Union Minister for Chemicals and Fertilizers, D.V. Sadananda Gowda launched the Phase-II of the Direct Benefit Transfer of Fertilizer Subsidy (DBT 2.0), here on 10th July. The Department of Fertilizers (DoF) has implemented the Phase-I of Direct Benefit Transfer (DBT) system in fertilizer subsidy pan-India in Fertilizers w.e.f. March 2018.
The new initiatives of DBT 2.0 are as under:
- DBT Dashboards: In order to facilitate accurate information gathering and decision-making w.r.t. the position of requirement/supply/availability of various fertilizers at National, State and District levels, the DoF has developed various dashboards. These dashboards provide various reports regarding the Fertilizer Stock position at ports, plants, in States, at District levels; Proportionate requirement for the season and availability of stocks at various levels; Top 20 buyers; Frequent buyers; Retailers not selling fertilizers etc. The reports would facilitate real-time monitoring of the availability and sale of fertilizers within each State/UT. Public can access the dashboards by clicking the e-urvarak website of DoF (www.urvarak.nic.in).
- PoS 3.0 Software: The Multi-lingual facility would provide Aadhar virtual ID option for registration, login and sale activity in DBT software. It would also have a provision for area-specific, crop-specific recommendations based on Soil Health Card (SHC) data. Further, it would capture sale to farmers, mixture manufacturers, planter association separately.
- Desktop PoS Version: Keeping in view the various operational challenges viz. limited PoS vendors, rush of sales due to peak season etc. the department has developed a multilingual desktop version of PoS software as an alternative or added facility to PoS devices. Retailers with laptops and computer systems can use high-speed broadband service for fertilizer sales. The Desktop software is more robust and secure as the application is developed and handled directly from the central HQ team at DoF.
Phase-I DBT system in Fertilizers (DBT 1.0) envisaged the release of 100% subsidy on various fertilizer grades to the fertilizer companies on the basis of actual sales made by the retailer to the beneficiaries. The Phase-II of DBT will explore the feasibility of direct cash transfer to farmer’s accounts. An expert committee under NITI Aayog has been constituted on 28.09.2017 as per the request of the DoF, to suggest a model for the implementation of phase-2.
A Project Monitoring Cell was set up at DoF to oversee implementation of DBT exclusively. 24 State Coordinators have been appointed across all States to monitor the on-going DBT activities.
Implementation of the DBT Scheme requires deployment of PoS devices at every retailer shop, training of retailers for operating PoS device. Across the country, Lead Fertilizer Supplier (LFS) have conducted 8943 training sessions till date. 2.24 Lakh PoS devices have been deployed across all States. 670.99 Lakh Metric tonnes Fertilizers have been sold through PoS devices till June 2019.
To address network connectivity issues, DoF has come up with various options as under:
- PoS devices were provided with multiple connectivity options such as Wi-Fi, LAN, PSTN, SIM, etc.
- A network survey/assessment can be conducted at retail shops, to identify the telecom service providers having good connectivity in that area.
- Simple measures such as attaching an antenna to the PoS device can give better signal reception.
To address peak season sales, a single retailer can install more than one PoS device at the retail point. There is a provision to use maximum up to 5 PoS devices at a single retail point under DBT system.
Further, a dedicated 15-member Multi-lingual Help Desk has been set up to provide quick response to the queries of wide range of stakeholders across the country as a preparatory to DBT implementation. The helpdesk will operate from 9.30 am to 6.00 pm on all working days including Saturdays. The toll free number of the helpdesk is 1800115501. Further, WhatsApp is being used extensively for quick response to grievances of various stakeholders.
To address the issues of malfunctioning PoS devices, separate toll free lines have been provided by PoS vendors viz., Visiontek, Analogics and Oasys. Dedicated manpower/vendor support system has been provided by the PoS vendors across all States. Further, DBT State Coordinators have been appointed by DoF in every State/UT to monitor the implementation of DBT and for quick resolution of hardware/software problems.
