Thirty young cadets began the journey of BSc (H) in Nursing with the Lamp Lighting Ceremony in Army Hospital (Research & Referral), here today. The cadets adorned army nursing uniformas they entered this noble profession.
Deputy Commandant, Army Hospital (R&R) Major General Prashant Bharadwajwas the chief guest who gave away the prizes to meritorious nursing cadets in the third, second and first years of BSc Nursing (H) final examination, conducted by Delhi University in 2019. Addressing the function, Lt Gen Datta asked the cadets to not only enhance their knowledge, skills and competence but also learn the techniques of soft skills.
As per the tradition, the lit lamp was relayed from Additional Director General, Military Nursing Service, Maj Gen Joyce Roach to Principal Matron AH (R&R) Maj Gen Sonali Ghosal and then to Principal, College of Nursing AH (R&R) Col Rekha Bhattacharya who in turn passed it to the teachers. The teachers then transferred the light to the students denoting the transfer of knowledge and wisdom from one generation to the next.
तीस युवा नर्सिंग कैडेटों ने सेना अस्पताल में बीएससी नर्सिंग (ऑनर्स) की यात्रा शुरू की
तीस युवा नर्सिंग कैडेटों ने आज सेना अस्पताल (रिसर्च एंड रेफरल) में लैंप लाइटिंग सेरेमनी के साथ नर्सिंग में बीएससी (ऑनर्स) की यात्रा शुरू की। इन कैडेटों ने सेना की नर्सिंग यूनिफॉर्म पहनकर इन नेक पेशे में प्रवेश किया। सेना अस्पताल (आरएंडआर) के डिप्टी कमांडेंड मेजर जनरल प्रशांत भारद्वाज इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने बीएससी नर्सिंग (ऑनर्स) के तीसरे, दूसरे और पहले वर्ष के मेधावी नर्सिंग कैडेटों को पुरस्कार प्रदान किए। इस वर्ष परीक्षा का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल दत्ता ने कैडेटों से कहा कि वे न केवल अपने ज्ञान, कौशल और दक्षता को बढ़ाएं बल्कि सॉफ्ट स्किल्स की तकनीकियां भी सीखें।
परम्परा के अनुसार लैंप जलाकर अपर महानिदेशक सेना नर्सिंग सेवा मेजर जनरल जॉयस रोच से प्रिंसिपल मैट्रन एएच (आरएंडआर), मेजर जनरल सोनाली घोषाल और उसके बाद प्रिंसिपल कॉलेज ऑफ नर्सिंग ए.एच. (आरएंडआर) रेखा भट्टाचार्य तक लाया गया। उन्होंने इसे शिक्षकों को दे दिया। इसके बाद अध्यापकों ने इसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ज्ञान और बुद्धि के हस्तांतरण को निरूपित करते हुए छात्रों को दे दिया।