Over the last five years, MGNREGA has become the main force that is driving water conservation efforts all across rural India. The scheme has now evolved from being merely a mitigator of rural distress into focused campaign to raise rural incomes through Natural Resource Management (NRM) works. In 2014, the amendment to MGNREGA Schedule-I was done which mandates that at least 60% expenditure will be on agriculture and allied activities was done. Consequently, a list of permissible works under the Act now has nearly 75% activities that directly improve the water security and water conservation efforts.
The expenditure on NRM work expenditure has been rising in a sustained manner over the last five years. The NRM Expenditure under MGNREGS over the 5 years (FY 2014-2019) is as under:-
(Source: www.nrega.nic.in)
Approximately 60% of the resources are spent on Natural Resource Management (NRM). The NRM works are focused on ensuring higher incomes to farmers by improving both the area under cultivation and yield of crops. This is done by improving the productivity of land and increasing the water availability. The major works taken up under NRM include check dam, ponds, renovation of traditional water bodies, land development, embankment, field bunds, field channels, plantations, contour trenches etc. During the last 5 years 143 lakh hectares of land benefitted through these interventions.
The MGNREGA has been working in convergence with various States in implementing schemes tailor made for the area. The NRM works comprise of a complete tool kit to tackle the problem of water conservation. The list of activities are so designed that it suits the varying requirements of the States according to their topography. This has resulted in many of the States pooling their own resources along with MGNREGA funds to take up water conservation works with a lot of enthusiasm. The effort has been to involve the community in planning and implementation efforts. However, the individual beneficiaries have also been roped in to meet their requirements. The community is responsible for selection of works, selection of beneficiaries and the maintenance of assets.
Government has created a new Ministry of Jal Shakti to allow faster decision making on all subjects related to water. On 1st July, 2019 the GoI has launched the ambitious Jal Shakti Abhiyan (JSA) across 256 districts covering 1593 water stress blocks with a focus on water conservation and rain water harvesting. The effort will be to make water conservation a “mass movement” like Swachhata Abhiyan in the country MGNREGA is a key partner in the JSA and is committed to make it a success
मनरेगा के तहत जल संरक्षण
पिछले पांच वर्षों के दौरान मनरेगा एक ऐसी प्रमुख ताकत बनकर उभरी है जो समस्त ग्रामीण भारत में जल संरक्षण के प्रयासों को आगे बढ़ा रही है। इस योजना के जरिए पहले मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में गहराए संकट को कम करने पर ध्यान दिया जाता रहा है, लेकिन अब यह राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) से जुड़े कार्यों के जरिए ग्रामीण आमदनी बढ़ाने के एक ध्यान केन्द्रित अभियान में तब्दील हो गई है। वर्ष 2014 में मनरेगा अनुसूची-I में संशोधन किया गया जिसके तहत यह अनिवार्य किया गया है कि कम से कम 60 प्रतिशत व्यय कृषि एवं उससे जुड़ी गतिविधियों पर करना होगा। इसके परिणामस्वरूप अधिनियम के तहत स्वीकृति योग्य कार्यों की एक सूची तैयार की गई है जिसमें ऐसी लगभग 75 प्रतिशत गतिविधियों या कार्यकलापों का उल्लेख किया गया है जो जल सुरक्षा एवं जल संरक्षण के प्रयासों को सीधे तौर पर बेहतर बनाते हैं।
पिछले पांच वर्षों के दौरान एनआरएम से जुड़े कार्यों पर किए गए खर्चों में निरंतर बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
संसाधनों का लगभग 60 प्रतिशत राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) पर खर्च किया जाता है। एनआरएम से जुड़े कार्यों के तहत फसलों के बुवाई क्षेत्र (रकबा) और पैदावार दोनों में ही बेहतरी सुनिश्चित कर किसानों की आमदनी बढ़ाने पर फोकस किया जाता है। भूमि की उत्पादकता के साथ-साथ जल उपलब्धता भी बढ़ाकर यह संभव किया जाता है। एनआरएम के तहत किए गए प्रमुख कार्यों में चेक डैम, तालाब, पारंपरिक जल क्षेत्रों का नवीनीकरण, भूमि विकास, तटबंध, फील्ड चैनल, वृक्षारोपण, इत्यादि शामिल हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान 143 लाख हेक्टेयर भूमि इन कार्यों से लाभान्वित हुई है।
सरकार ने जल से संबंधित सभी विषयों पर त्वरित निर्णयों को लिया जाना सुनिश्चित करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के नाम से एक नया मंत्रालय बनाया है। भारत सरकार ने 1 जुलाई, 2019 को 256 जिलों में महत्वाकांक्षी ‘जल शक्ति अभियान (जेएसए)’ का शुभारंभ किया है जिसके तहत पानी की समस्या से जूझ रहे 1593 ब्लॉकों को कवर किया जाएगा और जिसके तहत जल संरक्षण एवं वर्षा जल के संचय पर फोकस किया जाएगा। देश में स्वच्छता अभियान की भांति ही जल संरक्षण को भी एक ‘जन आंदोलन’ का रूप देने का प्रयास किया जाएगा। मनरेगा दरअसल ‘जल शक्ति अभियान (जेएसए)’ में एक प्रमुख साझेदार है और इसे सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।