तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में से प्रत्येक ने 1 लाख टेली-परामर्श दिये
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के‘ई- संजीवनी’ ओपीडी प्लेटफार्म ने 4 लाख टेली-परामर्श का मील का पत्थर प्राप्त कर लिया है। बेहतर प्रदर्शन करने वाले शीर्ष राज्यों में शामिल तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश ने क्रमशः 1,33167 और 1,00124 सत्रों में लॉग-इन किया।
ई-संजीवनी तथा ई–संजीवनी ओपीडी प्लेटफार्मों के माध्यम से अधिकतम परामर्श देने वाले राज्यों मेंहिमाचल प्रदेश (36,527), केरल (33,340), आंध्र प्रदेश (31,034), उत्तराखंड (11,266), गुजरात (8914), मध्य प्रदेश (8904), कर्नाटक (7684) और महाराष्ट्र (7103) शामिल हैं।उपयोग के रुझानों से पता चलता है कि तमिलनाडु के विल्लुपुरम जैसे छोटे जिलों में इस सेवा का तेज गति से प्रसार हुआ है। विल्लुपुरम में 16,000 से अधिक परामर्श दर्ज किये गये हैं, जोकि लाभार्थियों द्वारा टेली-परामर्श सेवा प्राप्त करने के मामले में सबसे शीर्ष जिला है।
बेहतर प्रदर्शन करने वाले 10 शीर्ष जिले इस प्रकार हैं:
‘ई- संजीवनी’ ओपीडी ( जिलों में अपनाये जाने की स्थिति) |
|||
क्र.सं. |
जिला |
राज्य |
परामर्श |
1 |
विल्लुपुरम |
तमिलनाडु |
16368 |
2 |
मदुरै |
तमिलनाडु |
12866 |
3 |
मेरठ |
उत्तर प्रदेश |
10795 |
4 |
तिरुवन्नामलाई |
तमिलनाडु |
9765 |
5 |
नागापट्टिनम |
तमिलनाडु |
9135 |
6 |
तिरुनेलवेली |
तमिलनाडु |
7321 |
7 |
मयिलादुथुरै |
तमिलनाडु |
7131 |
8 |
बहराइच |
उत्तर प्रदेश |
6641 |
9 |
विरुधुनगर |
तमिलनाडु |
6514 |
10 |
थिरुवनंतपुरम |
केरल |
6351 |
राष्ट्रीय स्तर पर, ‘ई- संजीवनी’ ओपीडी प्लेटफार्म का उपयोग 26 राज्यों द्वारा किया जा रहा है तथा विभिन्न राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभागों के 12,000 से अधिक चिकित्सक‘ई- संजीवनी’ प्लेटफार्म पर शामिल हुए हैं और उनकी सेवाएं देश के 510 जिलों के लोगों द्वारा मांगी गई हैं।
अंतिम के 100,000 परामर्श 18 दिनों में मांगे गये, जबकि शुरू के 100,000 परामर्शों में लगभग तीन महीने लगे थे। ‘ई- संजीवनी’ ओपीडी सेवाओं ने कोविड-19 महामारी के दौरान रोगी और डॉक्टर के बीच टेलीमेडिसिन को संभव बनाया है। इसने शारीरिक दूरी को सुनिश्चित करते हुएकोविडके प्रसार को रोकने में मदद की है और साथ ही गैर-कोविडआवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रावधानों को सक्षम किया है।
लगभग 20 प्रतिशत रोगियों ने एक से अधिक बार ‘ई-संजीवनी’ के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं मांगी हैं। रुझान इस तथ्य का संकेत देते हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण के क्रम में इस डिजिटल प्लेटफॉर्म को सेवा प्रदाताओं के साथ-साथ उपयोगकर्ताओं द्वारा भी अपनाया गया है। कुछ राज्य एक दिन में 12 घंटे और सप्ताह में 7 दिन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
शुरुआत में, ‘ई- संजीवनी’ ओपीडी को सामान्य ओपीडी सेवा के एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के रूप में शुरू किया गया था, लेकिन इसकी उपयोगिता और जनता द्वारा तेजी से अपनाये जाने को देखते हुए, राज्य के स्वास्थ्य विभागों ने विशेषज्ञ ओपीडी शुरू करने की भी इच्छा जतायी। इसके अनुरूप, ‘ई- संजीवनी’ ओपीडी को कई समवर्ती विशेषज्ञता और सुपर स्पेशियलिटी ओपीडी की मदद करने की दृष्टि से बेहतर बनाया गया। आज ‘ई- संजीवनी’ ओपीडी प्लेटफार्म 196 ऑनलाइन ओपीडी चला रहा है, जिसमें 24 राज्यों में 27 सामान्य ओपीडी और 169 विशेष और सुपर-स्पेशियलिटी ओपीडी शामिल हैं। एम्स भटिंडा, एम्स ऋषिकेश, एम्स बीबीनगर, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं संबद्ध अस्पताल, रीजनल कैंसर सेंटर (तिरुवनंतपुरम), कोचीन कैंसर सेंटर (एर्नाकुलम) जैसे प्रीमियर संस्थान भी राज्यों में मरीजों को विशेष सेवाएं प्रदान करने के लिए ‘ई-संजीवनी’ प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना ने नई दिल्ली में अपने लाभार्थियों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए ‘ई-संजीवनी’ प्लेटफॉर्म पर चार विशेष ओपीडी की स्थापना की है। सीजीएचएस इन टेलीमेडिसिन सेवाओं को अपने लाभार्थियों के लिए अन्य राज्यों में भी विस्तारित करने की योजना बना रहा है।
राज्यों ने इस टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म के अभिनव अनुप्रयोगों को भी डिजाइन किया है। केरल में, पलक्कड़ जिला जेल के कैदियों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए ‘ई-संजीवनी’ प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है। तमिलनाडु में, ‘ई- संजीवनी’ प्लेटफॉर्म ने चिकित्सकों को मरीजों को उनके घरों में रहते हुए ही जीवन रक्षक हस्तक्षेप करने में सक्षम बनाया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ‘ई- संजीवनी’ प्लेटफॉर्म को मोहाली स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस कंप्यूटिंग द्वारा विकसित किया गया है। यह विश्व स्तर पर एक अभिनव डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे किसी देश की सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए स्थापित किया जाना है। ‘ई- संजीवनी’ दो प्रकार की टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान करता है। डॉक्टर-से-डॉक्टर (‘ई-संजीवनी’) और रोगी-से-डॉक्टर (‘ई-संजीवनी’ ओपीडी) टेली-परामर्श सेवा। पहली सेवा आयुष्मान भारत एवं स्वास्थ्य कल्याण केंद्र (एबी –एचडब्ल्यूसी) कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसकी शुरुआत नवंबर 2019 में हुई थी। इसका उद्देश्य दिसंबर 2022 तक 'हब एंड स्पोक' मॉडल के सभी 1.5 लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में टेली-परामर्श को लागू करना है। राज्यों को मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में समर्पित 'हब' को पहचानने और स्थापित करने की जरुरत है ताकि 'स्पोक्स', यानी एसएचसी और पीएचसी को टेली-परामर्श सेवाएं प्रदान की जा सकें। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के कारण इस वर्ष की 13 अप्रैल को रोगी-से-डॉक्टर टेलीमेडिसिन को संभव बनाने वाली दूसरी टेली-परामर्श सेवा ‘ई- संजीवनी’ ओपीडी शुरू की।
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