Read about this unique school started by Father Jefirinus Bakhla in the Dumri block of Gumla district in Jharkhand. In this school students are taught in Kurukh, the local tribal language, till class V. From class VI to Matriculate the students are taught in English. Started in 2000, the school is spread in 42,000 sq ft area.
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किंडर गार्टेन से पांचवीं कक्षा तक कुड़ुख माध्यम से पढ़ाई होती है
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कक्षा छह से मैट्रिक तक पढ़ाई का माध्यम अंगरेजी है
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गुमला के डुमरी प्रखंड में सात जनवरी वर्ष 2000 को स्कूल की शुरुआत की गयी
रांची : फादर जेफीरिनुस बाखला ने गुमला के डुमरी प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र में एक अंग्रेजी-कुड़ुख माध्यम का स्कूल खोला है. यह पूरी दुनिया में अनूठा और अपनी तरह का पहला स्कूल है. यहां से अब तक 12 बैच के विद्यार्थी मैट्रिक की परीक्षा दे चुके हैं. किंडर गार्टेन से पांचवीं कक्षा तक कुड़ुख माध्यम से पढ़ाई होती है.
वहीं कक्षा छह से मैट्रिक तक पढ़ाई का माध्यम अंगरेजी है. कुड़ुख एक विषय के रूप में अपनी लिपि तोलोंग सिकी में ही सिखायी जाती है. उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई शिलांग, मेघालय में अंग्रेजी माध्यम से की. उच्चतर अध्ययन के लिए रोम गये, जहां कई यूरोपीय भाषाओं से उनका सामना हुआ.
जैसे-जैसे उनकी पढ़ाई आगे बढ़ती गयी, वह महसूस करने लगे कि उनकी मातृभाषा भी उनसे दूर होती चली गयी. तब उन्होंने सोचा कि ऐसा नहीं चल सकता है.
पढ़ाई समाप्त कर दो साल बाद उन्होंने अपने जन्मस्थान लौट कर अपनी मातृभाषा के माध्यम का स्कूल खोलने के लिए लोगों को एकजुट करना शुरू दिया. सात जनवरी 2000 को 42,000 वर्गफीट क्षेत्र में इस स्कूल की शुरुआत की. इसका नाम 'कुड़ुख कत्थ खोड़हा लूरडिप्पा' रखा. इसका अर्थ है कुड़ुख समुदाय द्वारा संचालित विद्यालय.
विश्व आदिवासी दिवस पर प्रभात खबर में मनोज लकड़ा द्वारा यह रिपोर्ट छपी है आज. दिया गये लिंक पर और पढ़े...
This special report by Manoj Lakra has been published in Prabhat Khabar today on the occasion of World Tribal Day.