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Will Help In Minimising Environmental Pollution& Will be An Option For Getting Cheaper Sand for Construction Purpose
*Better quality sand to be offered at almost 10 per cent of market price
*Western Coalfields Ltd (WCL) takes up the very first initiative
* Reduces adverse footprint of river bed mining of sand
Even as the mandate is to produce and despatch coal to its consumers, Coal India Ltd. (CIL) has taken an out of box initiative to produce sand from overburden at a much cheaper price. This will not only help in minimising environmental pollution due to sand siltation from overburden, but will be also an option for getting cheaper sand for construction purpose. Production of sand has already started and a roadmap of next five years has been drawn to maximise the output of sand from different coal producing companies under CIL and to become one of the major suppliers of sand in near future.
In this effort, CIL aims to reach a production level of around 8 million tonnes of sand within the next five years by commissioning 15 major Sand Plants in its different coal producing subsidiaries. By the end of current fiscal, CIL envisages to have 9 out of 15 plants with a production of around three lakh cubic meter. This effort will not only help the society at large but will also help in minimising river bed mining of sand.
During opencast mining of coal, the strata lying above coal seam is known as overburden comprising of clay alluvial sand and sandstone with rich silica content. The overburden is removed to expose and extract coal from beneath. After completion of coal extraction, the overburden is used for back filling to reclaim the land in its original shape. While extracting overburden from top, swell factor of the volume accounts for 20-25%. Initiative has been taken to utilise at least 25% of overburden in converting to sand by crushing, sievingand cleaning.
The very first initiative of such conversion has been taken by Western Coalfields Ltd.(WCL), a subsidiary of CIL in its mines. Initially a Pilot Project was launched where sand was extracted through machines erected departmentally. This sand has been offered to Nagpur Improvement Trust at a much cheaper price for constructing low cost houses under Pradhan Mantri Awaas Yojana (PMAY). The price of sand is almost 10% of the market price with better quality. On huge success of the project and with growing demand of cheaper sand, WCL launched commercial production by commissioning the largest sand production plant of the country near Nagpur. This unit produces 2500 cubic metre of sand per day at about half the market price. Major chunk of the sand produced from this plant is being given to Govt. units such as NHAI, MOIL, Mahagenco and other smaller units at one third of the market price. Rest of the sand is being sold through open auction in the market which is helping locals to get sand at a much cheaper price. The use of overburden has minimised the volume of land required for overburden dump. This initiative also lowers the adverse footprint of river bed mining of sand. WCL is also selling overburden for road construction at a cheaper price to NHAI & others. Two new plants in Chandrapur District of Maharashtra have been planned by WCL, which is likely to be commissioned by the year end.
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने ओवरबर्डन से बहुत ही सस्ती कीमत पर रेत का उत्पादन करने वाली अनूठी पहल की शुरूआत की
* बेहतर गुणवत्ता वाली रेत बाजार मूल्य के लगभग 10% दर पर उपलब्ध कराई जाएगी
*वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) ने सबसे पहले इस पहल की शुरूआत की
* यह नदी तल से रेत खनन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करता है
हालांकि उसे अपने उपभोक्ताओं के लिए कोयले का उत्पादन करने और प्रेषण करने की अनुमति प्राप्त है, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने ओवरबर्डन से बहुत ही सस्ती दर पर रेत का उत्पादन करने के लिए अनूठे पहल की शुरूआत की है। इससे न केवल ओवरबर्डन से रेत गाद के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाने में सहायता मिलेगी, बल्कि निर्माण कार्य के लिए सस्ती रेत प्राप्त करने का एक विकल्प भी प्राप्त होगा। रेत उत्पादन की शुरूआत पहले ही की जा चुकी है और सीआईएल के अंतर्गत विभिन्न कोयला उत्पादक कंपनियों से रेत का उत्पादन अधिकतम करने और निकट भविष्य में रेत के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक बनने के लिए अगले पांच वर्षों का रोडमैप तैयार किया गया है।
इस प्रयास में, सीआईएल का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में अपनी विभिन्न कोयला उत्पादक सहायक कंपनियों में 15 प्रमुख रेत संयंत्रों को चालू करके रेत उत्पादन के स्तर को लगभग 8 मिलियन टन तक पहुंचना है। चालू वित्त वर्ष के अंत तक, सीआईएल की परिकल्पना 15 में से 9 संयंत्रों में लगभग तीन लाख घन मीटर का उत्पादन करना है। इस प्रयास से न केवल समाज को बड़े पैमाने पर सहायता प्राप्त होगी बल्कि नदी तल से रेत खनन में कमी लाने में भी मदद मिलेगी।
कोयले की खुली खुदाई के दौरान, कोयले की परत के ऊपर के स्तर को ओवरबर्डन के रूप में जाना जाता है, जो मिट्टी के जलोढ़ रेत और बलुआ पत्थर के साथ समृद्ध सिलिका सामग्री से युक्त होता है। नीचे से कोयला निकालने और छांटने के लिए ओवरबर्डन को हटाया जाता है। कोयला निकालने की प्रक्रिया पूरा होने के बाद, ओवरबर्डन का उपयोग भूमि को उसके मूल आकार में लाने के लिए बैक फिलिंग कार्य के लिए किया जाता है। ऊपर से ओवरबर्डन निकालते समय, वॉल्यूम का स्फीति कारक 20-25 प्रतिशत होता है। ओवरबर्डन का कम से कम 25 प्रतिशत उपयोग करने की पहल की गई है, जिससे इसको कुचलकर, छानकर और साफ करके बालू में परिवर्तित किया जा सके।
इस प्रकार के रूपांतरण की शुरूआती पहल सीआईएल की एक सहायक कंपनी, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) द्वारा की गई है। प्रारंभ में एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई थी जिसमें विभागीय रूप से खड़ी मशीनों के माध्यम से रेत निकाली गई थी। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के अंतर्गत कम लागत वाले मकानों का निर्माण करने के लिए नागपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को बहुतही सस्ती कीमत पर यह रेत ऑफर की गई है। बेहतर गुणवत्ता के साथ इसरेत की कीमत बाजार मूल्य का लगभग 10% है। परियोजना की भारी सफलता और सस्ते रेत की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए, डब्ल्यूसीएल द्वारा नागपुर के पास देश की सबसे बड़ी रेत उत्पादन संयंत्र को चालू करके वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया गया है। इस यूनिट में प्रतिदिन 2500 घनमीटर रेत का उत्पादन होता है, जो बाजार मूल्य कालगभग आधा है। इस प्लांट से उत्पादित किए गए रेत का बड़ा हिस्सा सरकारी इकाइयों जैसे एनएचएआई, एमओआईएल, महाजेनको और अन्य छोटी इकाइयों को बाजार मूल्य की एक तिहाई दर पर प्रदान किया जा रहा है। बाकि बचे हुए रेत को बाजार में खुली नीलामी के माध्यम से बेचा जा रहा है जिससे स्थानीय लोगों को बहुत ही सस्ती दर पर रेत की प्राप्ति हो रही है। ओवरबर्डन का उपयोग होने से ओवरबर्डन डंप के लिए आवश्यक भूमि की मात्रा में भी कमी आई है। इस पहल से नदी तल से रेत खनन के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभावोंमें भी कमी आयी है। डब्ल्यूसीएल द्वारा एनएचएआई एवं अन्य को सस्ती दर पर सड़क निर्माण करने के लिए भी ओवरबर्डन बेची जा रही है। डब्ल्यूसीएल ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में दो नए संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है, वर्ष के अंत तक इनके चालू होने की संभावना है।