हिन्दी में भी यह समाचार दिया गया है नीचे....
A boy named Abhishek Karma hailing from a village called Bablai of Madhya Pradesh, narrates his own success story. “One day while playing cricket in June 2018, along with my friends, a volunteer from ‘EKAL GRAMOTHAN Foundation’, whose name was Dilip ji Vaadiva, came and told us about the different schemes of this Foundation. He said that he is a volunteer of EKAL ABHIYAN which does various activities in villages. In one of the programmes the Foundation has a bus which has a well equipped computer lab which goes from village to village to teach the children about computer and stays for about 2 hours. I wrote my name, Abhishek Karma, in the list when asked who all want to learn computer.
I had just passed 10th std and my parents asked me to go to Indore and study computers. But the fees for this in Indore was very high, which I could not afford, so I came back and told my parents that I would study here in this mobile EKAL ON WHEELS computer lab and also continue my school in the village. They agreed and then I filled up the form of Ekal On Wheels.
The van started coming in my village in which I did a 3 month course. Here I learnt basic office work in which I learnt to use Paint Brush, Notepad, Wordpad, MSword, MSexcel, MSpowerpoint, and some basic internet operations. The teacher taught us so well that we couldn’t have learnt any better than this after paying high fees in some city. After learning computer, I thought of taking a job, so that I could help my parents. I started working at a Bank of India, kiosk where I earned Rs 6000/- per month. This helped financially in my home. Today I can say proudly that it’s because of Ekal On Wheels, that came to our village and taught us computer so well that I am a computer literate and earning for myself.
I thank EKAL Abhiyan for its appreciative work and give my best wishes to Ekal Gramothan Foundation and it hardworking volunteers.
मेरे हाथ को काम मिल गया- अभिषेक कर्मा
मध्यप्रदेश के अभिषेक कर्मा की कहानी वह स्वयं बताते हैं, “ मैं ग्राम बबलाई खरगोन मध्यप्रदेश में रहता हूं। जून माह 2018 में हम एक दिन क्रिकेट खेल रहे थे। उस दौरान एकल ग्रामउत्थान फाउंडेशन के कार्यकर्ता, जिनका नाम दिलीप जी वाड़ीवा है, वह उस समय हमारे पास आये और उन्होंने एकल ग्रामोत्थान फाउंडेशन की योजनाओं के बारे में बताया कि हम एकल अभियान के कार्यकर्ता हैं और जो गांव में अलग-अलग गतिविधियां करते हैं। उसके माध्यम से एक बस है, जिसमें कंप्यूटर लैब बना है और वह बस गांव गांव जाकर बच्चों को गांव में ही 2 घंटे कंप्यूटर पढ़ाती है, यह जानकारी दी और सब से पूछा कि कौन कौन कंप्यूटर सीखना चाहता है। उस सूची में मैंने भी मेरा अपना नाम, अभिषेक कर्मा, लिख आया।
उस समय में 10 वीं कक्षा पास की थी। तब घर वालों का कहना था कि इंदौर पढ़ने जाना है और वहीं पर कंप्यूटर का कोर्स करना है और उसके बाद जब मैं इंदौर गया वहां पर कंप्यूटर की फीस बहुत अधिक थी। फिर घरवालों को समझाया कि मैं यही एडमिशन लेकर यह एकल ग्रामोत्थान फाउंडेशन की गाड़ी गांव में ही आकर कंप्यूटर सिखाएगी तो मैं इस गाड़ी में कंप्यूटर सीख लूंगा और यहीं पर स्कूल चला जाऊंगा।
घर वाले राजी हो गए फिर मैंने एकल ऑन व्हील में फार्म भरकर एडमिशन लिया। वहाँ से हमारे गांव में गाड़ी आना स्टार्ट हुई जिसमें मैंने 3 महीने का कोर्स किया। उसके बारे में जाना कंप्यूटर पर कैसे काम किया जाता है कैसे ऑफिस वर्क किया जाता है। यह सब मैंने सीखा उसमें पेंट ब्रश, नोटपैड, वर्डपैड, एम.एस. वर्ड, एम.एस. एक्सेल, एम.एस पावरप्वाइंट और बेसिक इंटरनेट सीखा। इसमें सर ने हमें बहुत ही अच्छे से सिखाया और लगा कि अगर मैं पैसे देकर भी कहीं अन्य जगह सीखता तो इतना अच्छा नहीं सीख पाता, जिस तरह एकल ग्रामोत्थान फाउंडेशन कि यह बस गांव में ही आकर बच्चों को इतने अच्छे तरीके से कंप्यूटर सिखाया जाता है।
एकल ऑन व्हील में कंप्यूटर सीखने के बाद सोचा कहीं कुछ ना कुछ काम करूं जिससे कि कुछ पैसा आए और घर में थोड़ा सा सहयोग हो जाए। इसके बाद मैंने बैंक ऑफ इंडिया के कियोस्क में काम करने लगा। आज मैं बैंक ऑफ इंडिया के किओस्क पर काम करते हुए ₹6000 माह लेता हूं, जिससे मेरे घर को आर्थिक सहयोग मिलता है। आज मैं जो कुछ भी हूं और जो कुछ कंप्यूटर सीखा हूं यह सब एकल की ही देन है। अगर एकल हमारे गांव तक नहीं आता और इतने अच्छे से कंप्यूटर नहीं सिखाता तो शायद आज मैं यहां नहीं होता। एकल के इस सराहनीय काम को मैं बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं और एकल ग्रामोत्थान फाउंडेशन के सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देता हूँ।”