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STI Hubs will directly benefit over 30,000 SC and ST population through various interventions
Union Minister of State (Independent Charge) Science & Technology; Minister of State (Independent Charge) Earth Sciences; MoS PMO, Personnel, Public Grievances, Pensions, Atomic Energy and Space, Dr Jitendra Singh today said that Ministry of Science and Technology is setting up 75 Science Technology and Innovation (STI) Hubs in different parts of the country, exclusively for Scheduled Castes (SCs) and Scheduled Tribes (STs) to promote scientific talent and uplift the socio-economic status of these communities.
Addressing, as chief guest, the inaugural session of 2-day International Conference on “Significance of Technology in Empowering Tribal Community of India” at JNU Convention Centre, Dr Jitendra Singh informed that 33 such STI Hubs have already been established and 7 are going to become operational soon by DST.
The Minister said that these Hubs will directly benefit over 30,000 SC and ST population through various interventions spreading across farm, non-farm, other allied livelihood sectors and various livelihood assets like energy, water, health, education, etc.
Dr Jitendra Singh also said that the Science for Equity Empowerment and Development (SEED) division of the Department of Science and Technology (DST) is providing grant-in-aid support to several Knowledge Institutions (KIs), and Science and Technology (S&T) based Non-Government Organisations (NGOs) for the holistic development of SC and ST communities.
Dr Jitendra Singh said that after Prime Minister Narendra Modi assumed charge in May, 2014, the Tribal Community was given a “New Deal” and efforts were made in the last 8 years not only to give them more representation in government, but also to empower them through different schemes and interventions including in the areas of Education and Skill Development. The Minister also pointed out that during the UPA, only Rs 21,000 crore were provided for the welfare of tribal people, but under Modi, it has been enhanced to Rs 78,000 crore.
Dr Jitendra Singh also quoted Prime Minister Modi’s Independence Day Address this 15th August, wherein he said, “When we talk about the freedom struggle, we cannot forget to acknowledge our tribal society living in forests. There are countless names like Bhagwan Birsa Munda, Sidhu-Kanhu, Alluri Sitarama Raju, Govind Guru, who became the voice of freedom movement and inspired my tribal brothers and sisters, mothers and youth in the remotest jungles to live and die for the motherland”.
Dr Jitendra Singh also said that it was the Modi Government which decided to celebrate the birth anniversary of Bhagwan Birsa Munda every year on 15th November as Tribal Gaurav Diwas, coinciding with the Amrit Mahotsav
Dr Jitendra Singh said, for the first time in the country after independence, on such a large scale, the art-culture of the entire country's tribal society, their contribution to the freedom movement and nation building is being remembered and honoured with pride.
Dr Jitendra Singh concluded that when India will take the high pedestal on the world map in 2047, during the 100th Independence Day celebrations, the role of more than 25 percent SC/ST Communities will have their own golden history to tell in the Amrit Kaal of next 25 years.
डीएसटी देश के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए 75 विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) केंद्र स्थापित कर रहा है
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय देश के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए 75 विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) केंद्र स्थापित कर रहा है ताकि इन समुदायों की वैज्ञानिक प्रतिभा को बढ़ावा दिया जा सके और उनका सामाजिक-आर्थिक उत्थान किया जा सके।
जेएनयू कन्वेंशन सेंटर में "भारत के जनजातीय समुदाय को सशक्त बनाने में प्रौद्योगिकी का महत्व" विषय पर 2 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि 33 ऐसे एसटीआई केंद्र पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं और डीएसटी द्वारा जल्द ही 7 केंद्र चालू हो जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये एसटीआई केंद्र कृषि, गैर-कृषि, अन्य संबद्ध आजीविका क्षेत्रों और ऊर्जा, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि जैसी विभिन्न आजीविका संपदाओं में विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की 30,000 से अधिक आबादी को सीधे लाभान्वित करेंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का साइंस फॉर इक्विटी एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट (एसईईडी- सीड) विभाग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के समग्र विकास के लिए कई ज्ञान संस्थानों (केआई), और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) आधारित गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को अनुदान सहायता प्रदान कर रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मई, 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पदभार ग्रहण करने के बाद आदिवासी समुदाय को एक "नई डील" दी गई और पिछले 8 वर्षों में उन्हें सरकार में न केवल अधिक प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया, बल्कि शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों सहित विभिन्न योजनाओं और हस्तक्षेपों के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाने के भी प्रयास किए गए। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि यूपीए सरकार के दौरान, आदिवासी लोगों के कल्याण के लिए केवल 21,000 करोड़ रुपये प्रदान किए गए थे, लेकिन मोदी सरकार के तहत इसे बढ़ाकर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस के संबोधन का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा, "जब हम स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बात करते हैं, तो हम जंगलों में रहने वाले अपने आदिवासी समाज के योगदान को स्वीकार करना नहीं भूल सकते। भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, अल्लूरी सीताराम राजू, गोविंद गुरु जैसे अनगिनत नाम हैं, जो स्वतंत्रता आंदोलन की आवाज बने और मेरे आदिवासी भाइयों तथा बहनों, माताओं और युवाओं को मातृभूमि के लिए जीने-मरने के लिए प्रेरित किया।"
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि यह मोदी सरकार ही है जिसने हर साल 15 नवंबर को अमृत महोत्सव के अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आजादी के बाद देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर पूरे देश के आदिवासी समाज की कला-संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को याद किया जा रहा है और गर्व के साथ उन्हें सम्मानित किया जा रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन पर विराम लगाते हुए कहा कि जब भारत 2047 में अपने 100 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान दुनिया के नक्शे पर सबसे ऊंचा स्थान हासिल कर लेगा, तब 25 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति समुदायों के पास अमृत काल में बताने के लिए अपना स्वर्णिम इतिहास होगा।