दुनिया के सामने कोरोना द्वारा पैदा की गई चुनौतियों से संघर्ष करते हुए एक वर्ष का आधा हिस्सा खत्म हो चुका है। समय बीतने के साथ और अभी तक वैक्सीन उपलब्ध न होने की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था पर सिर्फ क्षमता बढ़ाने का दबाव है, जबकि स्वास्थ्य कर्मियों के लिए संक्रमण का जोखिम लगातार बना हुआ है। इस समस्या का समाधान करने के लिए आईआईटी खड़गपुर में कंप्यूटरसाइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं ने एक टेलीमेडिसिन सिस्टम, आईमेडिएक्स (iMediX) विकसित किया है।
यह प्रणाली (सिस्टम) होमकेयर (घर पर देखभाल) को अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं के साथ जोड़ती है। महामारी से उभरती जरूरतों के मद्देनजर यह प्रणाली एक फिजीशियन द्वारा दूरस्थ परामर्श (रिमोट कंसल्टेशन) के माध्यम से मरीजों को उनक घर पर गंभीर स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा मुहैया कराती है। इसका किसी भी अच्छे इंटरनेट ब्राउज़र और मोबाइल डिवाइस के माध्यम से इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस प्रणाली में एक मरीज अपनी ईमेल आईडी या मोबाइल नंबर से साइन-अप करके अपना एक अकाउंट बना लेता है। फिर मरीज अस्पताल में एक विभाग को चुनकर, अपनी मुख्य समस्याएं दर्ज करके और स्कैन किए गए सभी जरूरी मेडिकल रिकॉर्ड को अपलोड करके परामर्श के लिए अनुरोध कर सकता है। अस्पताल प्रशासन उसके अनुरोध का आकलन करता है और इससे लिए एक डॉक्टर नियुक्त करता है। डॉक्टर (सिस्टम में) लॉगिन करने के बाद मरीज को परामर्श देने के लिए तारीख और समय को दर्ज करता है और इसके बाद प्रणाली (सिस्टम) ईमेल और एसएमएस के माध्यम से मरीज को सूचना भेज देता है। मरीजों से मिलने के दिन डॉक्टर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मरीज को परामर्श देता है और एक पर्चे पर लिखकर सलाह भी देता है, जिसे ईमेल द्वारा मरीज को भेजा जाता है। इसके अलावा मरीज भी अपने खाते से पर्चे को डाउनलोड कर सकते हैं।
इस क्षेत्र के अग्रणी शोधकर्ता प्रो. जयंत मुखोपाध्याय ने कहा, “जिस तरह से होम आइसोलेशन (घर में अलग रहने) और घर में क्वारंटीन रहने के मामले बढ़ रहे हैं, यह सिस्टम मौजूदा स्थिति में आवश्यकताएं पूरी कर सकेगा। यह बुजुर्ग मरीजों के स्वास्थ्य पर निगाह रखने और उनका इलाज करने में भी उपयोगी साबित होगा।”
आईमेडिएक्स (iMediX) को अपने घर आईआईटी खड़गपुर के कैंपस हेल्थकेयर सिस्टम में सार्वजनिक उपयोग के लिए अपनाया जा रहा है।
निदेशक प्रो. वी. के. तिवारी ने कहा, “अप्रैल में हमने कोविड स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए आठ आरएंडडी (शोध और विकास) परियोजनाओं की घोषणा की थी। यह टेलीमेडिसिन परियोजना उनमें से, विशेष रूप से हमारे अपने समुदाय में इसकी प्रभावशीलता के लिहाज से सबसे प्रमुख है। जब हमारा कैंपस छात्रों समेत लगभग 30,000 लोगों के लिए पूरी ताकत से काम करना शुरू करेगा, तब तत्काल बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की जररूत होगी और यह तकनीक मरीजों का कुशलता से प्रबंधन करते हुए स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए जोखिम को कम करेगी। जब हम शारीरिक दूरी को बढ़ावा दे रहे हैं, तब कैंपस में लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए इस डिजिटल प्लेटफॉर्म को लागू करना सही लगता है। हम अपने मेडिकल कार्डधारकों के यूजर अकाउंट बना रहे हैं, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परामर्श की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।”
प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. समीर दासगुप्ता ने बताया कि सॉफ्टवेयर को आज गांधी जयंती के अवसर पर लॉन्च किया गया । इसे संस्थान के डॉ. बी.सी. रॉय प्रौद्योगिकी अस्पताल से जोड़ा जाएगा, जो कैंपस के निवासियों के साथ-साथ कर्मचारियों को आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है।
उपनिदेशक प्रो. एस.के. भट्टाचार्य ने कहा, “चूंकि हमारे पास ओपीडी मरीजों की बड़ी संख्या है, इसलिए यह उनके लिए बहुत ही लाभकारी साबित होगा, क्योंकि उनके लिए अस्पताल आना-जाना बहुत कठिन काम है। साथ ही, हमारे छात्रों के लिए भी अस्पताल में अपनी बारी आने का इंतजार करने का समय घटेगा, यह उनके लिए बहुत उपयोगी होगा।”
निर्देशक तिवारी ने आईआईटी खड़गपुर के आगामी सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल के जरिए कैंपस के बाहर के लोगों तक इस तकनीक का उपयोग बढ़ाने की अपनी योजना को सामने रखा। शोधकर्ता इस तकनीकी के कॉपीराइट संस्करण के व्यावसायीकरण के लिए पहले से ही स्वास्थ्य क्षेत्र के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (हेल्थकेयर एमएसएमई) के संपर्क में हैं। बंगाल सरकार के स्वास्थ भवन में प्रायोगिक आधार पर एक बेस मॉडल को लगाया गया था। बेस मॉडल के लिए बांग्लादेश में क्षेत्र परीक्षण (फील्ड ट्रायल) भी चल रहे हैं।