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Dust can reduce the effect of nuclear weapons. This has been proved by a woman scientist who came back to science after a hiatus of one year.
Such a break is common among Indian women who prioritise family over their career due to various circumstances, which are usually typical to the gender. The Women Scientist Scheme (WOS A) fellowship of the Department of Science & Technology (DST) provides opportunities to women scientists and technologists who had a break in their career but desired to return to the mainstream.
Dr Meera Chadha from Netaji Subhas Institute of Technology, New Delhi, availed this opportunity not only to return back to mainstream science after a career gap but also to show for the first time, through mathematical modelling, that the deadly effects of nuclear weapons can be partially mitigated or reduced with the help of dust particles.
Her recent study published in the ‘Proceedings of Royal Society A, London’ illustrates the reduction in energy released and damage radius from an intense explosion (nuclear explosion in particular) by introduction of dust particles. She has shown how the blast waves from the explosion decayed in the process.
“During my Ph.D., I studied about shock waves and how dust particles contribute in reducing their strength. I came across a book titled 'Science towards Spirituality', in which Former President, Late Dr. Abdul Kalam, was asked, ‘Can Science create a Cool Bomb that can defuse or deactivate the deadly atom bomb?’ This got me thinking,” Dr. Chadha said, explaining the trigger behind her research.
She utilised her break in career in studying about explosions and the possible effects of dust particles on them. The WOS scheme gave her the flexibility of time and enough resources in terms of equipment and funds to carry out her research and achieve her dream.
[Publications link: https://royalsocietypublishing.org/doi/10.1098/rspa.2020.0105
For more details, Dr. Meera Chadha ([email protected]) can be contacted.]
एक वर्ष के अवकाश के बाद करियर में लौटी महिला वैज्ञानिक ने धूल के कणों में खोजा परमाणु हथियारों का समाधान
धूल परमाणु हथियार के प्रभाव को कम कर सकती है। इस तथ्य को उस महिला वैज्ञानिक ने साबित किया है जो करीब एक वर्ष के अवकाश के बाद विज्ञान की ओर लौटी है।
काम से इस तरह का अवकाश लेना उन भारतीय महिलाओं के लिए सामान्य है जो विभिन्न परिस्थितियों में अपने परिवार को करियर पर तरजीह देती हैं। यह खासतौर से उनके जेंडर के कारण होता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की महिला वैज्ञानिक योजना (डब्ल्यूओएस ए) फैलोशिप ऐसी महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अवसर प्रदान करती है जिन्हें किसी कारण अपने करियर से ब्रेक लेना पड़ा और जो वापस करियर में लौटना चाहती हैं।
नई दिल्ली स्थित नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की डॉ मीरा चड्ढा ने इस अवसर का लाभ उठाया और ना सिर्फ अवकाश के बाद विज्ञान की मुख्यधारा में लौटीं बल्कि पहली बार गणितीय मॉडल के जरिए यह भी साबित करने की कोशिश की कि परमाणु हथियारों के घातक प्रभाव को धूल के कणों की मदद से कम या हल्का किया जा सकता है।
"प्रोसीडिंग्स ऑफ रॉयल सोसाइटी ऐ, लंदन" में हाल में प्रकाशित उनके अध्ययन के अनुसार "किसी गहन विस्फोट (खासकर परमाणु विस्फोट ) से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा और उससे होने वाले विनाश के क्षेत्र (त्रिज्या) को धूल के कणों से कम किया जा सकता है।" उन्होंने दिखाया कि कैसे इस प्रक्रिया में विस्फोट की तीव्रता में कमी आती है।
डॉ चड्ढा ने इस अनुसंधान के लिए मिली प्रेरणा के बारे में बताया , "मेरी पीएचडी के दौरान मैने शॉक वेव्स के बारे में पढ़ा था और यह भी कि कैसे धूल के कण फनकी ताकत को कम कर देते हैं। मैंने एक किताब पढ़ी जिसका शीर्षक था "साइंस टुवर्ड्स स्पिरिचुएलिटी", जिसमें स्वर्गीय डॉ अब्दुल कलाम से पूछा गया था कि क्या विज्ञान कोई ऐसा कूल बम बना सकती है जो घातक एटम बम को निष्फल या खत्म कर सकता हो। इसने मुझे सोचने पर विवश किया।"
उन्होंने अपने करियर से लिए अवकाश के समय का उपयोग यह अध्ययन करने में किया कि विस्फोट कैसे होते हैं और धूल के कणों का उसपर क्या संभावित प्रभाव हो सकता है। डब्ल्यूओएस योजना ने उन्हें वह समय, वित्तीय सहायता और पर्याप्त संसाधन मुहैया कराए जिनसे वह यह अध्ययन कर अपने सपने को पूरा कर सकीं।
[प्रकाशन लिंक: https://royalsocietypublishing.org/doi/10.1098/rspa.2020.0105
अधिक जानकारी के लिए, डॉ. मीरा चड्ढा ([email protected]) से संपर्क किया जा सकता है]