Rajasthan government is making special efforts for the development of sports in the state. Special training camps, even by foreign coaches, are being arranged; cash awards in the name of Maharana Pratap and Guru Visishta are being given, new sports facilities have been created - besides this many other incentives to attract more and more sports persons have been formulated. Read details...
मानव के समग्र विकास में खेलों की अहम भूमिका रही है। यह व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करने के साथ उसके मनोवैज्ञानिक कौशल में भी सुधार करता है। यह प्रेरणा, साहस, अनुशासन और एकाग्रता को लाता है। खेल, मनोरंजन के साधन और शारीरिक दक्षता पाने के एक माध्यम के साथ-साथ लोगों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने और उनके बीच के संबंधों को अच्छा बनाने में भी सहायता करता है। खेलों की महत्वता की अहमियत समझते हुए राजस्थान सरकार ने खिलाड़ियों को अनेक सुविधाएं उपलब्ध करवाईं एवं समय समय पर अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर उनकी प्रतिभा को निखारने का मौका दिया। साथ ही महारणा प्रताप, गुरु विशिष्ठ पुरस्कार एवं खेल अकादमियों की नई नियमावली का प्रकाशन भी किया गया। उल्लेखनीय है कि महाराणा प्रताप पुरस्कार की राशि भी बढ़ा कर एक लाख कर दी गयी है।
वर्तमान में खेलों में कई बदलाव आ रहे हैं जो समय की मांग के अनुरूप हैं तथा यह बदलाव राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर हो रहे हैं। इसलिए राज्य सरकार ने खेलों के विकास के लिए कई कल्याणकारी तथा उत्कृष्ठ योजनाओं एवं कार्यक्रमों की शुरुआत की है।
राज्य में प्रथम बार विदेशी प्रशिक्षकों के द्वारा प्रशिक्षण एवं रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन किया गया है। वर्ष 2015-16 में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के तीन प्रशिक्षकों द्वारा क्रमशः हॉकी (होलेण्ड से) बास्केटबाल (सर्बिया से) एवं फुटबाल (यू.के. से) खेलों में राज्य के खिलाडियों को उच्च स्तर का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। वर्ष 2016-17 में हॉकी में 2 एवं फुटबॉल में 1 अन्र्तराष्ट्रीय प्रशिक्षक को प्रशिक्षण कार्य हेतु बुलाया गया। वर्ष 2017-18 में हॉकी में 2 शूटिंग में 2 एवं फुटबॉल में 1 प्रशिक्षण हेतु प्रशिक्षक लगाये गये है।
इसी प्रकार 10 दिवसीय प्रशिक्षक रिफ्रेशर वर्कशॉप का आयोजन सवाई मानसिंह स्टेडियम में फरवरी, 2017 तक किया गया, जिसमें इंग्लैण्ड के ल्यूक वॉइस (फुटबॉल), सर्बिया के मार्को जार्कोविक (बास्केटबॉल) और नीदरलैण्ड्स के प्रशिक्षक इवौट पाहुड-डे-मॉर्टान्जिस (हॉकी) ने राज्य के विभिन्न खेलों के प्रशिक्षकों को तकनीकी ज्ञान के साथ वर्तमान में परिवर्तित नियमों, खेलों की नई योजनाओं आदि के बारे में जानकारी दी।
राज्य के खिलाड़ियों के अभूतपूर्व प्रदर्शन को प्रोत्साहित करने के लिए 17वें एशियन खेल इंचियोन (दक्षिण कोरिया), 2014 में राज्य के 8 पदक विजेता क्रमशः रजत चौहान (तीरन्दाजी), नवनीत गौतम व सुमित्रा शर्मा (कबड्डी), मंजूबाला (एथलेटिक्स), शगुन चौधरी (शूटिंग), बजरंग लाल ताखर (नौकायन), संदीप सिंह मान व देवेन्द्र झाझडिया (पैरा एथलेटिक्स) एवं 20वें राष्ट्र मण्डल खेल 2014, ग्लांस्गो में अपूर्वी चंदेला (शूटिंग) पदक विजेता खिलाडियों को पुरस्कार राशि रूपये 1,95,00,000/- की राशि से सम्मानित किया गया।
हॉकी एवं बास्केटबाल खेल की नई अकादमियां 15 अक्टूबर, 2015 से प्रारंभ कर दी गई हैं एवं 2017-18 में कोटा में बालिका फुटबॉल अकादमी, भरतपुर में बालक कुश्ती अकादमी प्रारम्भ कर दी गई है एवं बीकानेर में साईक्लिंग अकादमी हेतु चयन स्पर्धा का आयोजन किया जा चुका है, साथ ही अकादमी प्रारम्भ किये जाने की कार्यवाही शीघ्र पूर्ण कर ली जायेगी।
सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर में स्क्वैश अकादमी का प्रथम चरण का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है एवं द्वितीय चरण की स्वीकृति जारी की गई है, जिसके तहत् 2 स्क्वैश कोर्ट का निर्माण किया जायेगा। स्टेडियम में लैण्डस्केपिंग, वॉकिंग टे्रक, बास्केटबाल कोर्ट, क्रिकेट पिच का निर्माण कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है।
