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Symposium emphasizes bamboo's potential as a sustainable alternative in various industries
Deendayal Antyodaya Yojana - National Rural Livelihood Mission (DAY-NRLM), in partnership with the United States Agency for International Development (USAID) and lndustree Foundation, held a 'National Symposium on Bamboo' yesterday to promote sustainable rural livelihoods, women's empowerment and climate resilience through bamboo farming.
The symposium introduced India's first comprehensive handbook on bamboo cultivation, available in seven regional languages, to equip smallholder women farmers with essential knowledge and practices. Additional Secretary, Ministry of Rural Development Shri Charanjit Singh and Acting Mission Director, USAID Alexandria Huerta also launched the UGAO app, a digital tool providing real-time data support for women smallholder farmers. The app will also help build a traceable supply chain for the Forest Stewardship Council (FSC) certification, boosting bamboo product demand and export potential.
On the occasion, Additional Secretary Shri Charanjit Singh said that Bamboo cultivation offers a unique opportunity to improve livelihoods while contributing to environmental conservation. This program is a testament to our commitment to empowering rural women and promoting sustainable development, creating lasting economic opportunities while advancing climate mitigation and resilience.
Acting Mission Director, USAID Alexandria Huerta said that addressing gender-related inequalities and promoting locally led development are important aspects of USAID's global strategy. I am happy that USAID's POWER project is empowering women and has provided a successful, locally led, natural climate solution that is being scaled up through NRLM.
Joint Secretary, Rural Livelihoods, Ministry of Rural Development Ms. Swati Sharma stated that empowering rural women through bamboo cultivation aligns with our mission of promoting sustainable livelihoods and inclusive growth. This program not only provides economic opportunities but also contributes to environmental sustainability. We believe that this initiative will serve as a model for rural development and women's empowerment across the country."
Co-founder, lndustree Foundation Neelam Chhiber said that Bamboo cultivation has immense potential to transform rural economies and improve the lives of countless women. We have created foundations for 5,500 farmers from Karnataka and Maharashtra to have sustainable income from the fourth year and for a minimum of forty years. Through our combined efforts, we aim to provide these women with the skills, resources and market access they need to succeed.
The symposium emphasized bamboo's potential as a sustainable alternative in various industries, aiming to enhance livelihoods and significantly contribute to environmental conservation and sustainable development goals.
Deendayal Antyodaya Yojana aims to empower 1 million rural women as 'Lakhpati Didis' (women earning over INR 100,000 annually) through bamboo farming, driving economic independence and sustainable development across India.
lndustree Foundation's partnership with DAY-NRLM builds on the success of USAID's Producer-Owned Women Enterprises (POWER) project, implemented by lndustree in three states, which has aggregated over 10,000 women into 37 women owned enterprises and farmer producer collectives. These women producers have fulfilled market orders worth over $3 million over the past five years. This successful model will be scaled nationwide in collaboration with State Rural Livelihoods Missions.
दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य बांस की खेती के जरिए 10 लाख ग्रामीण महिलाओं को लखपति दीदी के रूप में सशक्त बनाना है
संगोष्ठी में विभिन्न उद्योगों में एक टिकाऊ विकल्प के रूप में बांस की क्षमता पर जोर दिया गया
दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने संयुक्त राज्य अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) और उद्योग फाउंडेशन के साथ भागीदारी में 18 जुलाई, 2024 को बांस की खेती के जरिए स्थायी ग्रामीण आजीविका, महिला सशक्तिकरण और जलवायु लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए 'बांस पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी' का आयोजन किया।
इस संगोष्ठी में बांस की खेती पर भारत की पहली व्यापक पुस्तिका प्रस्तुत की गई, जो सात क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है, ताकि छोटी जोत वाली महिला किसानों को आवश्यक ज्ञान और अभ्यासों से सुसज्जित किया जा सके। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव श्री चरणजीत सिंह और यूएसएआईडी की कार्यवाहक मिशन निदेशक एलेक्जेंड्रिया ह्यूर्टा ने यूजीएओ ऐप, एक डिजिटल टूल, का भी शुभांरभ किया, जो छोटी जोत वाली महिला किसानों के लिए रियल टाइम डेटा मुहैया कराता है। यह ऐप फॉरेस्ट स्टीवर्डशिप काउंसिल (एफएससी) प्रमाणन के लिए एक ट्रेस करने योग्य आपूर्ति श्रृंखला बनाने में भी सहायता करेगा, जिससे बांस उत्पाद की मांग और निर्यात क्षमता बढ़ेगी।
इस मौके पर, अपर सचिव श्री चरणजीत सिंह ने कहा कि बांस की खेती आजीविका में सुधार लाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। यह कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने तथा सतत विकास को बढ़ावा देने, जलवायु शमन और लचीलेपन को आगे बढ़ाते हुए स्थायी आर्थिक अवसरों को सृजित करने की हमारी प्रतिबद्धता का सबूत है।
यूएसएआईडी की कार्यवाहक मिशन निदेशक एलेक्जेंड्रिया ह्यूएर्टा ने कहा कि लैंगिक असमानताओं को दूर करना और स्थानीय स्तर पर विकास को बढ़ावा देना यूएसएआईडी की वैश्विक रणनीति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। मुझे प्रसन्नता है कि यूएसएआईडी की पावर परियोजना महिलाओं को सशक्त बना रही है और इसने एक सफल, स्थानीय स्तर पर संचालित, प्राकृतिक जलवायु समाधान मुहैया किया है, जिसे एनआरएलएम के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव सुश्री स्वाति शर्मा ने कहा कि बांस की खेती के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना स्थायी आजीविका और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के हमारे मिशन के अनुरूप है। यह कार्यक्रम न केवल आर्थिक अवसरों को मुहैया करवाता है, बल्कि यह पर्यावरणीय स्थिरता में भी योगदान देता है। हमारा विश्वास है कि यह पहल देशभर में ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगी।
उद्योग फाउंडेशन की सह-संस्थापक नीलम छिबर ने कहा कि बांस की खेती में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने और अनगिनत महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने की अपार संभावनाएं हैं। हमने कर्नाटक और महाराष्ट्र के 5,500 किसानों के लिए चौथे वर्ष से लेकर कम से कम चालीस वर्षों तक स्थायी आय के लिए फाउंडेशन बनाए हैं। हमारे संयोजित प्रयासों से, हमारा उद्देश्य इन महिलाओं को वो कौशल, संसाधन और बाजार तक पहुंच प्रदान करना है, जिनकी उन्हें सफल होने के लिए जरूरत है।
इस संगोष्ठी में विभिन्न उद्योगों में एक टिकाऊ विकल्प के रूप में बांस की क्षमता पर बल दिया गया, जिसका उद्देश्य आजीविका को बेहतर बनाना तथा पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान देना है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य बांस की खेती के माध्यम से 10 लाख ग्रामीण महिलाओं को 'लखपति दीदी' (एक वर्ष में 100,000 रुपये से अधिक कमाने वाली महिलाएं) के रूप में सशक्त बनाना है, जिससे देश भर में आर्थिक स्वतंत्रता और सतत विकास को बढ़ावा मिले।
उद्योग फाउंडेशन की डीएवाई-एनआरएलएम के साथ भागीदारी यूएसएआईडी की उत्पादक-स्वामित्व वाली महिला उद्यम (पॉवर) परियोजना की सफलता पर आधारित है, जिसे उद्योग द्वारा तीन राज्यों में कार्यान्वित किया गया है और जिसने 37 महिला स्वामित्व वाले उद्यमों और किसान उत्पादक समूहों में 10,000 से अधिक महिलाओं को एकत्रित किया है। इन महिला उत्पादकों ने पिछले पांच वर्षों में 30 लाख डॉलर से अधिक के बाज़ार ऑर्डर पूरे किए हैं। इस सफल मॉडल को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों के सहयोग से देश भर में फैलाया जाएगा।