प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति (सीसीईए) ने रबी विपणन मौसम (आरएमएस) 2021-22 की सभी अधिदेशित रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) में वृद्धि संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में यह वृध्दि स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसाओं के अनुरुप हैं।
पोषण आवश्यकताओं और बदलती आहार शैली को देखते हुए और दलहनों और तिलहनों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सरकार ने इन फसलों के लिए तुलनात्मक रूप से उच्चतर एमएसपी निर्धारित की है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में उच्चतम बढ़ोतरी की घोषणा मसूर के लिए (300 रू./क्विंटल) के साथ-साथ चना तथा रेपसीड और सरसों (प्रत्येक के लिए 225 रू./क्विंटल) एवं कुसुम्भ (112 रू./क्विंटल) की गई है। जौ और गेहूँ के लिए क्रमश:75 रू./क्विंटल तथा 50 रू./क्विंटल की वृद्धि की घोषणा की गई है। अंतर पारितोषिक रखने का उद्देश्य फसल विविधिकरण को प्रोत्साहित करना है।
विपणन मौसम 2021-22की रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थनमूल्य (एमएसपी)
फसलें |
आरएमएस 2020-21 के लिए एमएसपी (रुपये/क्विंटल) |
आरएमएस 2021-22 के लिए एमएसपी (रुपये/क्विंटल) |
उत्पादन की लागत* 2021-22 (रुपये/क्विंटल) |
एमएसपी में वृद्धि (रुपये/क्विंटल) |
लागत के ऊपर मुनाफा (प्रतिशत में) |
गेहूं |
1925 |
1975 |
960 |
50 |
106 |
जौ |
1525 |
1600 |
971 |
75 |
65 |
चना |
4875 |
5100 |
2866 |
225 |
78 |
लेन्टिल (मसूर) |
4800 |
5100 |
2864 |
300 |
78 |
रेपसीड एवं सरसों |
4425 |
4650 |
2415 |
225 |
93 |
कुसुम्भ |
5215 |
5327 |
3551 |
112 |
50 |
* इसमें सभी भुगतान की गई लागतें शामिल हैं जैसे किराया मानव श्रम, बैल श्रम/मशीन श्रम, पट्टा भूमि के लिए दिया गया किराया, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई प्रभार जैसे भौतिक आदानों के उपयोग पर व्यय, उपकरणों और फार्म भवनों का मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सैटों आदि के प्रचालन के लिए डीजल/बिजली, विविध व्यय और पारिवारिक श्रम का आरोपित मूल्य।
2021-22 विपणन मौसम की रबी फसलों की एमएसपी में वृद्धि, केंद्रीय बजट 2018-19 केएमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुणाके स्तर पर निर्धारित करने की अधिघोषणा की तर्ज पर की गई हैIकिसानों को उनकी उत्पादन लागत पर मुनाफा गेहूं के लिए उच्चतम(106 प्रतिशत) के साथ-साथ रेपसीड तथा सरसों के लिए (93 प्रतिशत),चना औरलेन्टिल के लिए (78 प्रतिशत) अपेक्षित है। जौ के लिए, किसानों को उनके उत्पादन लागत पर मुनाफा 65 प्रतिशत और कुसुम्भ के लिए 50 प्रतिशत आंकलित किया गया है।
समर्थन एमएसपी तथा खरीददारी के रूप में है। अनाजों के मामलें में, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तथा अन्य नामित राज्य एजेंसियां किसानों को मूल्य समर्थन देना जारी रखेगी। सरकार ने दलहनों का बफर स्टॉक तैयार किया है तथा मूल्य स्थिरीकरण निधि (पीएसएफ) के तहत दलहनों की घरेलू खरीद भी की जा रही है।
समग्र योजना “प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान” (पीएम-आशा), जिसमें मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), भावान्तर भुगतान योजना (पीडीपीएस) और प्रायोगिक निजी खरीद तथा भंडारण योजना (पीपीएसएस) शामिल हैं जो कि दलहनों और तिलहनों की खरीद में सहायता करेगी।
