This is an inspiring story of a Ranchi girl Priya who sells books in night time and studies in a management college in day time. Read this report by K. Bandopadhyay in Navbharat Times.
दिन में मैनेजमेंट क्लास, रात को सड़्क पर बेजती है किताबें यह रांची की लड़की प्रिया, कोलकता में।
आधी रात होने में अभी कुछ मिनट बाकी हैं। उल्टाडांगा के पास EM बाइपास के नजदीक काले रंग की एक इनोवा रुकती है, तो प्रिया को थोड़ी-सी उम्मीद जगती है। कंधे पर लादे हुए एक बड़े थैले को संभालते हुए वह कार के दरवाजे के नजदीक जाकर कुछ बात करने की कोशिश करती हैं। लेकिन नहीं, शायद आज का दिन उनके लिए ठीक नहीं है। यहां भी बोहनी नहीं हुई। सूखे हुए मुंह के साथ प्रिया सोचना शुरू करती हैं। आज खाली लौटना पड़ेगा या कुछ देर और देखा जाए, शायद कोई आकर किताबें खरीद ले।
22 साल की प्रिया का घर रांची में है। कोलकाता में मैनेजमेंट की पढ़ाई और साथ में कुछ पैसे कमाने के मकसद से कुछ महीने पहले ही यहां आई हैं। सॉल्ट लेक के एक मैनेजमेंट कॉलेज में दाखिला लेने लायक पैसे का इंतजाम तो परिवार ने किसी तरह कर दिया, लेकिन कोलकाता में रहने-खाने और जेबखर्च का जुगाड़ कैसे हो, यह समझ से परे था। सिर्फ भाग्य भरोसे तो इस शहर में कदम रखा है प्रिया ने। रोज सुबह 7 बजे से क्लास शुरू होता है, छुट्टी होते-होते अक्सर शाम हो जाती है। ऐसे में पार्ट टाइम नौकरी कर पाना तो मुश्किल था, लेकिन रात 8 बजे के बाद क्या काम किया जाए, इसका उपाय जरूर मिल गया। मैनेजमेंट स्कूल के एक दोस्त ने प्रिया को कमिशन के आधार पर किताबें बेचने की जगह बताई। उस संस्था से मुलाकात के बाद तस्वीर साफ हुई। यह संस्था विज्ञान और अन्य विषयों पर आधारित किताबें बेचती थी। इस तरह की खास मोटी और चमकदार किताबों को पढ़ने वाले पाठकों का एक खास ग्रुप है। प्रिया शाम के बाद इन पाठकों तक पहुंचने का एक दुस्साहसिक काम करती हैं।
और पढ़े......