A national outreach Programme, GeM Samvaad, was launched on 17th December 2019 to reach out to stakeholders across the country and also local sellers in order to facilitate on-boarding of local sellers on the marketplace while catering to specific requirements and procurement needs of buyers.
The outreach programme began from 19th December 2019 and during the launch week the States of Karnataka, Uttarakhand, Himachal Pradesh and Andhra Pradesh are being covered. The outreach programme will be on till 17th February 2020 and will cover all the States and UTs.
GeM senior officers including CEO are steering the programs. They are also interacting with Buyers and Sellers attending the events. Arrangements for the outreach programmes including logistics are made by the respective State Governments. The target is to reach out to all stakeholders and learn from their experiences on their usage of GeM portal. Through this outreach programme, GeM expects to make the actual users aware about the new features and functionalities of the portal and collect feedback, which is the first step towards GeM’s ‘Voice of Customer’ initiative.
State Departments and Organizations and Public Sector Enterprises (PSEs) have been using GeM for their buying needs. Sellers from the States are also benefitting through the access to national Public Procurement market using the portal. Through GeM Samvaad the marketplace is looking forward to receiving feedback from users which shall be used for making improvements and advancements in the system.
GeM has more than 15 lakh products and around 20,000 services, more than 3 lakh registered sellers and service providers and more than 40,000 Government buyer organizations. In its short journey of three years, GeM has processed more than 28 lakh orders worth Rs. 40,000 crores in Gross Merchandise Value out of which 50% has been transacted by MSMEs.
चार राज्यों में ‘जेम संवाद’ का शुभारंभ
पोर्टल में सुधार सुनिश्चित करने के लिए ‘ग्राहक की राय’ पहल
एक राष्ट्रीय आउटरीच कार्यक्रम ‘जेम संवाद’ का शुभारंभ 17 दिसम्बर, 2019 को किया गया। इसका उद्देश्य देश भर में फैले हितधारकों के साथ-साथ स्थानीय विक्रताओं तक पहुंच सुनिश्चित करना या उनसे संपर्क साधना है, ताकि खरीदारों की विशिष्ट आवश्यकताओं एवं खरीदारी संबंधी जरूरतों को पूरा करते हुए गवर्नमेंट मार्केटप्लेस (जेम) से स्थानीय विक्रताओं को जोड़ने में आसानी हो सके।
यह आउटरीच कार्यक्रम 19 दिसम्बर, 2019 को शुरू हुआ और शुभारंभ वाले सप्ताह के दौरान कई राज्यों जैसे कि कर्नाटक, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश को कवर किया जा रहा है। यह आउटरीच कार्यक्रम 17 फरवरी, 2020 तक जारी रहेगा और यह इस दौरान सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को कवर करेगा।
‘जेम’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सहित विभिन्न वरिष्ठ अधिकारी इस कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहे हैं। यह अधिकारीगण संबंधित आयोजनों में भाग ले रहे क्रेताओं एवं विक्रेताओं के साथ संवाद भी कर रहे हैं। आउटरीच कार्यक्रम के लिए व्यवस्था संबंधित राज्य सरकारों द्वारा की जाती है जिसमें लॉजिस्टिक्स भी शामिल है। इसका लक्ष्य सभी हितधारकों से संपर्क साधना और इसके साथ ही उनके द्वारा जेम पोर्टल का उपयोग किए जाने से जुड़े अनुभवों को जानना भी है। जेम के अधिकारीगण यह उम्मीद कर रहे हैं कि इस आउटरीच कार्यक्रम से वास्तविक उपयोगकर्ता (यूजर) इस पोर्टल की नई विशेषताओं एवं कार्यकलाप संबंधी जानकारियों से अवगत होंगे और आवश्यक सूचनाओं एवं सुझावों (फीडबैक) का व्यापक संग्रह होगा जो जेम की ‘ग्राहक की राय’ पहल की दिशा में पहला कदम है।
राज्य सरकारों के विभिन्न विभाग एवं संगठन और सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (पीएसई) अपनी खरीदारी संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए जेम का उपयोग करते रहे हैं। राज्यों के विक्रेतागण भी इस पोर्टल का उपयोग कर राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीद बाजार में अपनी पहुंच के जरिए लाभान्वित हो रहे हैं। ‘जेम संवाद’ के जरिए यह मार्केटप्लेस विभिन्न उपयोगकर्ताओं (यूजर) से आवश्यक जानकारियां एवं सुझाव प्राप्त करने की उम्मीद कर रहा है जिनका उपयोग इस पूरी प्रणाली में बेहतरी सुनिश्चित करने में किया जाएगा।
जेम पर 15 लाख से भी अधिक उत्पाद; लगभग 20,000 सेवाएं; 3 लाख से ज्यादा पंजीकृत विक्रेता एवं सेवाप्रदाता और 40,000 से भी अधिक सरकारी खरीदार संगठन हैं। तीन वर्षों की अपनी छोटी सी यात्रा में जेम ने 40,000 करोड़ रुपये के सकल वाणिज्यिक मूल्य के 28 लाख से भी अधिक ऑर्डरों की प्रोसेसिंग की है जिनमें से 50 प्रतिशत सौदे एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) द्वारा किए गए हैं।