दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम
देश में दलहन की बढ़ती कीमत पर नियंत्रण लगाने के लिए केद्र सरकार कई स्तर पर प्रयास कर रही है। एक तरफ सरकार विदेशों से दलहन आयात कर, और घरेलू स्तर पर जमाखोरों पर कार्रवाई कर जनता को राहत देने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर दलहन के उत्पादन बढ़ाने और दलहन उगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए भी कदम उठाए हैं। हाल ही में सरकार ने किसानों को दलहन फसलों के लिए दिए जाने वाले समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोतरी की है, ताकि किसान अधिक से अधिक रकबे में दलहन की फसल लगाये। केंद्र सरकार दलहन उत्पादक किसानों को प्रोत्साहित करने व दीर्घकालिक नीति बनाने केलिए मुख्य आर्थिक सलाहकार के तहत एक समिति को गठित करने का फैसला किया है जो एमएसपी और बोनस का पुनरीक्षण करेगी।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा दलहन उत्पादन के लिए कई प्रमुख कदम उठाए गए हैं। एक ओर वर्ष 2013—14 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत दलहन उत्पादन में सिर्फ 16 राज्यों के 482 राज्यों को ही शामिल किया गया था। अब इसे बढ़ाकर 29 राज्यों के सभी 638 जिलों को शामिल किया गया है। इस मिशन में गोवा और केरल के साथ ही 8 उत्तर पूर्वी राज्यों व 3 पहाड़ी राज्यों को भी शामिल कर लिया गया है। इसके साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के लिए कुल आवंटित राशि 1700 करोड़ रूपया हैं। इसमें दलहन के लिए 1630 करोड़ रूपए आवंटित किए गए। इसमें केंद्र सरकार द्वारा 1100 करोड़ रूपए आवंटित किए गये जबकि 430 करोड़ रूपया राज्यों का अंश है।
एनएफएसएम द्वारा दलहन के लिए कुल आवंटित राशि का 15 फीसदी हिस्सा दलहन की नई किस्मो के बीज उत्पादन के लिए आवंटित किए गए हैं। यूपीए सरकार के दौरान वर्ष 2013-14 तक जहां राज्यों के माध्यम से नई क़िस्मों के बीज वितरण हेतु किसानों को सिर्फ 12 रु/किलो का अनुदान दिया जा रहा था उसे बढ़ाकर वर्ष 2014-15 से 25 रु/किलो किया गया । नई किस्मों के बीजो के प्रसार के लिए 7.85 लाख दलहन छोटे पैकेट (मिनी कीट) राज्य सरकारों के माध्यम से किसानो को वर्ष 2016-17 में मुफ्त वितरण किया जा रहा है।
वर्ष 2016-17 में कृषि अनुसंधान परिषद एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से दालों के लिए 31000 हेक्टर मे नई तकनीको के प्रदर्शन किए जा रहे हैं। यह कार्य के लिए 534 कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा किया जाएगा जिसके लिए 25.29 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। विभिन्न संस्थानों में मसलन आईसीएआर संस्थान, राज्य कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रो पर बीज हब बनाने का काम किया जा रहा है,ताकि इन जगहों पर नए किस्मों के बीजो की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। केंद्र सरकार 3 वर्षों में 150 बीज हब स्थापित करेगी जिससे कुल 1.50 लाख किवटल उन्नत बीजो की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इसके लिए वर्ष 2016-17 से 2017-18 के दौरान 139.50 करोड़ के साथ 93 बीज केन्द्रो की स्थापना का अनुमोदन कर दिया गया है जिसमे 80.44 करोड़ 2016-17 के लिए प्रस्तावित है। सरकार दलहन की नई किस्मों के विकास की दिशा में भी काम कर रही है। दलहनों की नई किस्मो के प्रजनक बीज की उपलब्धता बढ़ाने की लिए आईसीएआर संस्थान एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को वर्ष 2016-17 के दौरान 20.39 करोड़ धनराशि का आवंटन किया गया ।
सरकार द्वारा उत्पादन बढ़ोतरी के साथ ही भंडारण पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है।सरकार दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सघन खेती को भी प्रोत्साहित कर रही है। तिलहन, कपास आदि अन्य फसलों के साथ दलहन के अंतर फसलन, ग्रीष्मकालीन मूंग, धान के खेतो की मंडेर पर अरहर की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।सरकार द्वारा किसान उत्पादक संघो (एफ़ पी ओ) को विशेष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि बीज का उपज, खरीद और उन्नत प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने, फसल बिक्री पर उचित मूल्य देकर, छोटे एवं सीमांत किसानो की सहायता की जा सके। इसके साथ ही अलावा छोटे दाल मिलों को बढ़ावा दिया जा रहा है । हाल ही में दलहन के बफर स्टॉक की सीमा 8 लाख से बढ़ाकर 20 लाख टन की गई। भारत सरकार की केन्द्रीय खरीद एजेसियां (नेफेड, एफ. सी .आई, एस. एफ. ए.सी) द्वारा वर्ष 2015-16 में उडद एंव तुर की कुल 50422.50 मैट्रिक टन जो निर्धारित 50000 टन के लक्ष्यों से अधिक है। अरहर की खरीद 7500-9800 रूपया प्रति क्विंटलएवंउडदकीखरीद9600-12000 रूपया प्रति क्विंटल की दर से की गई है ।
वर्ष 2016-17 में ही केन्द्रीय खरीद एजेसियां (नेफेड, एफ. सी .आई, एस. एफ. ए.सी) द्वारा चना एवं मसूर की 10 जूलाई तक 69000 टन की खरीदगी की जा चुकी है। हालांकि सरकार का खरीदगी लक्ष्य 1.00 लाख टन का है। चना की खरीदगी प्रति क्विंटल 4900-7000 रूपए की दर से एवं मसूर की खरीदगी 5400-8500 प्रति क्विंटल की दर से की गई है। चना एवं मसूर के साथ ही उड़द एवं तुर के खरीदगी का काम भी तेजी से हो रहा है। 2015-16 में उडद एंव तुर की कुल 50422.50 मैर्टिक टन की खरीदगी हुई जो निर्धारित 50000 टन के लक्ष्यों से अधिक है अरहर की खरीदगी 7500-9800 रूपया प्रति क्विंटल व उडद की खरीद 9600-12000 रूपया प्रति क्विंटल की दर से की गई है ।अभी भी खरीदगी का काम चल रहा है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य अभी जो किसानों को मिल रहा है, सरकार आगे चलकर उसमें और बढ़ोतरी करेगी। इसके लिए भारत सरकार ने दलहन पर एक दीर्घावधिक नीति को तैयार करने के लिए मुख्य आर्थिक सलाहकार के तहत एक समिति को गठित करने का फैसला किया है जो एमएसपी और बोनस का पुनरीक्षण करेगी। साथ ही दलहन के खेती को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त नीति तैयार करेगी ।