंद्रयान-3 पर स्कूली छात्रों के लिए गतिविधि-आधारित सहायता सामग्री जैसे कि क्विज़, पहेलियां आदि उपलब्ध हैं। इसे शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) के तत्वावधान में एनसीईआरटी द्वारा विकसित किया गया है। उन्होंने चंद्रयान-3 पर 10 विशेष मॉड्यूल भी जारी किए, जो इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में व्यापक रूप से बताते हैं - जिसमें वैज्ञानिक, तकनीकी और सामाजिक पहलुओं के साथ-साथ इस मिशन में शामिल वैज्ञानिकों की भावनात्मक यात्रा और टीम भावना के बारे में भी बताया गया है।

इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. श्रीधर पणिक्कर सोमनाथ ने सम्मानित अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस कार्यक्रम में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव श्री संजय कुमार, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री के. संजय मूर्ति, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के श्री अतुल कुमार तिवारी, एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर टी. जी. सीताराम, यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार, एनसीईआरटी के निदेशक, डॉ. दिनेश प्रसाद सकलानी, शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी, गणमान्य लोग और छात्र भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में चंद्रयान-3 की यात्रा पर एक लघु फिल्म दिखाई गई। फोटो फ्रेम के रूप में छात्रों द्वारा रचनात्मक अभिव्यक्तियां मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि को प्रस्तुत की गईं और चंद्रयान-3 पर छात्रों द्वारा कविता पाठ किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री प्रधान ने चंद्रयान-3 की सफलता को 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक बताया, जिसने देश के बच्चों को सबसे अधिक प्रेरित किया है। उन्होंने छात्रों के बीच स्व-शिक्षा की सुविधा प्रदान करने और उसे अधिक सुलभ बनाने के लिए इस वेब पोर्टल का एपीपी विकसित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 ने छात्रों में आत्मविश्वास जगाया है और उन्हें प्रौद्योगिकी को समझने के लिए प्रेरित किया है, जिससे उनमें वैज्ञानिक चेतना विकसित करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने छात्रों को प्रेरित करने और उन्हें आत्मविश्वास से लैस करने के लिए डॉ. सोमनाथ को धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ. सोमनाथ से चंद्रयान 3 की कहानियों को देश के बच्चों तक पहुंचाने का अनुरोध किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा डॉ. सोमनाथ को सौंपे गए कार्यों के बारे में भी विस्तार से बताया, जिसमें कक्षीय अंतरिक्ष केन्द्र की स्थापना, अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण वाहनों का विकास आदि शामिल हैं। उन्होंने उनसे छात्रों के लिए विज्ञान को मनोरंजक बनाने का भी आग्रह किया।

श्री प्रधान ने आज शुरू किए गए मॉड्यूल को सभी कक्षाओं के लिए वैकल्पिक बनाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण, कोविड-19 टीकाकरण, जी20 की भारत की अध्यक्षता आदि सहित 14 विभिन्न विषयों पर और भी मॉड्यूल तैयार किए जायेंगे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान साझा करने वाला विश्व गुरु बनेगा।

श्री प्रधान ने कहा कि चंद्रयान 3 आत्मनिर्भर भारत की शक्ति को भी दर्शाता है। उन्होंने अंतरिक्ष नीति को संशोधित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस नीति ने देश को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाया है। उन्होंने एनसीईआरटी को ऐसी सामाजिक कहानियों को सामने लाने का सुझाव दिया जो शिक्षा को सुलभ, किफायती, गुणात्मक बनाए तथा लैंगिक समानता लाए। उन्होंने उनसे ऐसा करने में इसरो जैसे संगठनों के साथ सहयोग करने का अनुरोध किया।

अपने संबोधन में, डॉ. सोमनाथ ने चंद्रयान की कहानियों को देश के युवा छात्रों तक ले जाने की पहल के लिए श्री धर्मेंद्र प्रधान को धन्यवाद दिया। बच्चों को संबोधित करते हुए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके चंद्रयान 3 मिशन को पूरा किया। उन्होंने छात्रों से 21 अक्टूबर 2023 को सुबह 0800 बजे गगनयान के प्रक्षेपण को देखने का अनुरोध किया। उन्होंने युवा प्रतिभाओं को आलोचनात्मक सोच को अपनाकर  शोधकर्ता बनने के लिए प्रेरित किया।

श्री संजय कुमार ने बताया कि कैसे मंत्री महोदय के सुझावों के परिणामस्वरूप चंद्रयान 3 के बारे में आयु-आधारित मॉड्यूल को विकसित किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की अन्य प्रमुख उपलब्धियों को श्रृंखलाबद्ध करते हुए ऐसे और भी मॉड्यूल विकसित किए जायेंगे। श्री कुमार ने यह भी बताया कि इन मॉड्यूल में नई पहेलियां, प्रश्न आदि जोड़े जाएंगे और यह 23 अगस्त 2024 तक चलेगा। उन्होंने कहा कि इस सामग्री का प्रौद्योगिकी की मदद से सभी 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि युवा प्रतिभाओं के पास अब एनईपी2020 की मदद से सीखने की असीमित संभावनाएं उपलब्ध हैं।

