To help assess the progress made in cities through various initiatives and empower them to use evidence to plan, implement & monitor their performance, two Assessment Frameworks, viz. Ease of Living Index (EoLI) and Municipal Performance Index (MPI) 2019 have been launched by the Ministry of Housing & Urban Affairs. Both these indices are designed to assess quality of life of citizens in 100 Smart Cities and 14 other Million Plus Cities. With the Municipal Performance Index 2019, the Ministry has sought to assess the performance of municipalities based on five enablers namely Service, Finance, Planning, Technology and Governance which have been further divided into 20 sectors which will be evaluated across 100 indicators. This will help Municipalities in better planning and management, filling the gaps in city administration, and improving the liveability of cities for its citizens.
Ease of Living Index is aimed at providing a holistic view of Indian cities - beginning from the services provided by local bodies, the effectiveness of the administration, the outcomes generated through these services in terms of the liveability within cities and, finally, the citizen perception of these outcomes. The key objectives of the Ease of Living Index are four-folds, viz. a) generate information to guide evidence-based policy making; b) catalyse action to achieve broader developmental outcomes including the SDG; c) assess and compare the outcomes achieved from various urban policies and schemes; and d) obtain the perception of citizens about their view of the services provided by the city administration. EoLI 2019 will facilitate the assessment of ease of living of citizens across three pillars: Quality of Life, Economic Ability and Sustainability which are further divided into 14 categories across 50 indicators.
All participating cities have appointed nodal officers whose responsibility is to collect and collate the relevant data points from various departments both within and outside of the ULB and upload the same along with supporting documents in the exclusive web portal designed for this purpose. This portal was formally launched by Durga Shanker Mishra, Secretary, Ministry of Housing and Urban Affairs, Government of India, on the 19th of December 2019.
The Ministry has made several provisions for providing assistance to cities in this process of collection, collation and uploading of data. There is a central help desk which is used by nodal officers to seek process – specific and indicator specific clarifications and assistance as and when required. There are also 50 + assessors who have been posted on the ground to work with the nodal officers to collect and collate information from various departments, as well as to assist in uploading data and documents to the specifications of the assessment protocol.
For the first time, as part of the Ease of Living Index Assessment, a Citizen Perception Survey is being conducted on behalf of the Ministry (which carries 30% of the marks of the Ease of Living Index). This is a very important component of the assessment exercise as it will help in directly capturing perception of citizens with respect to quality of life in their cities. This survey, which is being administered both online and offline, has commenced from 1st February 2020 and will continue till 29th February 2020. The offline version involving face-to-face interviews will commence on the 1st of February and will run parallel to the on-line versions. The same is being promoted through bulk SMS push as well as extensive coverage in social media.
ईज ऑफ लिविंग सूचकांक और नगर पालिका कार्य प्रदर्शन सूचकांक 2019 की शुरूआत
