Government plans to hold several programmes in the country and abroad for popularizing Millets and other nutri-cereals. Besides, all Ministries/Departments of the Government of India, along with the State Governments, will promote the nutri-cereals in coordination with the Department of Agriculture and Farmers Welfare (DA&FW) and Department of Agricultural Research and Education (DARE). This was stated by the Union Minister of Agriculture and Farmers Welfare, Shri Narendra Singh Tomar, while chairing the meeting of Parliamentary Consultative Committee of the Ministry of Agriculture and Farmers Welfare on the subject ‘International Year of Millets’.
At the initiative of Prime Minister Shri Narendra Modi, the Government of India had proposed to the United Nations for declaring 2023 as International Year of Millets (IYoM). The proposal of India was supported by 72 countries and United Nations General Assembly (UNGA) declared 2023 as International Year of Millets (IYOM) in March, 2021.
Addressing the meeting, Shri Tomar said the Government of India has planned activities for grand celebrations of IYoM- 2023. The action plan of IYOM-2023 focuses on strategies to enhance production, consumption, export, branding etc. The Government has also launched PLI scheme for promotion of Millets, he said.
As part of the Prime Minister’s announcement of Aatmanirbhar Bharat Abhiyan, the Government, on 31st March, 2021, approved a Central Sector Scheme, namely “Production Linked Incentive (PLI) Scheme for Food Processing Industry” with an outlay of INR 10,900 crores to be implemented for a period of seven years from 2021-2022 to 2026-27.
The primary objectives of this scheme include support to creation of global food manufacturing champions and support Indian brands of food products in the international markets. Specific food product segments having high growth potential have been identified for providing support under the scheme. These include ready to cook/ready to eat (RTC/ RTE) foods including millet based products.
Shri Tomar said a Committee of Secretaries under the Chairmanship of Cabinet Secretary and a Core Committee chaired by Secretary, DA&FW and Secretary, DARE has been constituted to oversee the programmes and policies on popularizing Nutri-Cereals.
The Government has evolved the ‘Seven Sutras’ (themes) in the run-up to the IYOM, which will be rolled out by the concerned Ministry/Departments, - Enhancement of Production/Productivity (DA&FW/DARE), Nutrition & Health benefits (Ministry of Health/FSSAI), Value Addition, Processing & Recipe Development (Ministries of Food Processing Industries & Tourism), Entrepreneurship/Startup/Collective Development (Commerce and DA&FW), Awareness creation including Branding Labelling & Promotion (All Ministries), International Outreach (Commerce & Ministry of External Affairs) and Policy Interventions for Mainstreaming (Dept of Food & Public Distribution and DA&FW).
Millets are a rich source of Protein, Fibre, Minerals, Iron, Calcium and have a low glycemic index. India is a major producer of Millets, accounting for 80% of Asia’s production and 20% of global production. India’s average yield of Millets (1239 kg/hectare) is also higher than Global average yield of 1229 kg/haq. Major Millets crops grown in India and their percentage share of production are Pearl Millet (Bajra) – 61% share, Jowar (Sorghum) – 27%, and Finger Millet (Mandua/Ragi) – 10%.
The Government has taken several steps for promotion of Millets. To create domestic and global demand and to provide nutritional food to the people, The National Year of Millets was celebrated in 2018. In view of the nutritional value of the millets, the Government also notified Millets as nutri-cereals in April, 2018 and Millets were included under the POSHAN Mission Abhiyan. Over 500 Startups are working in Millet value chain while the Indian Institute on Millet Research, has incubated 250 Startups under RKVY-RAFTAAR. More than Rs.6.2 crores has been disbursed to over 66 Startups while about 25 Startups have been approved for further funding.
Today’s Meeting of the Consultative Committee was attended by the Ministers of State for Agriculture and Farmers Welfare, Sushri Shobha Karandlaje and Shri Kailash Choudhary. Members of Parliament who attended the meeting were Shri Asit Kumar Mal, Shri Bellana Chandrasekar, Smt. Jaskaur Meena, Shri Pradeep Kumar Chaudhary, Smt. Rama Devi, Secretary, DA&FW, Shri Manoj Ahuja, Shri S. Ramalingam, Shri Shrinivas Dadasaheb Patil and Shri Ram Shakal. Secretary, DARE and Director General of ICAR, Dr. Trilochan Mohapatra and Senior Officers of the Ministry and ICAR also participated in the deliberations.
