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The Union Minister of Tribal Affairs Arjun Munda virtually through Video Conference launched “ShramShakti”, a National Migration Support Portal at a programme held at Panjim, Goa today. It would effectively help in the smooth formulation of state and national level programs for migrant workers. He also launched a tribal migration cell, a tribal museum at Goa and “ShramSaathi”, a training manual for migrant workers.The Chief Minister of Goa Pramod Sawant also launched dedicated Migration cell in Goa to facilitate and support migrants who come from different States to Goa.
Dr. Navaljit Kapoor, Joint Secretary, MoTA gave a presentation giving details of various projects funded by Ministry of Tribal Affairs for Goa State and about Migration Repository Portal.
Speaking on the occasion, Arjun Munda mentioned that the lack of real time data of migrants was the biggest challenge for state and national governments in formulating effective strategies and policy decisions for welfare of migrant workers at both source and destination states. “Migrants all over the country had to face after lockdown was announced due to the pandemic caused by corona virus.The migration of tribal population is distress-driven and the migrants are exposed to difficult and unsafe conditions. Sometimes they face trafficking or wages harassment issues including many occupational hazards at the work place,” he said.
He explained that the tribal migration repository, Shram Shakti would be able to successful able to address the data gap and empower migrant workers who generally migrate in search of employment and income generation. It would also help the government for linking the migrant population with existing Welfare Scheme- under Atam Nirbhar Bharat. The various data that will be recorded via Shram Shakti include demographic profile, livelihood options, skill mapping and migration pattern.
Munda also launched the tribal training module- ShramSaathi, to ensure that the process of livelihood migration is safe and productive. “Tribal migrant workers often have low awareness about their rights and entitlements and ways to access services and social security in source and destination areas,” he said. He also stated that after training via this module, tribal migrant workers will be able to demand and access services, rights and entitlements related to livelihood and social security at their village before migration, as well after migration at destination towns and cities.
The Chief Minister of Goa, Pramod Sawant informed that Goa is going to be first destination state of India to set up dedicated migration cell to address diverse issues of migrant workers. “The cell would address multiple needs of migrants – legal support, skill development, job linkages, access to public services health, insurance, financial inclusion,” he said.
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आभासी माध्यम से प्रवासी श्रमिकों के लिए "श्रमशक्ति" डिजिटल डेटा समाधान का शुभारंभ किया
केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने आज गोवा के पंजिम में आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से “श्रमशक्ति”, जोकि एक राष्ट्रीय प्रवासन सहायता पोर्टल है, का शुभारंभ किया। यह पोर्टल प्रभावी तरीके से प्रवासी श्रमिकों के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों के सुचारू रूप से निर्माण में मदद करेगा। उन्होंने गोवा में एक आदिवासी प्रवासन प्रकोष्ठ, एक आदिवासी संग्रहालय और प्रवासी श्रमिकों के लिए एक प्रशिक्षण पुस्तिका "श्रमसाथी" का भी शुभारंभ किया। इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने विभिन्न राज्यों से गोवा में आने वाले प्रवासियों की सुविधा और समर्थन के लिए गोवा में एक समर्पित प्रवासन प्रकोष्ठ का भी शुभारंभ किया।
जनजातीय कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव डॉ. नवलजीत कपूर ने गोवा राज्य के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित विभिन्न परियोजनाओं का विवरण और इस माइग्रेशन रिपॉजिटरी पोर्टल के बारे में एक प्रस्तुति के जरिए जानकारी दी।
इस अवसर पर बोलते हुए, अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रवासियों से जुड़े वास्तविक आंकड़ों की कमी की वजह से स्रोत और गंतव्य, दोनों, राज्यों में प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए कारगर रणनीति और नीतिगत निर्णय तैयार करना राज्य और राष्ट्रीय सरकारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा कि "कोरोना वायरस से उपजी महामारी के कारण लॉकडाउन की घोषणा के बाद पूरे देश में प्रवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। जनजातीय आबादी का प्रवासन संकट से प्रेरित होता है और प्रवासियों को मुश्किल एवं असुरक्षित परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। कभी-कभी उन्हें कार्यस्थल पर कई पेशेगत बाधाओं सहित तस्करी या मजदूरी संबंधी उत्पीड़न की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।"
उन्होंने बताया कि आदिवासी प्रवासन रिपॉजिटरी, श्रमशक्ति, डेटा से संबंधित अंतर को दूर करने और उन प्रवासी श्रमिकों को सशक्त बनाने में सफल होगी जो आम तौर पर रोजगार और आय की तलाश में पलायन करते हैं। यह आत्मनिर्भर भारत के तहत मौजूदा कल्याण योजनाओं से प्रवासी आबादी को जोड़ने में सरकार की मदद भी करेगा। श्रमशक्ति के जरिए दर्ज किए जाने वाले विभिन्न डेटा में जनसांख्यिकीय खाका, आजीविका विकल्प, कौशल संबंधी चित्रण और प्रवासन के रुझान से जुड़े विवरण शामिल होंगे।
आजीविका से जुड़ी प्रवास की प्रक्रिया को सुनिश्चित रूप से सुरक्षित और उत्पादक बनाने के उद्देश्य से श्री मुंडा ने आदिवासी प्रशिक्षण मॉड्यूल- श्रमसाथी का भी शुभारंभ किया । उन्होंने कहा कि "आदिवासी प्रवासी श्रमिकों को अक्सर अपने अधिकारों एवं सुविधाओं और स्रोत एवं गंतव्य वाले क्षेत्रों में उपलब्ध सेवाओं तथा सामाजिक सुरक्षा को हासिल करने के तरीकों के बारे में कम जानकारी होती है।" उन्होंने यह भी कहा कि इस मॉड्यूल के जरिए प्रशिक्षण के बाद, आदिवासी प्रवासी श्रमिक प्रवास से पहले अपने गांव में और साथ ही पलायन के बाद गंतव्य कस्बों और शहरों में आजीविका और सामाजिक सुरक्षा से संबंधित सेवाओं, अधिकारों और सुविधाओं की मांग कर सकेंगे।
गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने बताया कि प्रवासी श्रमिकों की विभिन्न समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से एक समर्पित प्रवासन प्रकोष्ठ स्थापित करने वाला गोवा भारत का पहला गंतव्य राज्य बनने जा रहा है।उन्होंने कहा कि " यह प्रकोष्ठ प्रवासियों की विभिन्न जरूरतों - कानूनी सहायता, कौशल विकास, नौकरी से जुड़े संपर्क और स्वास्थ्य, बीमा एवं वित्तीय समावेशन जैसी सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच – को पूरा करेगा। "