विभिन्न पहलों के माध्यम से शहरों में हुई प्रगति का आकलन करने और उन्हें अपने कार्य प्रदर्शन की योजना बनाने, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए साक्ष्यों के उपयोग में सशक्त बनाने के लिए आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने दो सूचकांक यानी ईज़ ऑफ लिविंग (जीवन सुगमता) सूचकांक (ईओएलआई) और नगरपालिका कार्य प्रदर्शन सूचकांक (एमपीआई) 2019 लॉंच किये हैं। इन दोनों सूचियों को 100 स्मार्ट शहरों और 10 लाख से अधिक आबादी वाले 14 अन्य शहरों में नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नगरपालिका के कार्य प्रदर्शन सूचकांक 2019 के साथ, मंत्रालय ने पांच क्षेत्रों यानी सेवा, वित्त, योजना, प्रौद्योगिकी और शासन के आधार पर नगरपालिकाओं के कार्य प्रदर्शन का आकलन करने की मांग की है। इन्हें आगे 20 अन्य क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिनका 100 संकेतकों में आकलन किया जाएगा। इससे नगरपालिकाओं को बेहतर नियोजन और प्रबंधन में मदद मिलने के अलावा नगर प्रशासन में खामियों को दूर करने और नागरिकों की शहरों में रहने लायक स्थिति को सुधारने में सहायता मिलेगी।
ईज़ ऑफ लिविंग सूचकांक का उद्देश्य स्थानीय निकायों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं, प्रशासन की प्रभावशीलता, शहरों के रहने लायक स्थिति के रूप में इन सेवाओं के माध्यम से सृजित परिणाम और आखिरकार इन परिणामों के लिए नागरिक अवधारणा से शुरू करके भारतीय शहरों का समग्र दृष्टिकोण उपलब्ध कराना है। ईज़ ऑफ लिविंग सूचकांक के प्रमुख उद्देश्य चार स्तरों अर्थात - क) साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के मार्ग दर्शन के लिए जानकारी का सृजन करना; ख) स्वयं सहायता समूह (एसडीजी) सहित व्यापक विकासात्मक परिणाम अर्जित करने के लिए कार्रवाई को उत्प्रेरित करना; ग) विभिन्न शहरी नीतियों और योजनाओं से अर्जित परिणामों का आकलन और तुलना करना; और घ) शहरी प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं के बारे में नागरिकों की अवधारणा प्राप्त करना है। ईओएलआई 2019 तीन स्तंभों - जीवन की गुणवत्ता, आर्थिक क्षमता और स्थिरता के बारे में नागरिकों ईज़ ऑफ लिविंग आकलन में मदद करेगा। इन स्तंभों को आगे 50 संकेतकों की 14 श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं।
सभी भाग लेने वाले शहरों ने नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, जिनकी जिम्मेदारी यूएलबी के अंदर और बाहर विभिन्न विभागों से संबंधित डेटा अंकों को एकत्र करना और इनकी तुलना करना तथा इन्हें इस उद्देश्य के लिए डिज़ाइन किए गए विशेष वेब-पोर्टल में सहायक दस्तावेजों के साथ अपलोड करना है। इस पोर्टल की आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा द्वारा 19 दिसंबर 2019 को शुरूआत की गई थी।
मंत्रालय ने डेटा का संग्रह करने, तुलना करने और अपलोड करने की इस प्रक्रिया में शहरों की मदद करने के लिए कई प्रावधान किए हैं। एक केंद्रीय हेल्पडेस्क मौजूद है जिसे जरूरत पड़ने पर नोडल अधिकारियों द्वारा प्रक्रिया की तलाश करने- विशेष और संकेतक विशिष्ट स्पष्टीकरण और सहायता के लिए उपयोग किया जाता है। 50 से भी अधिक मूल्यांकनकर्ता हैं जो विभिन्न विभागों से जानकारी एकत्र करने के साथ-साथ आकलन प्रोटोकॉल् के विनिर्देशों के लिए दस्तावेज और डेटा अपलोड करने में नोडल अधिकारियों की सहायता करते हैं।
पहली बार, ईज ऑफ लिविंग सूचकांक आकलन के हिस्से के रूप में, मंत्रालय की ओर से (जिसमें ईज ऑफ लिविंग सूचकांक के 30% अंक निर्धारित हैं) एक नागरिक अवधारणा सर्वेक्षण किया जा रहा है। यह आकलन प्रकिया का महत्वूर्ण घटक है क्योंकि यह नागरिकों की अपने शहरों में जीवन की गुणवत्ता के संबंध में अवधारणा का सीधा पता लगाने में मदद करेगा। यह सर्वेक्षण, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से किया जा रहा है जो पहली फरवरी 2020 से शुरू हुआ है और यह 29 फरवरी 2020 तक जारी रहेगा। ऑफ़लाइन संस्करण में आमने-सामने बैठक साक्षात्कार लिये जाएंगे। यह 1 फरवरी से शुरू होगा और ऑन लाइन संस्करण के समानांतर चलेगा। इसे बड़ी मात्रा में एसएमएस मदद के साथ-साथ सोशल मीडिया में व्यापक कवरेज के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है।