The Department for Promotion of Industry and Internal Trade, Ministry of Commerce and Industry, Government of India has recently awarded Geographical Indication (GI) to five varieties of Indian coffee. They are:
- Coorg Arabica coffee is grown specifically in the region of Kodagu district in Karnataka.
- Wayanaad Robusta coffee is grown specifically in the region of Wayanad district which is situated on the eastern portion of Kerala.
- Chikmagalur Arabica coffee is grown specifically in the region of Chikmagalur district and it is situated in the Deccan plateau, belongs to the Malnad region of Karnataka.
- Araku Valley Arabica coffee can be described as coffee from the hilly tracks of Visakhapatnam district of Andhra Pradesh and Odisha region at an elevation of 900-1100 Mt MSL. The coffee produce of Araku, by the tribals, follows an organic approach in which they emphasise management practices involving substantial use of organic manures, green manuring and organic pest management practices.
- Bababudangiris Arabica coffee is grown specifically in the birthplace of coffee in India and the region is situated in the central portion of Chikmagalur district. Selectively hand-picked and processed by natural fermentation, the cup exhibits full body, acidity, mild flavour and striking aroma with a note of chocolate. This coffee is also called high grown coffee which slowly ripens in the mild climate and thereby the bean acquires a special taste and aroma.
The Monsooned Malabar Robusta Coffee, a unique specialty coffee from India, was given GI certification earlier.
In India, coffee is cultivated in about 4.54 lakh hectares by 3.66 lakh coffee farmers of which 98% are small farmers. Coffee cultivation is mainly done in the Southern States of India:
- Karnataka – 54%
- Kerala – 19%
- Tamil Nadu – 8%
Coffee is also grown in non-traditional areas like Andhra Pradesh and Odisha (17.2%) and North East States (1.8%).
India is the only country in the world where the entire coffee cultivation is grown under shade, hand-picked and sun dried. India produces some of the best coffee in the world, grown by tribal farmers in the Western and Eastern Ghats,which are the two major bio-diversity hotspots in the world. Indian coffeeis highly valued in the world market and sold as premium coffee in Europe.
The recognition and protection that comes with GI certification will allow the coffee producers of India to invest in maintaining the specific qualities of the coffee grown in that particular region. It will also enhance the visibility of Indian coffee in the world and allow growers to get maximum price for their premium coffee.
भारतीय कॉफी की पांच किस्मों को जीआई प्रमाणन
भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने हाल ही में भारतीय कॉफी की पांच किस्मों को भौगोलिक संकेतक (जीआई) प्रदान किया है। ये किस्में निम्नलिखित हैं :
· कूर्ग अराबिका कॉफी – यह मुख्यत: कर्नाटक के कोडागू जिले में उगायी जाती है।
· वायानाड रोबस्टा कॉफी – यह मुख्यत: वायानाड जिले में उगायी जाती है जो केरल के पूर्वी हिस्से में अवस्थित है।
· चिकमगलूर अराबिका कॉफी – यह विशेष रूप से चिकमगलूर जिले में उगायी जाती है। यह दक्कन के पठार में अवस्थित है जो कर्नाटक के मलनाड क्षेत्र से वास्ता रखता है।
· अराकू वैली अराबिका कॉफी – इसे आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले और ओडिशा क्षेत्र की पहाडि़यों से प्राप्त कॉफी के रूप में वर्णित किया जाता है जो 900-1100 माउंट एमएसएल की ऊंचाई पर अवस्थित है। जनजातियों द्वारा तैयार की जाने वाली अराकू कॉफी के लिए जैव अवधारणा अपनायी जाती है जिसके तहत जैविक खाद एवं हरित खाद का व्यापक उपयोग किया जाता है और जैव कीटनाशक प्रबंधन से जुड़े तौर-तरीके अपनाये जाते हैं।
· बाबाबुदनगिरीज अराबिका कॉफी – यह भारत में कॉफी के उद्गम स्थल में उगायी जाती है और यह क्षेत्र चिकमंगलूर जिले के मध्य क्षेत्र में अवस्थित है। इसे हाथ से चुना जाता है और प्राकृतिक किण्वन द्वारा संसाधित किया जाता है। इसमें चॉकलेट सहित विशिष्ट फ्लैवर होता है। कॉफी की यह किस्म सुहावना मौसम में तैयार होती है। यही कारण है कि इसमें विशेष स्वाद और खुशबू होती है।
इससे पहले भारत की एक अनोखी विशिष्ट कॉफी ‘मानसूनी मालाबार रोबस्टा कॉफी’ को जीआई प्रमाणन दिया गया था।
भारत में 3.66 लाख कॉफी किसानों द्वारा तकरीबन 4.54 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कॉफी उगायी जाती है। इनमें से 98 प्रतिशत छोटे किसान हैं। कॉफी की खेती मुख्यत: भारत के दक्षिणी राज्यों में की जाती है :
· कर्नाटक – 54 प्रतिशत
· केरल- 19 प्रतिशत
· तमिलनाडु – 8 प्रतिशत
कॉफी गैर-परंपरागत क्षेत्रों जैसे कि आंध्र प्रदेश एवं ओडिशा (17.2 प्रतिशत) और पूर्वोत्तर राज्यों (1.8 प्रतिशत) में भी उगायी जाती है।
भारत पूरी दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जहां कॉफी की समूची खेती छाया वाले माहौल में की जाती है, इसे हाथ से चुना जाता है और फिर धूप में सुखाया जाता है। दुनिया में कॉफी की कुछ सर्वोत्तम किस्में भारत में ही उगायी जाती हैं, इन्हें पश्चिमी एवं पूर्वी घाटों के जनजातीय किसानों द्वारा उगाया जाता है, जो विश्व में जैव विविधता वाले दो प्रमुख स्थल (हॉट स्पॉट) हैं। भारतीय कॉफी विश्व बाजार में अत्यंत ऊंची कीमतों पर बेची जाती है। यूरोप में तो इसकी बिक्री प्रीमियम कॉफी के रूप में होती है।
जीआई प्रमाणन से जो विशिष्ट मान्यता एवं संरक्षण मिलता है उससे भारत के कॉफी उत्पादक विशिष्ट क्षेत्रों में उगायी जाने वाली कॉफी की अनूठी खूबियों को बनाये रखने में आवश्यक खर्च करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। यही नहीं, इससे विश्व भर में भारतीय कॉफी की मौजूदगी भी बढ़ जायेगी और इसके साथ ही देश के कॉफी उत्पादकों को अपनी प्रीमियम कॉफी की अधिकतम कीमत प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।