Ministry of Road Transport and Highways has started a pilot project for using FASTags for parking purposes at Hyderabad Airport. The pilot project has been launched in two phases, the first being a controlled pilot testing, wherein only ICICI tags would be used. The second phase of pilot shall cover all other Issuer Bank tags. This has been done to ensure the benefits of FASTag beyond tolling. Conceptualised as FASTag 2.0, it covers parking payments, fuel payments, etc. After the success in Hyderabad, the project will be launched at Delhi airport. Other banks like SBI, Axis, HDFC & IDFC are also in talks with airports in Mumbai, Bangalore & few of the malls to launch FASTag 2.0.
With the Parking use case, all the vehicles fitted with FASTags, as also those sold post December 2017, will automatically benefit as they have been already fitted with a FASTag. The journey of FASTag 2.0 has many exciting use cases like Fuel Payments, Enforcement (E-challan) payments, Access Management at offices and residence. GST council has also mandated FASTag for all commercial vehicles which would be generating an E-way bill from 1st April, 2020. This integration will be a big boost to GSTN as it would help in identifying the leakages with respect to non-issuance/ miss reporting of E-way bill.
National Electronic Toll Collection (FASTag) programme, the flagship initiative of Ministry of Road Transport and Highways has been implemented on pan India basis across National Highway toll plazas. It has given a major fillip to the digital India initiative by converting cash toll payments to electronic and brought in an enhanced transparency in entire tolling ecosystem. With the recent mandate to declare all lanes of fee plazas on National Highways as “FASTag lanes”, it has seen a much wider adoption both in terms of new tag sales as well as higher transactions at the toll plazas.
FASTag issuance saw a huge jump during the last two weeks of November last. Form a daily average of twenty eight thousand tags, the daily issuance shot to a daily average of 1.5 lakh tags in last 5 days. Similarly, transactions have also gone up - from an average one million daily transactions to around 1.6-1.7 million daily transactions.
The mandate would definitely increase the penetration of NETC, as many of the toll plazas are already collecting 50-55% of the toll collection through FASTag. The higher NETC penetration will ensure a seamless movement of traffic and would bring down the overall Logistic cost in the country. The increase in NETC penetration would also add a lot of transparency in the ecosystem.
पार्किंग हेतु ‘फास्टैग’ का उपयोग करने के लिए पायलट परियोजना हैदराबाद हवाई अड्डे पर शुरू
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पार्किंग हेतु ‘फास्टैग’ का उपयोग करने के लिए एक पायलट परियोजना हैदराबाद हवाई अड्डे पर शुरू की है। यह पायलट परियोजना दो चरणों में शुरू की गई है। पहला चरण दरअसल एक नियंत्रित पायलट परीक्षण है, जिसके तहत केवल आईसीआईसीआई टैगों का ही इस्तेमाल किया जाएगा। पायलट परियोजना के दूसरे चरण में सभी अन्य बैंकों द्वारा जारी किए जाने वाले टैगों को कवर किया जाएगा। टोल प्लाजा पर फास्टैग के उपयोग के अलावा इससे इतर भी इसके इस्तेमाल के लाभों को सुनिश्चित करने के लिए ही यह कदम उठाया गया है। इसकी परिकल्पना ‘फास्टैग 2.0’ के रूप में की गई है और इसके तहत पार्किंग भुगतान, ईंधन भुगतान इत्यादि को कवर किया गया है। हैदराबाद में सफलता मिलने के बाद यह परियोजना दिल्ली हवाई अड्डे पर भी शुरू की जाएगी। अन्य बैंक जैसे कि एसबीआई, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी और आईडीएफसी भी ‘फास्टैग 2.0’ को लॉन्च करने के लिए मुंबई एवं बेंगलुरू स्थित हवाई अड्डों के अलावा कुछ शॉपिंग मॉल के शीर्ष अधिकारियों से भी बातचीत कर रहे हैं।
जहां तक पार्किंग में उपयोग किए जाने का सवाल है, फास्टैग युक्त सभी वाहनों के साथ-साथ दिसम्बर, 2017 के बाद बेचे गए सभी वाहन भी स्वतः इससे लाभान्वित होंगे, क्योंकि उनमें पहले से ही फास्टैग लगा हुआ है। ‘फास्टैग 2.0’ की यात्रा अत्यंत उपयोगी है, क्योंकि इसका इस्तेमाल ईंधन भुगतान, ई-चालान के भुगतान, कार्यालयों और निवास पर पहुंच प्रबंधन जैसे कार्यों में किया जा सकता है। जीएसटी परिषद ने भी सभी वाणिज्यिक वाहनों पर फास्टैग को अनिवार्य कर दिया है, जो 1 अप्रैल, 2020 से ई-वे बिल सृजित करना शुरू कर देंगे। इस एकीकरण से ‘जीएसटीएन’ को काफी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि इससे ई-वे बिल को न जारी करने/गलत जानकारी देने से संबंधित लीकेज की पहचान करने में मदद मिलेगी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की प्रमुख पहल ‘राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (फास्टैग) कार्यक्रम’ को देश भर में फैले राष्ट्रीय राजमार्गों पर अवस्थित टोल प्लाजा पर लागू किया गया है। इसने टोल के नकद भुगतान को इलेक्ट्रॉनिक भुगतान में तब्दील कर डिजिटल इंडिया पहल को काफी बढ़ावा दिया है तथा इसके साथ ही समूची टोल प्रणाली में और ज्यादा पारदर्शिता ला दी है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर अवस्थित शुल्क वाले प्लाजा की सभी लेन को ‘फास्टैग लेन’ घोषित करने के हालिया आदेश पर अमल करने के साथ ही अब फास्टैग का व्यापक उपयोग होने लगा है, जो नए टैगों की बिक्री के साथ-साथ टोल प्लाजा पर फास्टैग के जरिये अपेक्षाकृत ज्यादा टोल संग्रह से साफ जाहिर होता है।
नवंबर महीने के अंतिम दो हफ्तों में जारी किए गए फास्टैग की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई। पहले जहां प्रतिदिन औसतन 28 हजार फास्टैग जारी किए जाते थे, वहीं पिछले पांच दिनों में प्रतिदिन जारी किए गए फास्टैग की औसत संख्या काफी बढ़कर 1.5 लाख फास्टैग के उच्च स्तर पर पहुंच गई। इसी तरह फास्टैग के जरिये टोल संग्रह का आंकड़ा भी प्रतिदिन 1 मिलियन से काफी बढ़कर अब लगभग 1.6-1.7 मिलियन दैनिक के स्तर को छू गया है।
इस अधिदेश से एनईटीसी की पैठ निश्चित तौर पर बढ़ जाएगी, क्योंकि ज्यादातर टोल प्लाजा पहले से ही कुल टोल संग्रह का 50-55 प्रतिशत फास्टैग के जरिये ही प्राप्त कर रहे हैं। एनईटीसी की पैठ मजबूत होने से वाहनों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित होगी और इसके परिणामस्वरूप देश में समग्र लॉजिस्टिक लागत भी घट जाएगी। एनईटीसी की पैठ बढ़ने से इस पूरी प्रणाली में पारदर्शिता भी काफी बढ़ जाएगी।