Kargil to Kohima (K2K) Ultra-Marathon- “Glory Run” was flagged off from Kargil War Memorial, Drass by Air Vice Marshal PM Sinha AVSM VSM, Air Officer Commanding J&K on Saturday.
To commemorate 20th year of Kargil Victory and to live up to the true tradition and motto of IAF i.e. “Touch the Sky with Glory”, a unique expedition Kargil to Kohima (K2K) Ultra-Marathon- “Glory Run” is being undertaken by IAF from Kargil War Memorial, Drass (J&K) to Kohima War Cemetery, Kohima (Nagaland). Kohima and Kargil are the two forward most outposts of India in the East and in the North where two of the fiercest battles were fought in 1944 and 1999 respectively. K2K – Glory Run commenced today will culminate on 06 Nov 19. In this unique tryst, a team of 25 Air Warriors will cover a distance of more than 4500 Km in 45 days by running an average of 100 Km per day. The aim of the expedition is to promote awareness for Pedestrian Safety and recently launched Fit India Movement by the Hon’ble Prime Minister Narendra Modi and also to pay tribute to the brave hearts who have made the supreme sacrifice for our motherland. Earlier, on 06 Sep 19 Air Chief Marshal BS Dhanoa, Chairman Chiefs of Staff Committee & Chief of the Air Staff handed over the ‘Glory Torch’ to the team leader Squadron Leader Suresh Razdan at Air Headquarters (VayudBhavan), New Delhi.
The team has been selected after rigorous selection trials and has undergone strenuous training at Air Force Station Leh to undertake the Ultra-Marathon. The composite team consisting of officers and airmen including one female officer Flight Lieutenant Rishab Jeet Kaurand Warrant Officer Indra Pal Singh,whose age is 51 years. The expedition is led by Squadron Leader Suresh Razdan who is a Su-30 aircraft pilot. The team will be following Drass – Leh- Manali Highway where average elevation is 13,000 feet with its highest elevation being 17480 ft at Tanglang-La mountain pass. The team will be crossing many small streams of ice–cold water from snow capped mountains which demands audacious attitude to negotiate the treacherous mountainous terrain. Some of the passes in Ladakh region are Namiki–La (12198 ft), Fout–La (13510 ft), Tanglang–La (17480 ft), Lachung–La (16613 ft), Baralancha–La (16040 ft) and Rohtang (13129 ft). The team will undertake this adventurous expedition involving camping and living outdoors, managing and surviving in snow, rain and extreme climate through varied terrain of Ladakh, HP, Punjab, Uttarakhand, Uttar Pradesh, Bihar, West-Bengal, Assam and Nagaland.
IAF has been promoting adventure activities for its personnel and has achieved feats at national and international level. With the nucleus of expertise in various adventure disciplines, IAF has been attempting unique tryst to showcase and instill qualities of camaraderie, team spirit and courage which are the very foundation of a fighting force.
कारगिल से कोहिमा (के2के) अल्ट्रा मैराथन - "ग्लोरी रन" कारगिल से रवाना हुआ
आज कारगिल से कोहिमा (के2के) अल्ट्रा मैराथन - "ग्लोरी रन" को द्रास स्थित कारगिल वॉर मेमोरियल से एयर वाइस मार्शल पीएम सिन्हा. एवीएसएम, वीएसएम, एयर ऑफिसर कमांडिंग, जम्मू-कश्मीर द्वारा रवाना किया गया।
कारगिल विजय के 20वें वर्ष के अवसर पर और भारतीय वायुसेना की सच्ची परंपरा और आदर्श वाक्य अर्थात “टच द स्काई विद ग्लोरी”, के लिए कारगिल से कोहिमा (के2के) अल्ट्रा मैराथन - "ग्लोरी रन" का एक अभियान आईएएफ द्वारा कारगिल वार मेमोरियल, द्रास, जम्मू और कश्मीर से कोहिमा वार सेमेन्ट्री, कोहिमा (नागालैंड) तक चलाया गया।
कोहिमा और कारगिल उत्तर भारत के पूर्व में और उत्तर में स्थित सबसे महत्वपूर्ण चौकी हैं जहां क्रमशः 1944 और 1999 में दो बड़े युद्ध हुए थे। के2के - ग्लोरी रन आज से शुरू हुआ है जिसका समापन 6 नवंबर 2019 को होगा। इस अनूठे प्रयास में, 25 वायु योद्धाओं की एक टीम 45 दिनों में 4500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगी यानि औसतन 100 किलोमीटर प्रति दिन की दूरी तय करेगी। इस अभियान का उद्देश्य पैदल यात्री सुरक्षा और हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा फिट इंडिया मूवमेंट को बढ़ावा देना और उन बहादुर जांबाजों को श्रद्धांजलि देना भी है जिन्होंने हमारी मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दिया है। इससे पहले, 6 सितंबर 2019 को सेनाध्यक्षों की समिति के अध्यक्ष और वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ, ने वायु सेना मुख्यालय (वायु भवन), नई दिल्ली में स्क्वाड्रन लीडर सुरेश राजदान को ’ग्लोरी टॉर्च’ सौंपा।
इस अल्ट्रा-मैराथन के लिए कठोर चयन परीक्षणों के बाद टीम का चयन किया गया है और इन्हें वायु सेना स्टेशन लेह में प्रशिक्षण दिया गया है। इस समग्र टीम में एक महिला अधिकारी फ्लाइट लेफ्टिनेंट ऋषभ जीत कौर और 51 वर्षीय वारंट अधिकारी इंद्र पाल सिंह सहित कई अधिकारियों और एयरमैन को शामिल किया गया है। इस अभियान का नेतृत्व Su-30 विमान के पायलट स्क्वाड्रन लीडर सुरेश राजदान कर रहे हैं। यह टीम द्रास-लेह-मनाली हाईवे से गुजरेगी जहां औसतन ऊँचाई 13,000 फीट है, और तांगलांग-ला पर्वत होते हुए जाएगी जिसकी औसतन ऊँचाई 17480 फीट है। यह टीम बर्फ से ढके पहाड़ों, बर्फ के ठंडे पानी की कई छोटी-छोटी जल-धाराओं को पार कर जाएगी। लद्दाख क्षेत्र के कुछ मार्ग नमिकी-ला (12198 फीट), फाउट-ला (13510 फीट), तांगलंग-ला (17480 फीट), लाचुंग-ला (16613 फीट), बरलांच-ला (16040 फीट) और रोहतांग (13129 फीट) है। टीम इस साहसिक अभियान के दौरान लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, आसाम और नागालैंड के विभिन्न भूभागों से कैम्पिंग और बाहरी रास्तों की कठिनाईयों, बर्फबारी में प्रबंधन और जीवित रहने के तरीकों, बारिश और चरम जलवायु से होते हुए आगे बढ़ेगी।
भारतीय वायु सेना अपने कर्मियों के लिए साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई मुकाम भी हासिल कर चुका है। विभिन्न साहसिक विषयों में विशेषज्ञता के साथ, भारतीय वायु सेना ने सौहार्द, टीम भावना और साहस के गुणों को प्रदर्शित करने का अनूठा प्रयास किया है जो एक फोर्स की बहुत बड़ी नीव है।