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Union Minister of Education Ramesh Pokhriyal Nishank announced the Centre of Excellence for Indian Knowledge System to be set up at IIT Kharagpur. Inaugurating the international webinar titled “Bharata Tirtha” organized by the Institute from November 6-8, 2020, Chief Guest Pokhriyal congratulated the Institute for the continued work in various branches of Indian Knowledge System. IIT Kharagpur has attempted to introspect on the spirit of India, her challenges in the present times and taken the right measures through an initiative like Bharata Tirtha and research, he said.
The Minister emphasized on education through mother tongue along with rejuvenation of Sanskrit to ease the educational process for the diverse people of India and draw from the rich educational heritage of India. Confirming the creation of a National Education Technology Forum to support technical education, he motivated researchers to take forward deeper studies in Indian scientific and linguistic heritage and access the historical educational resources which are still available. He remarked, “Initiatives like Study in India, GIAN, GIAN+ and other funded research programs could be the right resources to spread this to the global students and researchers community.” He further called for excellence in research to accentuate the quality of India which has sustained the culture despite the turmoil over centuries.
Guest of Honour, Sanjay Dhotre opined on the need to critically study and analyze the interdisciplinary nature Indian Knowledge System in the present times. “Spectacular achievements of the past can inspire us but cannot sustain us in the present. It is our responsibility to equip the Indian Knowledge System with Indian ethos and values and attempt a pursuit of excellence in every chosen field,” he said. He hoped NEP 2020 will promote this spirit of India. “NEP 2020 is based not only on cognitive capacities but also social, ethical and emotional capacities which will ensure quality education to all students despite their geographical, economic and social position especially for the historically marginalized and disadvantaged groups,” he added.
Prof. Virendra K Tewari, Director, IIT Kharagpur, expressed the need to acknowledge and incentivize research work on Indian Scientific Heritage by awarding the prestigious Shanti Swarup Bhatnagar Prize. “SS Bhatnagar Prize is a dream goal for science and technology researchers in India. I would like to request Union Education Minister to contemplate on proposing to the Union Minister for Science & Technology to create a new vertical on Indian scientific heritage under this prestigious Prize,” he said.
The three-day webinar will witness talks by international stalwarts pioneering in Indic studies including Arthashastra (Economics), Sanskrit for Natural Language Processing, Vedic and Ancient Indian Mathematics - Numeral System, Bijaganita and Jyamiti, Rasayana (Chemical Sciences), Ayurveda (Biological Sciences), Jyotir-tatha Mahajagatika Vidya (Positional and Astronomical Sciences), Prakriti Vidya (Terrestrial/ Material Sciences/ Ecology and Atmospheric Sciences) and Nandana Tathya tatha Vastu Vidya (Archaeology, Iconography and Architecture).
आईआईटी खड़गपुर में भारतीय ज्ञान प्रणाली के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की घोषणा
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज आईआईटी खड़गपुर में भारतीय ज्ञान प्रणाली के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की घोषणा की। संस्थान द्वारा 6-8 नवंबर, 2020 तक चलने वाले “भारत तीर्थ” नाम के इस अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार का उद्घाटन करते हुए, मुख्य अतिथि पोखरियाल ने भारतीय ज्ञान प्रणाली की विभिन्न शाखाओं में लगातार काम करने के लिए संस्थान को बधाई दी। उन्होंने कहा, “आईआईटी खड़गपुर ने भारत की भावना और वर्तमान समय में इसके समक्ष चुनौतियों का आत्मनिरीक्षण करने का प्रयास किया है और भारत तीर्थ और शोध जैसी पहलों के जरिए सही कदम उठाया है।”
मंत्री जी ने भारत के विविध लोगों के लिए शैक्षिक प्रक्रिया आसान बनाने और भारत की समृद्ध शैक्षिक विरासत से आकर्षित करने के लिए मातृभाषा में शिक्षा देने और संस्कृत के संरक्षण पर जोर दिया। तकनीकी शिक्षा में सहयोग के लिए राष्ट्रीय शिक्षा तकनीकी मंच के सृजन की पुष्टि करते हुए, उन्होंने शोधार्थियों को भारतीय वैज्ञानिक और भाषाई विरासत में गहन अध्ययन को आगे बढ़ाने और ऐतिहासिक शिक्षा संसाधनों, जो अब तक उपलब्ध हैं, तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “भारत में अध्ययन, अकादमिक नेटवर्क्स के लिए वैश्विक पहल (जीआईएन), जीआईएन+ और अन्य वित्तपोषित कार्यक्रम सरीखी पहलें वैश्विक छात्रों और शोधार्थी समुदायों में इसके प्रसार के लिए सही संसाधन साबित हो सकती हैं।” उन्होंने भारत की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए शोध में उत्कृष्टता लाने का आवाहन किया जो सदियों से हो रही उथल-पुथल के बाद भी बरकरार है।
विशिष्ट अतिथि संजय धोत्रे ने वर्तमान समय में भारतीय ज्ञान प्रणाली में अन्तर्विषयक प्रकृति के गंभीर अध्ययन और विश्लेषण की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, “अतीत की शानदार उपलब्धियां हमें प्रेरित कर सकती हैं मगर वर्तमान में हमें प्रतिस्पर्धा में नहीं रख सकतीं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि भारतीय ज्ञान प्रणाली को हम भारतीय लोकाचार और मूल्यों से सुसज्जित करें और प्रत्येक चयनित क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने का प्रयास करें।” उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 भारत की इस भावना को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा, “एनईपी 2020 केवल संज्ञानात्मक क्षमताओं पर आधारित नहीं है बल्कि सामाजिक, नैतिक और भावनात्मक क्षमता पर भी आधारित है जो सभी छात्रों के लिए, उनकी भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति के बावजूद, विशेषकर ऐतिहासिक रूप से हाशिए और वंचित समूहों के सभी छात्रों के लिए गुणवत्तापरक शिक्षा सुनिश्चित करेगी।”
आईआईटी खड़गपुर के डायरेक्टर प्रोफेसर विरेंद्र के तिवारी ने प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार प्रदान करते हुए भारतीय वैज्ञानिक विरासत पर शोधकार्य को स्वीकार और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, “भारत में वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी शोधार्थी के लिए एसएस भटनागर पुरस्कार मिलना एक सपने जैसा है। मैं केंद्रीय शिक्षा मंत्री से आग्रह करना चाहूंगा कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत भारतीय वैज्ञानिक विरासत पर नया विषय बनाने के लिए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री को प्रस्ताव देने पर विचार करें।”
इस तीन दिवसीय वेबिनार में भारतीय अध्ययन करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय दिग्गज भी अर्थशास्त्र (इकोनॉमिक्स), प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण के लिए संस्कृत, वैदिक और प्राचीन भारतीय गणित- अंक प्रणाली, बीजगणित और ज्यामितीय, रसायन (कैमिकल साइंस), आयुर्वेद (जैव विज्ञान), ज्योतिर तथा महाजगतिका विद्या (स्थितीय और खगोलीय विज्ञान), प्राकृति विद्या (सांसारिक/भौतिक विज्ञान/परिस्थितिकी और वायुमंडलीय विज्ञान) और नंदन तथ्य तथा वास्तु विद्या (पुरातत्व, चिन्ह विज्ञान और वास्तुकला) पर बात करेंगे।