The Department of Biotechnology (DBT), M/o Science and Technology and the Department of Atomic Energy (DAE), on Wednesday signed an MOU for supporting joint collaborative research programmes in the area of Cancer. Signing the MoU, Dr Renu Swarup, Secretary DBT and K N Vyas, Secretary DAE expressed solidarity to work towards the common goal of tackling cancer and this is expected to bring a quantum change in the present scenario of cancer research. The DAE is represented by its Tata Memorial Centre and which also functions as the coordinating centre on behalf of The National Cancer Grid of India.
This MOU shall help strengthen the various initiatives specifically for cancer viz. Strategizing and prioritizing cancer research, development of new and affordable technologies, jointly design and fund clinical trials, coordinate and collaborate for translational research, interventions, training of manpower and infrastructure development. The clinicians shall work in coherence with Researchers to identify and develop collaborative research programmes and public health initiatives for awareness of the public at large. Various activities like joint clinical fellowships, intensive workshops on clinical research methodologies and protocol development shall work towards creating a community of trained manpower and provide a platform to utilize their acquired skills in the best possible manner.
कैंसर अनुसंधान पर साझा सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई), भारत सरकार ने बुधवार को कैंसर के क्षेत्र में साझा सहयोगपूर्ण अनुसंधान कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। एमओयू पर हस्ताक्षर करते हुए, डॉ. रेणु स्वरूप, सचिव डीबीटी और के एन व्यास, सचिव डीएई ने कैंसर से निपटने के साझा लक्ष्य की दिशा में काम करने के प्रति एकजुटता व्यक्त की। इससे कैंसर अनुसंधान के वर्तमान परिदृश्य में व्यापक बदलाव आने की संभावना है। डीएई का प्रतिनिधित्व उसके टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा किया गया, जो भारतीय राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड की ओर से समन्वय केंद्र के रूप में भी कार्य करता है।
यह एमओयू विशेष रूप से कैंसर के लिए की जाने वाली विभिन्न पहलों यथा - कैंसर अनुसंधान पर रणनीति बनाने और उसे प्राथमिकता देने, नई और किफायती तकनीकों का विकास करने, साझा नैदानिक परीक्षण डिजाइन करने और उनके लिए वित्त पोषण करने, ट्रांसलेशनल रिसर्च के लिए सहयोग करने, हस्तक्षेप, मानव शक्ति को प्रशिक्षण देने और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सहयोग को मजबूती प्रदान करने में मदद करेगा। निदानविद् ( क्लीनीशियन) सहयोगपूर्ण अनुसंधान कार्यक्रमों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों की पहचान और विकास करने तथा बड़े पैमाने पर जनता को जागरूक बनाने के लिए शोधकर्ताओं के साथ मिलकर काम करेंगे। संयुक्त नैदानिक फेलोशिप, नैदानिक अनुसंधान कार्य पद्धतियों और प्रोटोकॉल विकास पर गहन कार्यशालाओं जैसी विभिन्न गतिविधियां प्रशिक्षित मानव शक्ति का एक समुदाय बनाने की दिशा में काम करेंगी और अर्जित कौशल का उपयोग सर्वोत्तम तरीके से करने का मंच प्रदान करेंगी।