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Most of the yoga-based studies so far have relied on patient’s experience and rating of pain and disability as an indicator of recovery and better quality of life. Researchers who measured pain, pain tolerance and body flexibility have found that yoga leads to pain relief, increases tolerance of pain and improves flexibility in patients of chronic low back pain.
Dr Renu Bhatia, Additional Professor, Department of Physiology, AIIMS, New Delhi conducted research to measure the impact of yoga on Chronic Low Back Pain (CLBP) along with Dr Raj Kumar Yadav (Professor, Department of Physiology, AIIMS, New Delhi), Dr Sri Kumar V (Associate Professor, Department of Physical Medicine & Rehabilitation, AIIMS, New Delhi).
The study conducted on 100 Chronic Low Back Pain (CLBP) patients of 50 years with 3 years of history of the disease. After systematic Yogic intervention of 4 weeks, Quantitative sensory testing (QST) showed increase in thresholds for cold pain and cold pain tolerance. Corticomotor excitability and flexibility improved significantly in the patients.
They recorded objective measures for pain (electrophysiology), sensory perception (quantitative computerized sensory testing) and cortical excitability parameters. (using Transcranial Magnetic Stimulation of motor cortex).They found significant changes between all the parameters in CLBP patients compared to healthy controls at baseline. Significant improvement in all parameters was found after yoga.
This research supported by the Science and Technology of Yoga and Meditation (SATYAM) funded by the Department of Science and Technology, GoI has been recently published in the ‘Journal of Medical Science and Clinical Research’.
Assessment of pain and corticomotor excitability parameters shall help in establishing strong ground with scientific evidence for yoga to be prescribed as therapeutic intervention for chronic low back pain relief with or without standard therapy depending on the pathology. Also these parameters can be used for prognosis and follow-up of patients during recovery phase.
The team also developed yoga protocol for CLBP patients and for fibromyalgia patientsin Pain Research and TMS laboratory, AIIMS, New Delhi.
In patients with Chronic Low Back Pain, 4 weeks of yoga intervention improved pain status and pain-related functional disability, increased spinal flexibility and corticomotor excitability significantly more than standard care.
The study suggests that in long term Yoga can be performed at home, and hence is an inexpensive therapeutic intervention. It not only relieves pain but also improves overall quality of life and bestows other health benefits.
एक अध्ययन ने पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द में योग के लाभों के बारे में पता लगाया
अब तक के अधिकांश योग-आधारित अध्ययन किसी बीमारी से ठीक होने और जीवन की बेहतर गुणवत्ता के संकेतक के रूप में रोगी के अनुभव और दर्द एवं अक्षमता की रेटिंग पर निर्भर रहे हैं। दर्द, दर्द सहने की क्षमता और शरीर के लचीलेपन को मापने वाले शोधकर्ताओं ने पाया है कि योग से पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द से पीड़ित रोगियों को दर्द से राहत मिलती है, उनमें दर्द सहने की क्षमता बढ़ती है और उनके शरीर के लचीलेपन में सुधार होता है।
नई दिल्ली स्थित एम्स के फिजियोलॉजी विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. रेणु भाटिया ने डॉ. राज कुमार यादव (प्रोफेसर, फिजियोलॉजी विभाग, एम्स, नई दिल्ली) और डॉ. श्री कुमार वी (एसोसिएट प्रोफेसर, फिजिकल मेडिसीन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग, एम्स, नई दिल्ली) के साथ मिलकर पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द (सीएलबीपी) पर योग के प्रभाव को मापने का शोध किया है।
यह अध्ययन पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द (सीएलबीपी) से पीड़ित 50 साल की आयु वाले उन 100 रोगियों पर किया गया, जिनका इस बीमारी से गुजरने का 3 साल का इतिहास था। कुल 4 सप्ताह के व्यवस्थित योगिक हस्तक्षेप के बाद, मात्रात्मक संवेदी परीक्षण (क्यूएसटी) ने ठंड के दर्द और ठंड के दर्द को सहन करने की सीमा में वृद्धि दर्शायी। इन रोगियों में कॉर्टिकोमोटर संबंधी उत्तेजना और लचीलेपन में काफी सुधार हुआ।
शोधकर्ताओं ने दर्द (इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी), संवेदी धारणा (मात्रात्मक कम्प्यूटरीकृत संवेदी परीक्षण) और कॉर्टिकल उत्तेजना संबंधी मापदंडों के लिए (मोटर कॉर्टेक्स के ट्रांसक्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन का उपयोग करके) वस्तुनिष्ठ उपायों को दर्ज किया। उन्होंने बेसलाइन पर स्वस्थ नियंत्रण की तुलना में पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द (सीएलबीपी) के रोगियों में सभी मापदंडों के बीच महत्वपूर्ण परिवर्तन पाया। योग के बाद सभी मानकों में उल्लेखनीय सुधार पाया गया।
साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ योग एंड मेडिटेशन (सत्यम) द्वारा समर्थित और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित यह शोध हाल ही में 'जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस एंड क्लिनिकल रिसर्च' में प्रकाशित हुआ है।
दर्द का आकलन और कॉर्टिकोमोटर संबंधी उत्तेजना के मापदंड पैथोलॉजी के आधार पर मानक चिकित्सा के साथ या उसके बिना पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द से राहत के लिए चिकित्सीय उपाय के तौर पर योग का सुझाव दिए जाने के पक्ष में वैज्ञानिक प्रमाण के साथ मजबूत आधार स्थापित करने में मदद करेगा। इसके अलावा, इन मापदंडों का उपयोग स्वस्थ होने वाले चरण के दौरान रोगियों के लक्षण देख कर रोग के कारणों के निर्धारण और फॉलोअप कार्रवाई के लिए किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं की टीम ने नई दिल्ली स्थित एम्स के दर्द अनुसंधान और टीएमएस प्रयोगशाला में सीएलबीपी रोगियों और फाइब्रोमायल्जिया रोगियों के लिए योग संबंधी एक प्रोटोकॉल भी विकसित किया है।
पीठ के निचले हिस्से में पुराने दर्द के रोगियों में, 4 सप्ताह के योग से जुड़े हस्तक्षेप ने दर्द की स्थिति एवं दर्द से संबंधित कार्यात्मक अक्षमता में सुधार किया और रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन एवं कॉर्टिकोमोटर उत्तेजना में उल्लेखनीय रूप से मानक देखभाल से काफी अधिक की वृद्धि की।
इस अध्ययन में यह बताया गया है कि चूंकि लंबी अवधि में योग घर पर किया जा सकता है, इसलिए यह एक सस्ता चिकित्सीय उपाय है। यह न केवल दर्द से राहत देता है बल्कि जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करता है और स्वास्थ्य संबंधी अन्य लाभ प्रदान करता है।