मैं नरेन्द्र महली हूँ। मेरे ऊपर लोहरदगा भाग संच गुमला में अंचल आरोग्य योजना प्रमुख का दायित्व है। इस अंचल में दो प्रगत संच है। जिसमें एक गुमला संच भी प्रगत संच के अंतर्गत आता है। मुझे एनीमिया कार्यक्रम के दौरान प्रत्येक संच (30 विद्यालय गांव) में सर्वे के लिए जाना पड़ा। इस क्रम में जब भी मुझे गुमला संच जाना होता था, हर गांव में किसी न किसी घर में डायरिया के रोगी मिलते ही थे। गांव के लोगों से रोगी के संबंध में पूछने पर उनलोगों ने बताया कि गांव में भूत का साया पड़ा है। जिसके कारण गांव के किसी न किसी घर में डायरिया होता रहता है। गांव के लोगों से पता चला कि गांव में कितनी बार ओझा को बुलाकर झाड़ फूंक कराया गया। फिर भी भूत का साया नहीं जा रहा है। लगता है यह बहुत बड़ा भूत है जो गांव में किसी को नहीं छोड़ेगा। जब मैंने इस बात को सुना, तो आश्चर्यचकित रह गया। इसे बाद मैंने आचार्य और ग्राम प्रमुख से बात करके समिति की एक बैठक रखी। इस बैठक में गांव के काफी लोग उपस्थित हुए। इस बैठक में मैंने ग्राम समिति के समक्ष कहा कि गांव में कोई भूत का साया नहीं पड़ा है। गांव के महिला पुरूष घर के अगल-बगल एवं रास्ते में शौच कर देते हैं तथा शौच के बाद हाथ को साबुन से नहीं धोते हैं। शौच पर बैठी हुई मक्खी खाने-पीने की चीजों पर आकर बैठ जाती है और उन्हें दूषित कर देती हैं। उसी खाने को हम खाते हैं, जिससे कारण हमारे गांव में किसी न किसी को डायरिया होता रहता है। इन बीमारियों को गांव से हटाना है, तो प्रत्येक घर में शौचालय का निर्माण कराना होगा। इस बात को सभी लोग अच्छी तरह से समझ गये। इसके बाद किसी ने बताया कि रात्रि में शौच जाते समय गांव के खेदन उराँव को सांप ने काट लिया और उसकी मौत हो गयी। इसी प्रकार गांव के सुरेश लोहरा और लुटो गांव की मंजु कुमारी को भी सांप ने काट लिया था। बरसात के समय महिलाओं को शौच जाने के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। इस तरह से मैंने चार गांव - टिगरा, टोटो उरांव टोली, बगीचा टोली एवं बुटो में ग्राम समिति की बैठक की और वहां की समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की। इसके बाद चारों गांवों के ग्राम समिति के साथ मिलकर प्रखंड विकास पदाधिकारी के पास गये और उन्हें इसकी जानकारी दी। हमारी बातें सुनने के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा कि इन सब समस्याओं को लेकर स्वच्छता अभियान हमारे देश में चल रहा है। उनसे इस बारे में बात कीजिये तो तुरन्त पहल होगी और आपको तुरन्त सरकार की तरफ से 12000 रू. अनुदान के रूप में प्राप्त होगा। इस तरह से इस वर्ष सरकार की मदद से चारों गांव में कुल 294 शौचालय का निर्माण कराया गया। मैं सोचता हूँ कि इस पवित्र कार्य को आरोग्य फाउंडेशन के माध्यम से करें, तो पूरे अंचल के सभी गांव में शौचालय उपलब्ध हो जाएगा और स्वतः कुछ महामारी जैसी बीमारियाँ कम हो जाएगी।
शौचालय है जहाँ। स्वच्छता है वहाँ।