In a major success, the IEPF Authority has been able to enforce The Peerless General Finance and Investment Company Limited to transfer deposits worth about Rs 1514 Cr to IEPF. This depositor’s money was pending with the company for the last 15 years. The matter came to the notice of the Authority recently and within a short time due to the proactive action of the Authority the said sum has now been transferred to IEPF. This amount was taken by the company by issuing about 1.49 Cr Deposit Certificates and include more than 1 Cr individual investors. The data submitted by company reveals that 50.77 percent of the total amount was taken in form of deposit certificates of value of Rs. 2000 or less. Number wise such certificates form 85.32 percent of total number of certificates issued. The majority of these investors are common citizens belonging to lower and middle income group including daily wage earners etc. Geographically, the investors involved belong to 30 states and Union territories of the Country. Majority of the investors belong to the state of West Bengal.
The Authority has also acted against companies that have transferred the unpaid dividend amount to IEPF but have failed to transfer shares in accordance with section 124(6) of the Act. In some other cases, the companies are showing unclaimed and unpaid amounts in their Balance Sheets but have not transferred such amounts to IEPF even after seven years.
About IEPF Authority:
IEPF Authority has been set up under the Ministry of Corporate Affairs, Government of India as a statutory body under Companies Act 2013 to administer the Investor Education and Protection Fund with the objective of promoting Investor’s Education, Awareness and Protection. The Authority takes various initiatives to fulfil its objectives through Investor Awareness Programmes and various other mediums like Print, Electronic, Social Media, and Community Radio etc.
The size of IEPF Fund has almost doubled within one year with accumulated corpus of about Rs 4138 Cr. The companies have also transferred about 65.02 Cr valuing Rs 21,232.15 Cr.
आईईपीएफ प्राधिकरण को बड़ी कामयाबी मिली, जमाकर्ताओं के 1514 करोड़ रुपये वसूले
आईईपीएफ प्राधिकरण को एक बड़ी कामयाबी मिली है, जिसके तहत वह द पीयरलेस जनरल फाइनेंस एंड इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड को विवश कर लगभग 1514 करोड़ रुपये की जमा राशि आईईपीएफ में हस्तांतरित कराने में समर्थ साबित हुआ है। जमाकर्ताओं की यह रकम पिछले 15 वर्षों से कंपनी में अटकी हुई थी। यह मामला हाल ही में प्राधिकरण के संज्ञान में आया था और इस प्राधिकरण के अत्यंत सक्रिय कदमों की बदौलत छोटी सी अवधि में ही यह धनराशि आईईपीएफ में हस्तांतरित कर दी गई है। कंपनी ने यह धनराशि लगभग 1.49 करोड़ जमा प्रमाणपत्र (डिपॉजिट सर्टिफिकेट) जारी कर इकट्ठी की थी और इसमें एक करोड़ से भी ज्यादा व्यक्तिगत निवेशक शामिल थे। कंपनी द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से यह पता चला है कि कुल राशि का 50.77 प्रतिशत 2000 रुपये अथवा उससे कम मूल्य के जमा प्रमाण पत्रों के रूप में प्राप्त किया गया था। संख्या-वार ये जमा प्रमाणपत्र जारी किए गए कुल जमा प्रमाण पत्रों का 85.32 प्रतिशत हैं। इनमें से ज्यादातर निवेशक आम नागरिक हैं, जो निम्न एवं मध्यम आय वाले तबकों के हैं। इनमें दिहाड़ी मजदूर इत्यादि भी शामिल हैं। यदि भौगोलिक दृष्टि से देखें तो ये निवेशक देश के 30 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के रहने वाले हैं। ज्यादातर निवेशक पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।
इस प्राधिकरण ने उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिन्होंने अदा न की गई लाभांश राशि आईईपीएफ को हस्तांतरित तो कर दी है, लेकिन वे कंपनी अधिनियम की धारा 124(6) के अनुसार शेयरों को हस्तांतरित करने में विफल रही हैं।
आईईपीएफ प्राधिकरण के बारे में:-
कंपनी अधिनियम 2013 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में भारत सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के अधीन आईईपीएफ प्राधिकरण की स्थापना की गई है। इस प्राधिकरण को निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है और इसके पीछे मुख्य उद्देश्य निवेशक शिक्षा, जागरूकता और संरक्षण को बढ़ावा देना है। यह प्राधिकरण निवेशक जागरूकता कार्यक्रमों के साथ-साथ विभिन्न अन्य माध्यमों जैसे कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया, सामुदायिक रेडियो इत्यादि के जरिए अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न तरह के कदम उठाता है।
आईईपीएफ कोष का आकार एक साल के भीतर ही लगभग दोगुना हो गया है। इसकी संचित राशि लगभग 4138 करोड़ रुपये है।