वैश्विक कोविड-19 महामारी और तदवर्ती राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बावजूद सरकार द्वारा समय पर किए गए हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप आरएमएस 2020-21 के लिए लगभग 39 मिलियन टन गेहूँ की सर्वकालिक रिकार्ड खरीद हुई है। खरीद प्रचालन अवधि के तहत लगभग 43 लाख किसान[1] लाभान्वित हुए हैं जो कि आरएमएस 2019-20 की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक है।2019-20 में गेहूं की 390 लाख टन की खरीद का अनुमान है, जबकि 2014-15 में280 लाख टन की खरीद की गई थी। 2019-20 में, दालों की 15 लाख मीट्रिक टन की खरीद का अनुमान है, जबकि 2014-15 में 3 लाख टन की खरीद की गई थी। 2019-20 में, तिलहन की 18 लाख मीट्रिक टन की खरीद का अनुमान है, जबकि 2014-15 में, तिलहन की 12 हजार मीट्रिक टन की खरीद की गई थी।
स्वास्थ्य महामारी की वर्तमान स्थिति में, किसानों के द्वारा सामना की जा रही समस्याओं का निराकरण करने की दिशा में सरकार द्वारा समन्वित प्रयास किए जा रहें हैं। किसानों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं के निवारण के लिए, सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न प्रयास इस प्रकार है
- एमएसपी बढ़ाने के साथ साथ उपार्जन प्रक्रिया को दुरुस्त किया ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका लाभ मिले।
- कोबिड महामारी के दौरान गेहूँ के उपार्जन केंद्रों को ढेड गुना तथा दलहन-तिलहन केंद्रों को तीन गुना बढ़ाया।
- महामारी के दौरान 75 हजार करोड़ रूपये लागत पर 390 लाख टन गेहूं का उपार्जन किया गया जो कि विगत वर्ष से लगभग 15 प्रतिशत ज्यादा है।
- पीएम-किसान सम्मान निधि- योजना प्रारंभ से लाभान्वित किसान लगभग 10 करोड़, कुलजारी राशि लगभग 93 हजार करोड़रूपयेहै।
- PM किसान के अंतर्गत कोबिड महामारी के दौरान लगभग 9 करोड़ किसानों को लगभग 38,000 करोड़ रूपये जारी किये गये।
- पिछले लगभग 6 माह में 1.25 करोड़ नये केसीसी जारी किये गए हैं।
- ग्रीष्मकालीन सीजन की बुवाई 57 लाख हेक्टेयर है जो कि गत वर्ष से 16 लाख हेक्टेअर अधिक है। खरीफ बुआई भी विगत वर्ष से 5 प्रतिशत से ज्यादा है।
- कोबिड महामारी के दौरान ई-नाम मंडियों की संख्या 585 से बढकर 1000 हुई है। विगत वर्ष में लगभग ई-प्लेटफार्म पर 35 हजार करोड़ रूपये का व्यापार किया गया।
- अगले पांच वर्षों के दौरान 10,000 एफपीओ के गठन की स्कीम के लिए 6,850 करोड़ खर्च किये जाएगे।
- फसल बीमा योजना अंतर्गत पिछले 4 वर्षों में किसानों ने 17,500 करोड़ रूपये प्रीमियम का भुगतान किया एवं उन्हें 77 हजार करोड़ रु. के दावों का भुगतान किया गया।
- फसल बीमा योजना को स्वैच्छिक बनाया गया है।
- किसान रेल प्रारंभ की गयी है।
किसानों को अपने उत्पाद परंपरागत एपीएमसी मंडी प्रणाली के बाहर बेचने और कृषि व्यापार में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए उचित चैनल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020, और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और सुरक्षा) समझौता अध्यादेश, 2020 प्रख्यापित किए गए हैं। आवश्यक वस्तुएं (संशोधन) अध्यादेश, 2020 प्रभावकारी कृषि खाद्य आपूर्ति श्रृंखला निर्मित करने मूल्य संवर्धन, वैज्ञानिक भंडारण, वेयरहाउसिंग और विपणन अवसंरचना और अधिक निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रख्यापित किया गया है।
कृषि अवसंरचना निधि योजना के तहत, प्रति वर्ष 3 प्रतिशत ब्याज पर छूट के साथ ऋणों और 2 करोड़ रूपए तक के ऋणों के लिए सीजीटीएमएसई (सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट) के तहत ऋण गारंटी कवरेज के साथ ऋणों के रूप में बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा 1 लाख करोड़ रूपए उपलब्ध कराए जाएंगे । यह योजना किसानों, पीएसीएस, एफपीओ, कृषि उद्यमियों इत्यादि को सामुदायिक परिसंपतियाँ तथा फसल कटाई उपरांत कृषि अवसंरचना निर्मित करने में सहायता करेगी।