सहारा बनकर जिन्दगी को सॅँवार रही है पालनहार योजना
राजस्थान सरकार की पालनहार योजना करौली जिले में अनाथ बच्चों, विधवा महिलाओं, कुष्ठ रोग एड्स पीडित एवं विशेष योग्यजन दम्पत्ति एवं परित्यक्तता एवं तलाक शुदा महिला की संतानों के लिए सहारा बनकर जिन्दगी को सॅवार रही है। जिले में बाल संरक्षण ईकाई द्वारा 2 हजार 871 परिवारों के 5 हजार 317 बच्चों को पालनहार योजना का लाभ देकर निर्बलों का संम्बल बन रही है। सरकार की मंशा के अनुरूप जिले में कोई भी बालक-बालिका अनाथ नहीं रहे इसके लिए पूर्ण प्रयास किये जा रहे है।
जिला बाल संरक्षण इकाई करौली के अध्यक्ष एवं जिला कलक्टर श्री मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि सरकार द्वारा पालनहार योजना की विभिन्न श्रेणिया निर्धारित है। जिनके अनुसार अनाथ पालनहार योजना में जिन बच्चों के माता पिता की मृत्यु हो चुकी है अथवा माता-पिता को न्यायिक आदेशों के तहत आजीवन कारावास या मृत्यु दण्ड की सजा को चुकी है। अथवा माता पिता की दोनों में से एक की मृत्यु हो चुकी हो ऎसे प्रत्येक अनाथ बच्चों के लिए प्रारम्भिक 500 रुपये स्कूल में दाखिल होने से 6 से 18 वर्ष तक आयु के लिए एक हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक संतान के वस्त्र जूते मौजे स्वेटर इत्यादि के लिए 2 हजार रुपये वर्ष में अतिरिक्त दिये जाते है।
पालनहार योजना के तहत ये है पात्र
विधवा पालनहार योजना के अन्तर्गत बालक-बालिका जिनके पिता की मृत्यु हो गई हो व माता निराश्रित विधवा पेंशन की पात्रता रखती हो ऎसी महिला के लिए 3 संतान तक सहायता राशि दी जाती है।
नाता पालनहार योजना अन्तर्गत ऎसे बालक-बालिका जिनकी माता उन्हे छोड़कर नाते चली गई हो और उसे नाते गये हुए एक वर्ष से अधिक हो गया हो ऎसी माता को 3 संतान तक सहायता देय होती है।
विधिवत पुनर्विवाह करने वाली विधवा माता की संतान हेतु पालनहार योजनान्तर्गत ऎसे बालक-बालिका जिनके पिता की मृत्यु हो गई हो एवं जिनकी विधवा माता द्वारा विधिवत पुनर्विवाह कर लिया हो ऎसी माता की समस्त संतानों के लिए अनुदान सहायता राशि दी जाती है।
कुष्ठ रोग एवं एड्स पीडित माता पिता की संतान हेतु पालनहार योजना के तहत ऎसे बालक-बालिका जो कुष्ठ रोग एवं एड्स पीडित माता पिता की संतान हो ऎसे पीडित माता पिता की प्रत्येक संतान को अनुदान सहायता राशि दी जाती है। यह सहायता राशि कुष्ठ रोग से पीडित माता पिता के प्रकरणों में उनकी चिकित्सा से रोग दूर होने के बाद भी सहायता राशि दी जाती है।
विशेष योग्यजन माता पिता की संतान हेतु पालनहार योजना के तहत विशेष योग्यजन माता पिता जो 40 प्रतिशत या अधिक निशक्तता का प्रमाण-पत्र धारी हो उनके सभी बच्चों को जो उनके साथ रहते हो उन्हे अनुदान सहायता राशि दी जाती है।
परित्यक्तता एवं तलाक शुदा महिलाओं की संतान के लिए पालनहार योजना के तहत उक्त महिलाओं की प्रत्येक संतान को सहायता राशि का भुगतान किया जाता है। इसके अन्तर्गत वे महिला जिनके पास विवाह-विच्छेद डिक्री हो, वैध रूप से अलग हुई महिलाए जिनके पास न्यायलय आदेश हो, ऎसी महिलाए जिनके विवाह विच्छेद या दाम्पत्य अधिकारो का प्रत्यास्थापन चाहने के मामले न्यायलय में लम्बित हो और न्यायालय के दस्तावेज हो, ऎसी मुस्लिम तलाक शुदा महिलाए जिनका तलाकनामा स्वयं के शपथ-पत्र एवं दो स्वतंत्र गवाहों के आधार पर काजी अथवा धार्मिक प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया हो ऎसी महिलाओं की संतानों के लिए 500 रुपये विद्यालय में दाखिल होने के बाद 18 वर्ष की पूर्ण होने तक 5000 हजार रुपये प्रतिमाह अनुदान स्वीकृत किया जाता है। साथ ही इन्हे वार्षिक एक मुश्त राशि 2 हजार रुपये प्रति संतान की सहायता राज्य सरकार द्वारा दी जाती है।
इन सभी पालनहार श्रेणियों में विधवा पालनहार योजना को छोड़कर पालनहार की वार्षिक आय एक लाख 20 हजार रुपये से कम होनी चाहिए। सरकारी एवं अनुदानित शिशु ग्रहों एवं बाल ग्रहों के आवासीयों को समाज की मुक्त धारा में सामाजिक पुनर्समेकन तथा पालनहार योजना के अन्तर्गत लाभान्वित बच्चों को स्वावलम्बी बनाने एवं कौशल विकास करने हेतु मुख्यमंत्री हुनर विकास योजना के माध्यम से आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करायी जाती है।
योजना के अन्तर्गत 17 से 21 आयुवर्ग के बालक-बालिकाओं को चिन्हित कोर्स हेतु निर्धारित फीस व अन्य खर्चे उपलब्ध कराये जाते है। स्वरोजगार हेतु बालक-बालिकाओं को जिला उधोग केन्द्र द्वारा स्वरोजगार स्थापित करने पर आवश्यक उपकरण कच्चा माल आदि खरीदने के लिये एक मुश्त राशि 50 हजार रुपये बैक खाते के माध्यम से उपलब्ध करायी जाती है।
More information at http://www.dcrraj.in/schemes/palanhar-scheme/