28 अगस्त, 2016 को आकाशवाणी पर प्रधानमंत्री के ‘मन की बात ’ कार्यक्रम के मूल पाठ से
मेरे प्यारे देशवासियो, 5 सितम्बर ‘शिक्षक दिवस’ है। मैं कई वर्षों से ‘शिक्षक दिवस’ पर विद्यार्थियों के साथ काफ़ी समय बिताता रहा। और एक विद्यार्थी की तरह बिताता था। इन छोटे-छोटे बालकों से भी मैं बहुत कुछ सीखता था। मेरे लिये, 5 सितम्बर ‘शिक्षक दिवस’ भी था और मेरे लिये, ‘शिक्षा दिवस’ भी था। लेकिन इस बार मुझे G-20 Summit के लिए जाना पड़ रहा है, तो मेरा मन कर गया कि आज ‘मन की बात’ में ही, मेरे इस भाव को, मैं प्रकट करूँ।
जीवन में जितना ‘माँ’ का स्थान होता है, उतना ही शिक्षक का स्थान होता है। और ऐसे भी शिक्षक हमने देखे हैं कि जिनको अपने से ज़्यादा, अपनों की चिंता होती है। वो अपने शिष्यों के लिए, अपने विद्यार्थियों के लिये, अपना जीवन खपा देते हैं। इन दिनों Rio Olympic के बाद, चारों तरफ, पुल्लेला गोपीचंद जी की चर्चा होती है। वे खिलाड़ी तो हैं, लेकिन उन्होंने एक अच्छा शिक्षक क्या होता है - उसकी मिसाल पेश की है। मैं आज गोपीचंद जी को एक खिलाड़ी से अतिरिक्त एक उत्तम शिक्षक के रूप में देख रहा हूँ। और शिक्षक दिवस पर, पुल्लेला गोपीचंद जी को, उनकी तपस्या को, खेल के प्रति उनके समर्पण को और अपने विद्यार्थियों की सफलता में आनंद पाने के उनके तरीक़े को salute करता हूँ। हम सबके जीवन में शिक्षक का योगदान हमेशा-हमेशा महसूस होता है। 5 सितम्बर, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म दिन है और देश उसे ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाता है। वे जीवन में किसी भी स्थान पर पहुँचे, लेकिन अपने-आपको उन्होंने हमेशा शिक्षक के रूप में ही जीने का प्रयास किया। और इतना ही नहीं, वे हमेशा कहते थे – “अच्छा शिक्षक वही होता है, जिसके भीतर का छात्र कभी मरता नहीं है।” राष्ट्रपति का पद होने के बाद भी शिक्षक के रूप में जीना और शिक्षक मन के नाते, भीतर के छात्र को ज़िन्दा रखना, ये अद्भुत जीवन डॉ० राधाकृष्णन जी ने, जी करके दिखाया।
मैं भी कभी-कभी सोचता हूँ, तो मुझे तो मेरे शिक्षकों की इतनी कथायें याद हैं, क्योंकि हमारे छोटे से गाँव में तो वो ही हमारे Hero हुआ करते थे। लेकिन मैं आज ख़ुशी से कह सकता हूँ कि मेरे एक शिक्षक - अब उनकी 90 साल की आयु हो गयी है - आज भी हर महीने उनकी मुझे चिट्ठी आती है। हाथ से लिखी हुई चिट्ठी आती है। महीने भर में उन्होंने जो किताबें पढ़ी हैं, उसका कहीं-न-कहीं ज़िक्र आता है, quotations आता है। महीने भर मैंने क्या किया, उनकी नज़र में वो ठीक था, नहीं था। जैसे आज भी मुझे class room में वो पढ़ाते हों। वे आज भी मुझे एक प्रकार से correspondence course करा रहे हैं। और 90 साल की आयु में भी उनकी जो handwriting है, मैं तो आज भी हैरान हूँ कि इस अवस्था में भी इतने सुन्दर अक्षरों से वो लिखते हैं और मेरे स्वयं के अक्षर बहुत ही खराब हैं, इसके कारण जब भी मैं किसी के अच्छे अक्षर देखता हूँ, तो मेरे मन में आदर बहुत ज़्यादा ही हो जाता है। जैसे मेरे अनुभव हैं, आपके भी अनुभव होंगे। आपके शिक्षकों से आपके जीवन में जो कुछ भी अच्छा हुआ है, अगर दुनिया को बताएँगे, तो शिक्षक के प्रति देखने के रवैये में बदलाव आएगा, एक गौरव होगा और समाज में हमारे शिक्षकों का गौरव बढ़ाना हम सबका दायित्व है। आप NarendraModiApp पर, अपने शिक्षक के साथ फ़ोटो हो, अपने शिक्षक के साथ की कोई घटना हो, अपने शिक्षक की कोई प्रेरक बात हो, आप ज़रूर share कीजिए। देखिए, देश में शिक्षक के योगदान को विद्यार्थियों की नज़र से देखना, यह भी अपने आप में बहुत मूल्यवान होता है।