घर-घर सोक पिट निर्माण कर डायरिया-मलेरिया से गाँव को राहत पहुंचाई
मेरा नाम झरना जेना है। मैं वर्तमान में पूर्वी उड़ीसा की भाग आरोग्य योजना प्रमुख हूँ। आरोग्य योजना द्वारा वर्ष 2013 में ऐनिमिया नियंत्रण प्रोग्राम का कार्य क्योंझार अंचल के तेलकोई संच में प्रारम्भ हुआ। गांवों का सर्वेक्षण एवं Hb% टेस्ट से पता चला कि उस संच में लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक हैं।
इतनी महिलाएं ऐनिमिया होने से डिलीवरी के समय मां तो मरती ही है, बच्चा भी मरता है। आखिर में इतनी बड़ी मात्रा में एनीमिया का कारण क्या है? समस्या की जड़ को ही समझना पड़ेगा।
हमलोग सर्वेक्षण करने गांव-गांव गये तो पता चला कि सबसे बड़ी समस्या गांवों में गंदगी तथा खान-पान में पोषण युक्त आहार की कमी है। अधिकांश लोग आदिवासी समाज के हैं। गांव में जानवर तो हैं, परन्तु दूध-दही का सेवन कम होता है। वे लोग केवल धान उगाते हैं, फल एवं सब्जियां घरों में नहीं उगायी जाती। दाल भी नहीं के बराबर खाते हैं। गांव के गलियों में लगभग प्रत्येक घर से नाली का गंदा पानी बहता रहता है। मक्खी-मच्छर एवं अन्य संक्रामक कीटाणुओं के कारण डायरिया, मलेरिया, फाइलेरिया एवं पेट में कीड़ा इत्यादि बीमारियां गांव में काफी मात्रा में देखने को मिलती हैं। विशेष रूप से वर्षा ऋतु में तो लोग घर-घर में बीमार होते हैं। हमलोगों ने दोनों स्तर पर कार्य प्रारम्भ किया। Hb% testing में जिन महिलाओं को ऐनिमिया देखा गया, उन्हें पेट के कीड़े मारने हेतु एक Albenadajol टैबलेट एवं Iron-folic Acid की टैबलेट 3 माह के लिए दी। परन्तु साथ ही गांव में सामूहिक साफ-सफाई का प्रयास भी प्रारम्भ हुआ। गांव में सामूहिक बैठक कर लोगों को सफाई के बारे में समझाया गया। लोगों को सोक पिट बनाने का तरीका बताया गया। लगभग 100 घरों की बस्ती में अभी 40 घरों की नालियों पर सोक पिट बन गये हैं। गांव के सामूहिक हैंडपंप एवं कुंओं पर भी सरकार के द्वारा तीन सोक पिट बनाये गये हैं। अन्य परिवारों को भी सोक पिट के लिए समझाया जा रहा है। अब गांव में नाली का गंदा पानी गलियों में नहीं बहता है। लोगों ने मच्छरदानी का प्रयोग भी प्रारम्भ किया है। वर्षा ऋतु में गांव के सभी घरों के लोगों ने उबला हुआ पानी पीना प्रारम्भ कर दिया है। सबके घर में तुलसी का पौधा लगा है। इस
वर्षा के मौसम में कम लोग बीमार हुए हैं। इस गांव को देखकर अब दूसरे गांव के लोग भी सोक पिट बनाने लगे हैं।
अब तक तिलकोई संच में कुल 120 सोक पिट बनाये जा चुके हैं। हमारे भाग में कुल 490 सोक पिट बनाये गये हैं। गोडावाली साई गांव में अब तक 50 पोषण वाटिका भी लगाई जा चुकी है। अब गांव के लोग खाने के लिए साग-सब्जी का प्रयोग करने लगे हैं। अब तक हमारे अंचल में 464 पोषण वाटिका लगाई जा चुकी है।