खेलकूद के क्षेत्र में महिला खिलाड़ियों ने भी काफी दमखम दिखाया है और एक महिला प्रशिक्षिका को विशिष्ठ तथा तीस महिला खिलाड़ियों को अब तक प्रताप पुरसकार प्रदान किए जा चुके हैं। निशाने बाजी, घुड़सवारी, पोलो, साईक्लिंग, बास्केटबाल के साथ ब जूड़ो, वुशु, रोलबाल, कार्फबाल जैसे नए खेलों में भी अच्छे खिलाड़ी उभर रहे है।
वर्ष 2014-15 में बालिकाओं एवं महिलाओं के लिए सेल्फ डिफेन्स टै्रनिग प्रोगाम आरम्भ करने की घोषणा की गई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मार्शल आर्ट द्वारा बालिकाओं को आत्म रक्षा का प्रशिक्षण दिया जाना एवं उनमें आत्म सम्मान, व्यक्तित्व व हौस्ले को बढावा देना है। इस संबंध में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जयपुर में कार्यक्रम चलाया गया, जिसके अन्तर्गत 10,000 बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया गया इसकी सफलता को देखते हुए वर्ष 2015-16 में सम्पूर्ण राज्य में कार्यक्रम चलाया गया जिसके अन्तर्गत राज्य की 1.60 लाख बालिकाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ष 2016-17 से इसका क्रियान्वयन शिक्षा विभाग द्वारा किया गया।
खेलकूद शारीरिक शिक्षा व्यायाम के विस्तृत बहुआयामी क्षेत्र में अब योग विद्या का सतत् निरन्तर अभ्यास एक ऎसा सिद्ध गुरुमंत्र है जिससे बिना किसी उपकरण के शारीरिक एवं बौद्धिक क्षमता में अभिवृद्धि हो रही है तो न केवल अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर अपितु शैक्षिक संस्थाओं प्राइवेट क्लबों में इसे अपनाया जा रहा है। योग शिक्षकों को देश-विदेश में नियुक्ति मिल रही है।
खेल बजट में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि से राज्य में शारीरिक शिक्षा खेल विश्वविद्यालय व खेल छात्रावास एवं अकादमी संचालित की जा रही है। जहां छात्र-छात्राएं पढ़ते-लिखते भी हैं और खेलते-कूदते भी हैं। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय अन्तर क्षेत्रीय स्पर्धाओं में भाग लेकर विशिष्ठ स्थान पाने पर अखिल भारतीय स्तर पर अपना हुनर एवं कौशल दिखाते और आजमाइश करते हैं।
मान्यता प्राप्त सभी प्रमुख खेलों की जिला स्तरीय प्रतियोगिताएं आयोजित कर राजकीय व्यय पर टीमों को राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने भेजा जाता है। देश की टीम में चुने राज्य के खिलाड़ी की माली मदद की जाती है तो राज्य स्तर पर पदक विजेताओं को भी सम्मानित एवं पुरस्कृत किया जाता है, ताकि खेल विकास में धन की कमी आड़े न आए।
सिन्थेेटिक ट्रेक, एस्ट्रो टर्फ, इन्डोर स्टेडियम, खेल मैदानों की विद्युत व्यवस्था तरणताल जैसी सुविधाएं चरणबद्ध रूप से संभागीय और जिला स्तर पर उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ श्रेष्ठ खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों में भर्ती करने के लिए नए नियम बनाए गए हैं।
खेल परियोजनाओं को नया स्वरूप और आकार देने की दृष्टि से ग्रामीण महिला खेलों के साथ प्राचीन परम्परागत देशी खेलों के आयोजन की शुरूआत कर दी गई है, अब प्रतिवर्ष लगने वाले माउण्ट आबू, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, जयपुर के शिविरों में दिग्गज खिलाड़ियों को प्रदेश की प्रतिभाओं को तलाशने, तराशने, प्रोत्साहित करने आमंत्रित किया जाने लगा है। परस्पर सूझबूझ समझौते और समझदारी से भारतीय खेल प्राधिकरण ने राजस्थान में खेलों के आधारभूत ढांचे का नवीनीकरण, नए केन्द्रों की स्थापना एवं अधिकाधिक प्रशिक्षकों की सेवाएं देने का काम शुरू कर दिया है। अब केन्द्रीय शिक्षण संस्थाओं में खेल के अनिवार्य पीरियड की प्रणाली को प्रदेश में लागू करने पर भी शारीरिक शिक्षाविदों द्वारा चिन्तन मनन किया जा रहा है।
जिला खेल प्रशिक्षण केन्द्रों में और प्रशिक्षकों की प्रतिनियुक्ति खेल उपकरण जिम आदि की सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयास चल रहे हैं। सरकार का मानस हर पंचायत समिति, ग्राम पंचायत और गांव, ढाणी, मगरा के मजबूत कद काठी और बुलन्द हौसलों के राजस्थानी नौजवानों को चेम्पियन बनाने का उद्देश्य एवं लक्ष्य है।