इसके दायरे में 76% से अधिक जनसंख्या आती है और 2023 तकराज्य की पूरी जनसंख्या को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य है
जल शक्ति मंत्रालय जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में सहायता करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के साथ लगातार काम कर रहा है। मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल की थी।इसके तहत 2024 तक 18 करोड़ ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन के जरिए प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन 55 लीटर पेय जल उपलब्ध कराने का महत्वाकांक्षी और महत्वपूर्ण उद्देश्य तय किया गया था। यह योजना सभी राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों के लिए काफी लाभकारी है, विशेष रूप से घरों में नल के पानी का कनेक्शन होने से महिलाओं और बच्चों को बहुत सारे लाभ मिलेंगे।मिशन विशेष रूप से उन राज्यों को लाभान्वित कर रहा है जो अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पानी की समस्या का सामना रहे हैं।
गुजरात राज्य एक ऐसा राज्य है जो भौगोलिक रूप से शुष्क परिस्थितियों के कारण पानी की समस्याओं का सामना कर रहे हैं और जल जीवन मिशन इस क्षेत्र के लोगों के लिए एक वरदान की तरह है।गुजरात ने आज राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के अधिकारियों के सामने अपनी मध्यावधि समीक्षा प्रस्तुत की।ये अधिकारी पूरे देश में मिशन की प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं। गुजरात की वर्ष 2022-23 तक 100% घरों में नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना है। गुजरात में 35,996 आवास, 18,191 गांव, 13,931 ग्राम पंचायत, 247 प्रखंड और 33 जिलों के साथ कुल घरों की संख्या 93,02,583 है।अब तक की प्रगति में, राज्य ने 8,50,871 चालू घर नल कनेक्शन (एफएचटीसी) देने में सफलता प्राप्त की है जो तय किए गए लक्ष्य का 76.29% है।
मध्यावधि समीक्षा इस दिशा में की गयी राज्य की अच्छी प्रगति को काफी हद तक दर्शाती है जिसे बनाए रखने की जरूरत है और इससे जुड़ेवित्तीय व्यय में तेजी लाने की आवश्यकता है।ग्राम जल स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी)को लेकर उपयोगिता आधारित दृष्टिकोण के लिए गुजरात एक आदर्श हो सकता है।राज्य जल जीवन मिशन कार्यक्रम में आईओटी/सेंसर आधारित पायलट में भी तेजी ला सकता है।मंत्रालय ने राज्य सरकार के अधिकारियों से दो अक्टूबर, 2020 को शुरू किए गए 100 दिन के विशेष अभियान के तहत सभी आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों में पाइप जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया ताकि इन संस्थानों में पेय जल का आपूर्ति की व्यवस्था हो और हमारे बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित हो जिसकी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने परिकल्पना की है।
राज्य की समीक्षा में वांछित परिणाम हासिल करने के लिए ‘आसानी से मिलने वाली चीजों’ के सर्वोत्कृष्ट इस्तेमाल पर प्रकाश डाला गया।क्यू एंड क्यू प्रखंड (ऐसे ब्लॉक जहां समस्या नहीं है और पानी की गुणवत्ता को लेकर कोई दिक्कत नहीं है) के तहत आने वाले 7,843 गांवों में से 5,328 गांवों को उपरोक्त श्रेणियों में जल आपूर्ति योजनाओं में शामिल करने के लिए तत्काल विचार किया जा सकता है क्योंकि वहां पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इन गांवों को योजना में जोड़ने की मंजूरी दी जानी चाहिए और यह काम इस साल पूरा हो जाना चाहिए।गुजरात में दो आकांक्षी जिले हैं- दाहोद और नर्मदा। दाहोद जिले के कुल 722 गांवों में से, 703 गांवों में पेय जल योजना काम कर रही है।हालांकि, केवल 107 गांवों में 100% चालू घर नल कनेक्शन हैं।नर्मदा जिले के सभी 541 गांवों में पेय जल योजना काम कर रही है लेकिन केवल 122 गांवों में 100% चालू घर नल कनेक्शन हैं।4,71,629 घरों में से, 4,68,424 घरों में पेय जल योजना की पहुंच है, हालांकि केवल 2,31,920 (49.17%) घरोंमें नल कनेक्शन हैं।राज्य की योजना 2022 तक एक आकांक्षी जिले को संतृप्त करने की है।
गुजरात के अधिकतर हिस्से शुष्क हैं; इसलिए राज्य सरकार रेगिस्तान और सूखा प्रवण क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रही है।इसी तरह, योजना में आकांक्षी जिलों, सांसद आदर्श ग्राम योजना, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों को विशेष महत्व दिया जाएगा। ये लक्ष्य पाने और अन्य के लिए, केंद्र ने राज्य को 883.07 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं; 15वें वित्त आयोग ने भी राज्य को 3,195 करोड़ दिए हैं। इसके अलावा, राज्य को अभिसरण के तहत 2020-21 के लिए मनरेगा कोष, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) निधि जैसे अन्य उपलब्ध संसाधनों का कुशलतापूर्वक इस्तेमाल करना होगा औरग्रामीण स्तरपर निधि का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना होगा।
राज्य ने पेयजल तक पहुंच बढ़ाने के लिए किए गए कई प्रयासों की जानकारी दी है।गुजरात ने पानी की बर्बादी को रोकने के लिए जल आपूर्ति (संरक्षण) अधिनियम, 2019 पारित किया है।राज्य ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी)के साथ साझेदारी में 50 केएलडीसे 200 केएलडी की क्षमता के साथ तटीय गांवों के लिए सौर तापीय आसवन संयंत्र के लिए पायलट शुरू किया है।बॉयोमीट्रिक उपस्थिति, दैनिक आधार पर गुणवत्ता और मात्रा की रिपोर्टिंग, उपचारात्मक और निवारक रखरखाव और भविष्य के कोष कीपात्रता के साथ गतिशील ठेकेदारों की रैंकिंग जोड़ते हुए जलापूर्ति योजनाओं के संचालन एवं रखरखाव (ओ एंड एम) में सुधार के लिए कदम उठाए गए हैं।
गुणवत्ता का आकलन करने और आम जनता के लिए जल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं तक पहुंच को सक्षम करने के लिए पेय जल की जांच सिफारिश की। स्रोत स्थिरता और ग्रे वाटर मैनेजमेंट पर ध्यान देना जारी रहेगा।समीक्षा बैठक में कहा गया कि स्रोत का रासायनिक परीक्षण 12.36% है और बैक्टीरियोलॉजिकल परीक्षण, योजनाबद्ध परीक्षणों का केवल 13.89% है।राज्य को फील्ड टेस्ट किट (FTKB) के माध्यम से पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए प्रत्येक गांव में कम से कम पांच व्यक्तियों के प्रशिक्षण पर सलाह दी गई, बेहतर होगा किये महिलाएं हों। राज्य को ग्राम पंचायत के अधिकारियों के साथ-साथ अन्य हितधारकों के क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने की सलाह दी गई और ग्राम स्तर पर प्रशिक्षित मानव संसाधनों का एक पूल बनाने के लिए गांवों में कौशल विकास प्रशिक्षण पर ध्यान करने को कहा गया।यह जलापूर्ति योजनाओं के कार्यावन्यन और साथ ही संचालन एवं रखरखाव (ओ एंड एम) में काफी मददगार होगा।