With the help of Rajasthan government's special schemes for farmers and taking a cue from Doordarshan's Krishi Channel, 52 year Narayanlal has come back from Kuwait to earn a good amount from his fields. Looking for better prospects Narayanlal from village Piplaud in tribal area of Banswada district had gone to Kuwait. However he has now returned and his fields and other allied activities is giving him a respectable income at home.
अपने घर-परिवार का पालन-पोषण करने और खुशहाल जिन्दगी जीने की तमन्ना से अपनी जन्मभूमि से हजारों किलोमीटर दूर कुवैत जाकर रोजगार करने वाले आदिवासी किसान की जिन्दगी में ख्ेाती-बाड़ी की सरकारी योजनाओं ने ऎसा चमत्कार दिखाया कि अब उनके लिए कुवैत का काम-धंधा फीका हो गया। अब उनके खेत सोना उगल रहे हैं।
यह कहानी है बांसवाड़ा पंचायत समिति के पीपलोद गांव के आदिवासी काश्तकार श्री नारायणलाल राणा की। अपने परिवार को पालने के लिए उन्होंने कुवैत जाकर काम-धंधा भी किया लेकिन उन्हें लगा कि खेती-बाड़ी पर ही ध्यान दिया जाए तो कुवैत से भी बढ़कर धन और खुशहाली पायी जा सकती है।
खेतों से खुशहाली पाने की उम्मीदों भरे श्री नारायण भाई ने इसके लिए दूरदर्शन के कृषि चैनल को माध्यम बनाया और खेती-बाड़ी से संबंधित जानकारी पायी। इसके बाद उन्होंने कृषि और उद्यान विभाग के अधिकारियों व कार्मिकों, कृषि पर्यवेक्षक आदि से सम्पर्क किया और अपने लायक योजनाओं का लाभ पाने की सोची।
52 वर्षीय कृषक श्री नारायणलाल बताते हैं कि कुवैत जाने से पहले वे अपनी जमीन पर मक्का, गेहूँ, सब्जियाँ आदि करते थे इससे उन्हें सालाना औसतन 80 हजार रुपए आमदनी हो जाया करती थी।
कुवैत से आने के बाद उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की एवं इन गतिविधियों को अपने खेत पर आजमाया। पहले पहल 2 बीघा में नीम्बू के 110, आम के 10 पौधे एवं 1 बीघा में अमरूद के सघन बागवानी अन्तर्गत 350 पौधे लगाए।
इससे वार्षिक आमदनी में इजाफा हुआ। कुल 1.55 लाख रुपये आमदनी बागवानी से एवं सब्जियों में बैंगन-0.50 बीघा, भिण्डी-2.00 बीघा, टमाटर एवं अन्य सब्जियों से 1 लाख रुपये वार्षिक आमदनी वर्तमान में प्राप्त हो रही है।
इसके साथ ही सिंचाई के लिये पूर्व में वाटर पम्प से 30 हजार रुपए वार्षिक खर्च आता था पर उद्यान विभाग से सौलर पम्प की स्थापना के बाद अब इस राशि की बचत होने लगी। इसी प्रकार राष्ट्रीय बागवानी मिशन(एनएचएम) के अन्तर्गत वर्मी कम्पोस्ट इकाई की स्थापना कर उर्वरकों पर जो व्यय होता था वह भी बचा क्योंकि अब जैविक खाद का प्रयोग कर रहे हैं। इससे सालाना 20 हजार रुपए की बचत होने लगी। श्री नारायणलाल ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनान्तर्गत ड्रिप संयंत्र (बूंद-बूंद सिंचाई) कर बगीचे एवं सब्जियों में सिंचाई पानी की बचत भी की।
कृषक श्री नारायणलाल कृषि एवं उद्यानिकी के साथ पशुपालन भी कर रहे है। उन्हाेंने 5 भैसें एवं 2 गाये पाल रखी हैं, जिससे दुग्ध एवं अन्य उत्पाद से 1.50 लाख रुपए वार्षिक आमदनी प्राप्त हो रही है। प्राप्त गोबर से वर्मी कम्पोस्ट इकाई में वर्मी खाद बना रहे हैं।
कृषि एवं उद्यानिकी गतिविधियाें को अपनाकर तथा सरकारी योजनाओं का लाभ पाकर सामान्य कृषक श्री नारायण भाई ने जहां अपने परिवार को खुशहाली दी है वहीं अपने बच्चों को भी शिक्षा-दीक्षा देकर उनका भविष्य संवार दिया है। उनकी एक लड़की राजकीय सेवा में सेवारत है एवं दूसरी लड़की वर्तमान में शिक्षा विभाग में चयनित है। दो लड़के स्वरोजगाररत हैं जिनमें एक उद्यानिकी गतिविधियों में उनका सहयोग कर रहा है जबकि दूसरा उच्च शिक्षा प्राप्त कर स्वरोजगाररत है।
वे खुद मात्र आठवीं पास हैं किन्तु उनका खेती-बाड़ी का ज्ञान और अनुभव मुँह बोलता है। प्रगतिशील काश्तकार के रूप में अपनी खास पहचान बना चुके कृषक श्री नारायणलाल बताते हैं कि कृषि, उद्यानिकी एवं पशुपालन से आमदनी प्राप्त कर स्वयं का नवीन भू-खण्ड एवं अच्छी आमदनी रखते हैं।
वे कहते हैं कि किसानों के लिए सरकार की इतनी सारी योजनाएं हैं कि कृषक इनके बारे में जागरुक होकर लाभ पाने की कोशिश करें तो सुख-समृद्धि का नया इतिहास रच सकते हैं। इन योजनाओं के लिए वे सरकार को लाख-लाख धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि यह सरकार किसानों के लिए जितना कुछ कर रही है, वह ऎतिहासिक ही है। इसका लाभ पाने के लिए आदिवासी क्षेत्रों के किसानों को आगे आना चाहिए। पहल तो खुद को ही करनी होगी।