World leaders have gathered in New York today for the United Nations Secretary General (UNSG) Climate Action Summit. The Summit is being called by UNSG António Guterres to ramp up climate actions worldwide. Speaking on the occasion, Prime Minister Narendra Modi stated “We must accept that if we have to overcome a serious challenge like climate change, then what we are doing at the moment is just not enough; What is needed today, is a comprehensive approach which covers everything from education to values, and from lifestyle to developmental philosophy”.
"Bringing attention towards India’s efforts in always following a climate sensitive sustainable development pathway by mainstreaming climate change concerns in development policies," Modi stated “Need, not greed has been our guiding principle. PM expressed that an ounce of practice is worth more than a ton of preaching. “In India, we are going to increase the share of non-fossil fuels to 175GW by 2022, and to further increase it to 450GW”, announced Modi.
“We have launched the Jal Jeevan mission for water conservation, rainwater harvesting and for the development of water resources. India is going to spend approximately 50 billion dollars on this in the next few years”,the Prime Minister further informed the gathering.
Prime Minister further said that on the occasion of India’s 73rd Independence Day, we have called for a people’s movement to end the menace of single use plastic. PM expressed hope that this will create an awareness at a global level about the harmful effects of single use plastic.
“On the International forum, almost 80 countries have joined our International Solar Alliance campaign. In order to make our infrastructure disaster resilient, India is launching a Coalition for Disaster Resilient Infrastructure.”, the PM invited UN Member states to join this coalition.
Earlier in his thought-provoking opening remarks the United Nations Secretary-General, António Guterres shed light on the significance of science and technology and its use as a powerful tool in combating climate change. “The climate crisis is caused by us and the solutions must come from us. We have the tools, technology is on our side, readily available technological substitutions already exists for more than 70% of today’s emissions”, said Guterres.
भारत 2022 तक गैर-जीवाश्म ईंधन में 175 गीगावॉट तक हिस्सा बढ़ाएगा और तदुपरांत 450 गीगावॉट तक ले जाएगा
विश्व भर के राष्ट्राध्यक्ष संयुक्त राष्ट्र महासचिव (यूएनएसजी) जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन के लिए आज न्यूयॉर्क में जमा हुए। यह शिखर सम्मेलन यूएनएसजी श्री अंतोनियो गुतरेस ने विश्व भर में जलवायु कार्ययोजना के लिए बुलाया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “हमें यह स्वीकार करना होगा की यदि हम जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौती का सामना करना चाहते हैं, तब हमें यह सोचना होगा कि इस समय हम जो कर रहे हैं वह पर्याप्त नहीं है। आज जिस चीज की आवश्यकता है वह ऐसी समग्र समझ है, जिसके तहत शिक्षा से मूल्यों तक और जीवनशैली से विकास दर्शन तक, सब कुछ समाहित है।”
विकास नीतियों में जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को समाहित करके जलवायु अनुकूल सतत विकास के रास्ते पर चलने के लिए भारत के प्रयासों का उल्लेख करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “हमारा मार्गदर्शन सिद्धांत हमेशा से आवश्यकता रहा है, न की लालसा।” प्रधानमंत्री ने कहा कि ढेरों उपदेश की बजाय थोड़े से व्यवहार का अधिक मूल्य होता है। उन्होंने कहा, “भारत 2022 तक गैर-जीवाश्म ईंधन में 175 गीगावॉट तक हिस्सा बढ़ाएगा और तदुपरांत इस हिस्से को 450 गीगावॉट तक ले जाएगा।”
प्रधानमंत्री ने उपस्थितजनों को ध्यान दिलाते हुए कहा, “हमने जल संरक्षण, वर्षा जल संरक्षण और जल स्रोतों के विकास के लिए जल जीवन मिशन लॉन्च किया है। भारत अगले चंद वर्षों में इस मद में लगभग 50 अरब डॉलर खर्च करेगा।”
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत के 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हमने सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरे को समाप्त करने के लिए जनांदोलन का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि इस कदम से सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में विश्वस्तर पर जागरूकता पैदा होगी।
प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने के लिए संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को आमंत्रित करते हुए कहा, “अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 80 देश हमारे अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन अभियान में शामिल हो चुके हैं। हम अपनी अवसंचना को आपदारोधी बनाने के लिए भारत आपदारोधी अवसंरचना के लिए वैश्विक गठबंधन की शुरूआत कर रहा है।”
इसके पूर्व अपने विचारोत्तेजक उद्घाटन संबोधन में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुतरेस ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए उसके कारगर उपकरण के रूप में इस्तेमाल पर प्रकाश डाला। गुतरेस ने कहा, “जलवायु संकट हमने पैदा किया है और उसका समाधान भी हमें ही करना है। हमारे पास उपाय है, प्रौद्योगिकी है और आज के 70 प्रतिशत से अधिक होने वाले उत्सर्जन को रोकने के लिए प्रौद्योगिकीय विकल्प भी उपलब्ध हैं।”