उर्वरक सब्सिडी के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के दूसरे चरण का शुभारंभ
केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने 10 ता को नई दिल्ली में उर्वरक सब्सिडी के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के दूसरे चरण (डीबीटी 2.0) का शुभारंभ किया। उर्वरक विभाग (डीओएफ) ने देश भर में उर्वरक सब्सिडी की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली के प्रथम चरण को कार्यान्वित किया है जिसे मार्च, 2018 से अमल में लाया गया है।
डीबीटी 2.0 के तहत नई पहलों का उल्लेख नीचे किया गया है:
- डीबीटी डैशबोर्ड : राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तरों पर विभिन्न उर्वरकों की आवश्यकता/आपूर्ति/उपलब्धता की स्थिति के बारे में सटीक सूचनाएं प्राप्त करने और निर्णय लेने को सुविधाजनक बनाने के लिए उर्वरक विभाग ने अनेक डैशबोर्ड विकसित किए हैं। ये डैशबोर्ड बंदरगाहों, संयंत्रों, राज्यों एवं जिला स्तरों पर उर्वरकों के स्टॉक की अद्यतन स्थिति के बारे में विभिन्न रिपोर्ट उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा, ये डैशबोर्ड सीजन के लिए समानुपातिक आवश्यकता के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर स्टॉक की उपलब्धता, शीर्ष 20 खरीदारों, अक्सर खरीदारी करने वालों, उर्वरकों की बिक्री न करने वाले खुदरा विक्रेताओं (रिटेलर), इत्यादि के बारे में भी रिपोर्ट उपलब्ध कराते हैं। इन रिपोर्टों से प्रत्येक राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश में वास्तविक समय पर उर्वरकों की उपलब्धता और बिक्री की निगरानी करने में आसानी होगी। आम जनता उर्वरक विभाग की ई-उर्वरक वेबसाइट (www.urvarak.nic.in) को क्लिक करके डैशबोर्ड पर अपनी पहुंच सुनिश्चित कर सकती है।
- पीओएस 3.0 सॉफ्टवेयर : यह बहु-भाषी सुविधा पंजीकरण के साथ-साथ डीबीटी सॉफ्टवेयर में लॉग-इन और बिक्री से जुड़ी गतिविधि के लिए आधार वर्चुअल आईडी विकल्प उपलब्ध कराएगी। इसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) से जुड़े डेटा के आधार पर क्षेत्र विशिष्ट एवं फसल विशिष्ट सिफारिशें सुलभ कराने की भी सुविधा होगी। इसमें किसानों, मिश्रण तैयार करने वाले निर्माताओं और बुवाई करने वालों के संगठन को होने वाली बिक्री के आंकड़े भी दर्ज होंगे।
- डेस्कटॉप पीओएस वर्जन : परिचालन से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों जैसे कि सीमित संख्या में पीओएस वेंडर, भारी मांग वाले (पीक) सीजन के कारण व्यापक बिक्री होने इत्यादि को ध्यान में रखते हुए उर्वरक विभाग ने पीओएस सॉफ्टवेयर का एक बहु-भाषी डेस्कटॉप वर्जन विकसित किया है, जो पीओएस उपकरणों (डिवाइस) का एक विकल्प अथवा अतिरिक्त सुविधा है। लैपटॉप और कम्प्यूटर सिस्टम की सुविधा वाले खुदरा विक्रेता (रिटेलर) उर्वरक बिक्री के लिए ज्यादा स्पीड वाली ब्रॉडबैंड सेवा का उपयोग कर सकते हैं। डेस्कटॉप सॉफ्टवेयर अपेक्षाकृत ज्यादा सुदृढ़ एवं सुरक्षित है क्योंकि संबंधित एप्लीकेशन का संचालन सीधे उर्वरक विभाग की केन्द्रीय मुख्यालय टीम द्वारा किया जाता है।
उर्वरकों की डीबीटी प्रणाली के प्रथम चरण (डीबीटी 1.0) के तहत लाभार्थियों को खुदरा विक्रेताओं (रिटेलर) द्वारा की गई वास्तविक बिक्री के आधार पर उर्वरक कंपनियों को विभिन्न किस्मों के उर्वरकों पर 100 प्रतिशत सब्सिडी जारी करने की परिकल्पना की गई थी। डीबीटी के दूसरे चरण में किसानों के खातों में नकदी के प्रत्यक्ष हस्तांतरण की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। उर्वरक विभाग के अनुरोध पर 28 सितंबर, 2017 को नीति आयोग के तहत एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई, जिसे दूसरे चरण के कार्यान्वयन के लिए एक उपयुक्त मॉडल सुझाने का जिम्मा सौंपा गया।
विशेषकर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के कार्यान्वयन पर करीबी नजर रखने के लिए उर्वरक विभाग में एक परियोजना निगरानी प्रकोष्ठ बनाया गया। डीबीटी से जुड़ी मौजूदा गतिविधियों की निगरानी के लिए सभी राज्यों में 24 राज्य समन्वयक नियुक्त किए गए हैं।
डीबीटी योजना के कार्यान्वयन के लिए प्रत्येक रिटेलर की दुकान पर पीओएस डिवाइस लगाना आवश्यक है। इसके साथ ही पीओएस डिवाइस के परिचालन अथवा संचालन के लिए संबंधित खुदरा विक्रेताओं को प्रशिक्षित करना भी जरूरी है। देश भर में प्रमुख उर्वरक आपूर्तिकर्ताओं (एलएफएस) ने अब तक 8943 प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए हैं। सभी राज्यों में कुल मिलाकर 2.24 लाख पीओएस डिवाइस लगाई गई हैं। जून, 2019 तक पीओएस डिवाइस के जरिए 670.99 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों की बिक्री की गई है।
नेटवर्क कनेक्टिविटी से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए उर्वरक विभाग ने निम्नलिखित विकल्प उपलब्ध कराए हैं:
- अनेक कनेक्टिविटी विकल्पों जैसे कि वाई-फाई, लैन, पीएसटीएन, सिम इत्यादि के साथ पीओएस डिवाइस उपलब्ध कराई गई।
- खुदरा दुकानों पर नेटवर्क सर्वेक्षण/आकलन किया जा सकता है, ताकि संबंधित क्षेत्र में अच्छी कनेक्टिविटी वाले टेलीकॉम सेवाप्रदाताओं की पहचान की जा सके।
- सरल उपायों जैसे कि पीओएस डिवाइस में एंटिना लगाकर बेहतर सिग्नल प्राप्त किया जा सकता है।
भारी मांग (पीक सीजन) के दौरान बिक्री व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाने के लिए कोई भी अकेला रिटेलर अपनी दुकान पर एक से अधिक पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) डिवाइस लगा सकता है। डीबीटी प्रणाली के तहत एकल रिटेल प्वाइंट पर अधिकतम 5 पीओएस डिवाइस का उपयोग करने का प्रावधान है।