आज लॉन्च किए गए वेब पोर्टल में चंद्रयान 3 पर ग्राफिक उपन्यासों के रूप में रंग भरी जाने वाली किताबें, ऑनलाइन क्विज़, जिग्सॉ पहेली, चित्र निर्माण और प्रेरक कहानियों का एक संग्रह है। प्रारंभिक और प्राथमिक स्तर के लिए पृष्ठ में रंग भरना, बिंदु से बिंदु मिलान गतिविधियां, निर्देशों के साथ कलर कोडिंग, आदि तैयार की गयीं हैं, जिससे छात्रों में ध्यान से देखने का अभ्यास और जागरूकता विकसित होगी। प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक स्तरों के लिए आपसी-संवाद आधारित ऑनलाइन क्विज़ होंगे, जिनमें उत्तरों के लिए व्याख्यात्मक फीडबैक भी शामिल होगा। 70 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागियों को डिजिटल प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे और पहले 1000 विजेताओं को आयु-उपयुक्त पुस्तकें प्रदान की जायेंगी। प्रारंभिक, प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक स्तरों के लिए जिग्सॉ पहेलियाँ और चित्र निर्माण भी विकसित किए गए हैं। साथ ही, ग्राफिक उपन्यासों के रूप में प्रेरक कहानियां भी होंगी, जिनमें उन घटनाओं वर्णन होगा, जिन्होंने इसरो की चंद्रयान 3 तक की यात्रा को अंतिम रूप दिया।

इनके अलावा, चंद्रयान 3 की सफलता पर हितधारकों के लिए कई भाषाओं में 10 विशेष मॉड्यूल जारी किए गए, जो भारतीय युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अधिक से अधिक उद्यम करने के लिए प्रेरित करेंगे। ये मॉड्यूल इसके विभिन्न पहलुओं का एक व्यापक परिदृश्य प्रदान करते हैं - जिसमें वैज्ञानिक, तकनीकी और सामाजिक पहलुओं के साथ-साथ अभियान से जुड़े वैज्ञानिकों की भावनात्मक यात्रा और टीम भावना भी शामिल हैं। सामग्री को आपसी-संवाद के आधार पर और आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जो ग्राफिक्स, तस्वीरों, चित्र-व्याख्या, गतिविधियों, चुनौतीपूर्ण प्रश्नों और अन्य से समृद्ध हैं। इनमें सभी पांच चरण शामिल किये गए हैं तथा यह स्कूली शिक्षा के कक्षा I-XII  को कवर करती है। इस मॉड्यूल को विभिन्न चरणों के लिए विषयों की प्रासंगिकता के प्रति एक सचेत दृष्टिकोण के साथ तैयार किया गया है, जिसमें कहानियां, मामले, प्रश्नोत्तरी और गतिविधियां शामिल हैं, जो छात्रों को स्व-गति से सीखने के लिए प्रेरित करतीं हैं। इसे शिक्षकों को प्रायोगिक ज्ञान के अध्‍यापन-शास्‍त्र के माध्यम से अपने छात्रों का मार्गदर्शन करने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मॉड्यूल का एक डिजिटल प्रारूप एनसीईआरटी वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगा।

चंद्रयान 3 की यात्रा अपने भीतर धैर्य, साहस, वैज्ञानिक स्वभाव, जिज्ञासा, समस्या-समाधान और रचनात्मकता को समेटे हुए है – ये ऐसे गुण हैं जिन्हें समस्‍त कक्षाओं में दी जाने वाली शिक्षा संबंधित छात्रों में विकसित और हासि‍ल करने का प्रयास करती है। एनसीईआरटी ने चंद्रयान 3 की विरासत पर आधारित गतिविधियों का उपयोग करते हुए विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला और गणित में भारतीय स्कूली बच्चों की वर्तमान पीढ़ी को प्रेरित करने का प्रस्ताव रखा है। इन गतिविधियों का उद्देश्य छात्रों को इस तरह का कौशल प्रदान करना है जो नवाचार और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देते हैं। भविष्य में छात्रों के लिए ऐसी कई और रचनात्मक गतिविधियां विकसित की जाएंगी।

वैज्ञानिक सोच की संस्कृति को बढ़ावा देकर और एनईपी 2020 के दृष्टिकोण को प्राप्त करके राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए भारत में अंतर-विषयक -बहुविषयक शिक्षा और समस्या-समाधान को बढ़ावा देना समय की मांग है। ये गतिविधियां छात्रों को 21वीं सदी की जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक बहुमुखी कौशल प्रदान करेंगी, जो अंततः वैश्विक मंच पर भारत की प्रगति और नवाचार में योगदान देंगी क्योंकि विश्व गुरु "वसुधैव कुटुम्बकम" के मूल मूल्य से प्रेरित हैं। इन ज्ञान उत्पादों का उपयोग छात्रों, शिक्षकों, अध्यापकों और स्कूली मार्गदर्शकों सहित स्कूली शिक्षा प्रणाली के लिए सहायक सामग्री के रूप में किया जाएगा, ताकि प्रत्येक बच्चे के समग्र विकास के लिए उनके शिक्षण माहौल में इसका उपयोग किया जा सके।

लिंक देखने के लिए यहां क्लिक करें: https://bharatonthemoon.ncert.gov.in

News Source
PIB Release

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