बाजरा और अन्य पोषक अनाज को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार देश और विदेश में कई कार्यक्रम चलाएगी
बाजरा और अन्य पोषक अनाज को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार देश और विदेश में कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रही है। इसके अलावा, भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग, राज्य सरकारों के साथ, कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू) और कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के समन्वय से पोषक अनाज को बढ़ावा देंगे। 'अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष' विषय पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह बात कही।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर, भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईओएम) घोषित करने का प्रस्ताव दिया था। भारत के प्रस्ताव को 72 देशों ने समर्थन दिया और संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने मार्च 2021 में साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईओएम) के रूप में घोषित किया।
बैठक को संबोधित करते हुए, श्री तोमर ने कहा कि भारत सरकार ने आईवाईओएम-2023 के भव्य समारोह के लिए कार्यक्रमों की योजना बनाई है। आईवाईओएम-2023 की कार्ययोजना उत्पादन, खपत, निर्यात, ब्रांडिंग आदि को बढ़ाने की रणनीतियों पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बाजरा को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना भी शुरू की है।
प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत अभियान घोषणा के हिस्से के रूप में, सरकार ने 31 मार्च 2021 को 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 'खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना' नामक केंद्रीय योजना को मंजूरी दी। इस योजना को 2021-22 से सात साल की अवधि 2026-27 तक लागू किया जाएगा।
इस योजना के प्राथमिक उद्देश्यों में वैश्विक खाद्य निर्माण चैंपियन बनाने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाद्य उत्पाद के भारतीय ब्रांडों का सहयोग करना शामिल है। योजना के तहत सहायता प्रदान करने के लिए उच्च विकास क्षमता वाले विशिष्ट खाद्य उत्पादों की पहचान की गई है। इनमें बाजरे पर आधारित उत्पादों सहित पकाने के लिए तैयार/खाने के लिए तैयार (आरटीसी/आरटीई) खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
श्री तोमर ने बताया कि पोषक अनाज को लोकप्रिय बनाने के कार्यक्रमों और नीतियों की निगरानी के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति और सचिव, डीए एंड एफडब्ल्यू और सचिव डीएआरई की अध्यक्षता में एक कोर समिति का गठन किया गया है।
सरकार ने आईवाईओएम के लिए 'सात सूत्र' (विषय) विकसित किए हैं जिन्हें संबंधित मंत्रालय/विभागों द्वारा लागू किया जाएगा- उत्पादन/उत्पादकता में वृद्धि (डीए एंड एफडब्ल्यू/डीएआरई), पोषण और स्वास्थ्य लाभ (स्वास्थ्य मंत्रालय/एफएसएसएआई), मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और पकाने की विधि का विकास (खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और पर्यटन मंत्रालय), उद्यमिता/स्टार्टअप/सामूहिक विकास (वाणिज्य और डीए एंड एफडब्ल्यू), ब्रांडिंग लेबलिंग और प्रचार सहित जागरूकता पैदा करना (सभी मंत्रालय), अंतरराष्ट्रीय पहुंच (वाणिज्य और विदेश मंत्रालय) और मुख्यधारा के लिए नीतिगत कदम (खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग और डीए एंड एफडब्ल्यू)।
बाजरा प्रोटीन, फाइबर, खनिज, आयरन, कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। भारत बाजरे का एक प्रमुख उत्पादक है, जो एशिया के उत्पादन का 80 प्रतिशत और वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत है। भारत में बाजरे की औसत उपज (1239 किलो/हेक्टेयर) भी वैश्विक औसत उपज 1229 किग्रा/हेक्टेयर से अधिक है। भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख बाजरा फसलें और उनके उत्पादन का हिस्सेदारी प्रतिशत पर्ल मिलेट (बाजरा)- 61 प्रतिशत, ज्वार- 27 प्रतिशत और फिंगर मिलेट (मडुआ/रागी)- 10 प्रतिशत है।
सरकार ने बाजरा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। घरेलू और वैश्विक मांग पैदा करने और लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए 2018 में राष्ट्रीय बाजरा वर्ष मनाया गया। बाजरे के पोषण मूल्य को देखते हुए सरकार ने अप्रैल 2018 में बाजरे को पोषक अनाज के रूप में अधिसूचित किया और बाजरे को पोषण मिशन अभियान के तहत शामिल किया गया। 500 से अधिक स्टार्टअप बाजार मूल्य श्रृंखला में काम कर रहे हैं वहीं, भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान ने आरकेवीवाई-रफ्तार के तहत 250 स्टार्टअप को साथ लिया है। 66 से अधिक स्टार्टअप को 6.2 करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया गया है जबकि लगभग 25 स्टार्टअप को आगे वित्तपोषण के लिए मंजूरी प्रदान की गई है।
सलाहकार समिति की आज की बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे और श्री कैलाश चौधरी ने हिस्सा लिया। बैठक में शामिल होने वाले सांसदों में श्री असित कुमार मल, श्री बेल्लाना चंद्रशेखर, श्रीमती जसकौर मीणा, श्री प्रदीप कुमार चौधरी, श्रीमती रमा देवी, सचिव डीए एंड एफडब्ल्यू, श्री मनोज आहूजा, श्री एस. रामलिंगम, श्री श्रीनिवास दादासाहेब पाटिल और श्री राम शकल थे। सचिव, डीएआरई और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र और मंत्रालय व आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी विचार-विमर्श में भाग लिया।