Rajasthan Climate Boon for Palm Cultivation

Bharat Mahan

 

राजस्थान की सूक्ष्म एवं गर्म जलवायु बनी खजूर की खेती के लिए वरदान
सरकार के प्रयासों और वैज्ञानिकों एवं कृृषि विशेषज्ञों की मदद से राजस्थान के किसान पारंपरिक खेती के तरीकों के साथ-साथ आधुनिक कृृषि युग में प्रवेश कर रहे है। फलस्वरूप राजस्थान में जैतून, जोजोबा (होहोबा), खजूर जैसी वाणिज्यिक फसलें भी होने लगी है। राज्य की सूक्ष्म एवं गर्म जलवायु खजूर की खेती के लिए वरदान साबित हो रही है। राजस्थान का उद्यानिकी विभाग उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के शुष्क रेगिस्तानी क्षेत्रों में खजूर की खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहा है। खजूर एक ऎसा पेड़ है जो विभिन्न प्रकार की जलवायु में अच्छी तरह से पनपता है। हालांकि, खजूर के फल को पूरी तरह से पकने और परिपक्व होने के दौरान लम्बे समय तक शुष्क गर्मी की आवश्यकता होती है। लम्बे समय तक बादल छाए रहने और हल्की बूंदाबादी इसकी फसल को अधिक नुकसान पहुंचाती है। इसके फूल आने और फल के पकने के मध्य की समयावधि का औसत तापमान कम से कम एक महीने के लिए 210 सेल्सियस से 270 सेल्सियस अथवा इससे अधिक होना चाहिए। फल की सफलापूर्वक परिपक्वता के लिए लगभग 3000 हीट यूनिटस की आवश्यक होती हैं। राजस्थान का मौसम इसके लिए उपयुक्त हैं। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने वर्ष 2007-2008 में राज्य में खजूर की खेती की  परियोजना शुरू करने की पहल की थी। जैसलमेर के सरकारी खेतों और बीकानेर में मैकेनाइज्ड कृृषि फार्म के कुल 135 हेक्टेयर क्षेत्रों पर खजूर की खेती शुरू की गई। इसमें से 97 हेक्टेयर क्षेत्र जैसलमेर में और 38 हेक्टेयर क्षेत्र बीकानेर में था। राज्य में वर्ष 2008-2009 में किसानों  द्वारा खजूर की खेती शुरू की गई। खजूर की खेती के लिए राज्य के 12 जिलों  जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, नागौर, पाली, जालौर, झुंझुनूं, सिरोही और चूरू का चयन किया गया। 2007-2008 में सरकारी खेतों के लिए संयुक्त अरब अमीरात से 21,294 टिशू कल्चर से उगाये गये पौधे आयात किए गए। 2008 से 2011 की अवधि में किसानों की भूमि पर खेती हेतु ऎसे ही लगभग 1,32,000 पौधे तीन चरणों में संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन से आयात किए गए थे। वर्तमान में राज्य के किसानों द्वारा अब तक कुल 813 हेक्टेयर भूमि क्षेत्र पर खजूर की खेती की जा रही है। राज्य द्वारा वर्ष 2016-17 तक खजूर की खेती के लिए 150 हेक्टेयर से और अधिक भूमि को इसमें शामिल करने का लक्ष्य प्रस्तावित है। भारत-इजरायल के सहयोग से सागरा-भोजका फार्म पर खजूर पर अनुसंधान कार्य चल रहा है।  डेट या डेट पाम (खजूर) के रूप में जाना जाने वाला फीनिक्स डाक्ट्यलीफेरा सामान्यतः पाम फेमिली के फूल वाले पौधे की प्रजातियां हैं। खाने योग्य मीठे फलों के कारण अरेकेसिये की खेती की जाती है। खजूर की बेहतरीन किस्म उगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 3 मार्च 2009 को जोधपुर में अतुल लिमिटेड के साथ मिलकर एक टिशू कल्चर प्रयोगशाला की शुरूआत की गई। अप्रेल, 2012 से इस प्रयोगशाला ने टिशू कल्चर खजूर की खेती करना शुरू किया गया। राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार के करीब 25,000 पौधों के उगने की उम्मीद की जा रही है। वर्तमान में राजस्थान में खजूर की सात किस्मों यथा बारही, खुनेजी, खालास, मेडजूल, खाद्रावी, जामली एवं सगई की खेती की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा टिशू कल्चर तकनीक पर खजूर की खेती करने वाले किसानों को वर्ष 2014-2015 में 90 प्रतिशत अनुदान दिया गया। इसी प्रकार 2015-2016 से किसानों को टिशू कल्चर के आधार पर 75 प्रतिशत अनुदान अथवा अधिकतम प्रति हेक्टेयर 3,12,450 रुपए की राशि दी जा रही है। ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट-2016‘ (ग्राम) में खजूर की खेती के लिए निवेश पर चर्चा की उम्मीद उल्लेखनीय है कि जयपुर के सीतापुरा में स्थित जयपुर एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर (जेईसीसी) में 9 से 11 नवम्बर तक आयोजित ’ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट 2016‘ (ग्राम) में खजूर, जैतून, जोजोबा ( होहोबा) जैसी वाणिज्यिक फसलों में बड़े पैमाने पर निवेश के लिए चर्चा होने की उम्मीद है। ‘ग्राम‘ एक अंतरराष्ट्रीय एग्री इवेंट है । इसका आयोजन राजस्थान सरकार एवं फैडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा संयुक्त रूप किया जा रहा है। इस इवेंट में लगभग 50,000 किसानों के भाग लेने की संभावना है। ‘ग्राम‘ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में त्वरित और सतत विकास के माध्यम से किसानों का आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करना तथा वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करना है। इसके अतिरिक्त इस वैशिवक आयोजन में राजस्थान की कृषि जलवायु के अनुरूप विश्व भर की सर्वोत्तम प्रथाओं और प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन भी किया जायेगा। यह मीट निवेशकों, मैन्यूफैक्चरर्स के साथ-साथ शिक्षाविदों एवं शोधकर्ताओं के लिए भी महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।

News Source
DIPR Rajasthan

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