The Union Cabinet, chaired by the Prime Minister Narendra Modi, has approved ongoing GSLV continuation programme Phase-4 consisting of five GSLV flights during the period 2021-2024.
The GSLV Programme - Phase 4 will enable the launch of 2 tonne class of satellites for Geo-imaging, Navigation, Data Relay Communication and Space Sciences.
Financial implications:
The total fund requirement is Rs. 2729.13 Crores and includes the cost of five GSLV vehicles, essential facility augmentation, Programme Management, and Launch Campaign along with the additional funds required for meeting the scope of the ongoing GSLV Continuation Programme.
Benefits:
The GSLV Continuation Programme - Phase 4 will meet the launch requirement of satellites for providing critical Satellite Navigation Services, Data Relay Communication for supporting the Indian Human spaceflight programme and the next interplanetary mission to Mars. This will also ensure the continuity of production in Indian industry.
Implementation Strategy and targets:
The GSLV Continuation Programme - Phase 4 will meet the demand for the launch of satellites at a frequency up to two launches per year, with maximal participation by the Indian industry. All the operational flights would be completed during the period 2021-24.
Major impact:
The operationalization of GSLV has made the country self-reliant in the launching capability of 2 tonne class of satellites for communication & meteorological satellites. The GSLV Continuation Programme will sustain & strengthen the capability and self-reliance in the launching of similar satellites for national requirements including next generation navigation satellites, data relay communication satellites and interplanetary missions.
Background:
GSLV has enabled independent access to space for 2 tonne class of satellites to Geosynchronous Transfer Orbit (GTO). One of the very significant outcomes of the GSLV Continuation Programme is the mastering of the highly complex cryogenic propulsion technology, which is an essential technological capability to launch communication satellites to GTO. This has also paved the way for the development of a high thrust Cryogenic engine & stage for the next generation launch vehicle i.e. GSLV Mk-lll.
With the recent successful launch of GSLV-F11 on 19th December 2018, GSLV has successfully orbited 10 national satellites. GSLV with the indigenous Cryogenic Upper Stage has established itself as a reliable launch vehicle for communication, navigation and meteorological satellites and also to undertake future interplanetary missions.
GSLV Continuation Programme was initially sanctioned in 2003, and two phases have been completed and the third phase is in progress and expected to be completed by Q4 of 2020-21.
जीयोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हेकिल (जीएसएलवी) के चौथे चरण को जारी रखने की मंजूरी
मंत्रिमंडल ने जीयोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हेकिल (जीएसएलवी) के चौथे चरण को जारी रखने की मंजूरी दी। चौथे चरण के अंतर्गत 2021-24 की अवधि के दौरान 5 जीएसएलवी उड़ानें शामिल है।
जीएसएलवी कार्यक्रम- चरण 4 से जियो-इमेजिंग, नेवीगेशन, डेटा रिले कॉम्यूनिकेशन और स्पेस साइंस के लिए दो टन वर्ग के उपग्रहों को लांच करने की क्षमता मिलेगी।
वित्तीय भार:
कुल 2729.13 करोड़ रुपये की निधि की आवश्यकता है, जिसमें 5 जीएसएलवी व्हेकिल, आवश्यक सुविधा बढ़ोत्तरी, कार्यक्रम प्रबंधन और लांच अभियान की लागत शामिल है। मौजूदा जीएसएलवी निरंतरता कार्यक्रम की संभावनाओं के तहत अतिरिक्त निधियों की आवश्यकता होगी।
लाभ:
जीएसएलवी निरंतरता कार्यक्रम- चरण 4 के जरिए महत्वपूर्ण उपग्रह नौवहन सेवाएं प्रदान करने, भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम और अगले मंगल अभियान के संबंध में डेटा रिले कॉम्यूनिकेशन संबंधी उपग्रहों की आवश्यकताएं पूरी करने में मदद मिलेगी। इससे घरेलू स्तर पर उत्पादन जारी रखना भी सुनिश्चित होगा।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
जीएसएलवी निरंतरता कार्यक्रम- चरण 4 से प्रतिवर्ष दो उपग्रह लांच करने की मांग पूरी होगी, जिसमें भारतीय उद्योग की सर्वाधिक भागीदारी होगी। सारी परिचालन उड़ानें 2021-24 की अवधि के दौरान पूरी हो जाएंगी।
प्रमुख प्रभाव:
जीएसएलवी के परिचालन से देश संचार और मौसम संबंधी उपग्रहों के मद्देनजर दो टन वर्ग वाले उपग्रहों को लांच करने के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गया है। जीएसएलवी निरंतरता कार्यक्रम से राष्ट्रीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर इसी तरह के उपग्रहों को लांच करने में आत्मनिर्भरता मिलेगी और क्षमता बढ़ेगी। इसमें नौवहन उपग्रहों की अगली पीढ़ी, डेटा रिले कॉम्यूनिकेशन उपग्रह और अंतर-ग्रह अभियान शामिल हैं।
पृष्ठभूमि:
जीएसएलवी से जीयोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) के सिलसिले में दो टन वर्ग के उपग्रहों को लांच करने के लिए अंतरिक्ष में स्वतंत्र पहुंच प्राप्त हो गई है। जीएसएलवी निरंतरता कार्यक्रम का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण परिणाम यह है कि अत्यंत जटिल क्रायोजेनिक प्रोपल्शन प्रौद्योगिकी में महारथ हासिल हुई है, जो जीटीओ में संचार उपग्रहों को लांच करने की प्रौद्योगिकी क्षमता के लिए बहुत जरूरी है। इससे उच्च ऊर्जा वाले क्रायोजेनिक इंजन के विकास तथा लांच व्हेकिल की अगली पीढ़ी यानी जीएसएलवी एमके –iii के चरण का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
19 दिसंबर, 2018 को जीएसएलवी-एफ 11 के हाल में सफल लांच के साथ जीएसएलवी ने कामयाबी से 10 राष्ट्रीय उपग्रहों को कक्षा में भेजा है। स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज के साथ जीएसएलवी ने संचार, नौवहन और मौसम संबंधी उपग्रहों के संबंध में खुद को एक भरोसेमंद लांच व्हेकिल के रूप में तथा भावी अंतर-ग्रह अभियान शुरू करने के लिए स्थापित कर लिया है।
जीएसएलवी निरंतरता कार्यक्रम को 2003 में मंजूरी दी गई थी और दो चरण पूरे किए जा चुके हैं। तीसरा चरण प्रगति पर है और उम्मीद की जाती है कि 2020-21 की चौथी तिमाही में उसे पूरा कर लिया जाएगा।