सूरत और नवी मुंबई को क्रमश दूसरा और तीसरा स्थान मिला
छत्तीसगढ़ को 100 यूलएबी श्रेणी में सबसे साफ-सुथरा राज्य घोषित किया गया
झारखंड को 100 से कम यूएलबी श्रेणी के राज्यों में सबसे साफ-सुथरे राज्य का दर्जा दिया गया
केन्द्रीय आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप पुरी ने कहा है कि “स्वच्छ भारत अभियान हमें स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत मिलें लाभों को बनाए रखने में आगे भी मदद करता रहेगा और साथ ही यह सभी शहरों में स्वछता की अवधारणा को संस्थागत बनाने के लिए एक व्यापक रोडमैप भी होगा। जैसा कि शहरों का प्रदर्शन दिखाई दे रहा है यह न हमें केवल 'स्वच्छ' बल्कि 'स्वस्थ,सशक्त, 'सम्पन्न' और समृद्ध तथा आत्मनिर्भर न्यू इंडिया बनाने के मार्ग पर भी आगे ले जाएगा।” उन्होंने इस अवसर पर आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा किए गए वार्षिक स्वच्छता शहरी सर्वेक्षण के पांचवें संस्करण- स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के लिए स्वच्छ महोत्सव के नाम से आयोजित आभासी कार्यक्रम में प्रदानकिए गए।
रिपोर्ट के अनुसार इंदौर ने भारत के सबसे स्वच्छ शहर का प्रतिष्ठित खिताब जीता, सूरत और नवी मुंबई ने क्रमशः (1 लाख जनसंख्या श्रेणी में) दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया। छत्तीसगढ़ ने 100 से अधिक यूएलबी श्रेणी में भारत के सबसे स्वच्छ राज्य का प्रतिष्ठित खिताब जीता, जबकि झारखंड को 100से कम यूएलबी श्रेणी में भारत का सबसे स्वच्छ राज्य घोषित किया गया। इसकेअलावा अतिरिक्त 117 पुरस्कार भी दिए गए। पुरस्कारों का विस्तृत विवरण www.swachhsurvekshan2020.org पर उपलब्ध है। इस कार्यक्रम में मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा,मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों तथा देश भर के गणमान्य व्यक्ति, नगर आयुक्त और स्वच्छ्ता योद्धा शामिल हुए।
पुरी ने इस अवसर पर देश भर में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी से जुड़े घरेलू शौचालयों, के लाभार्थियों तथा सफाईकर्मियों या स्वच्छता कर्मचारियों, कचरा बीनने वाले और स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के साथ संवाद किया। यह आयोजन https://webcast.gov.in/mohua और स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के सोशल मीडिया हैंडल पर लाइव वेबकास्ट किया गया था।
पुरस्कार विजेताओं और उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा “पांच साल से भी पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक सपना देखा था - एक स्वच्छ भारत का सपना। आज, हम इस बात पर गर्व महसूस करते हैं, कि किस तरह से शहरी भारत का प्रत्येक नागरिक उस सपने को साकार करने के लिए एक साथ आया है। पिछले पांच वर्षों में, हमने देखा है कि कैसे इस मिशन ने लोगों के स्वास्थ्य, आजीविका, जीवन की गुणवत्ता और सबसे महत्वपूर्ण बात, उनके विचारों और उनके व्यवहार पर गहरा प्रभाव डाला है ”।
पुरी ने कचरे का अलग अलग निस्तारण, प्लास्टिक का उपयोग न करने और स्वेच्छा योद्धाओं को समुचित सम्मान देने की आदतों को अपनाते हुए स्वचछता योद्धा बनने का आह्वान किया।
उन्होने शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि 2014 में स्वच्छ भारत मिशन- शहरी (एसबीएम-यू) की शुरुआत 100 प्रतिशत ठोस कचरेके प्रबंधन के साथ शहरी भारत को 100 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त बनाने के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने कहा कि ओडीएफ की किसी अवधारणा के बिना शहरी क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण मात्र 18 प्रतिशत पर रहने के कारण माननीय प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत के सपने को पांच साल की समय सीमा के भीतर हासिल किये जाने के लिए एक त्वरित दृष्टिकोण आवश्यक था इसलिए राज्यों और शहरों के बीच स्वच्छता के मामले में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को प्रमुख मापदंडों के आधार पर प्रोत्साहित करना जरुरी हो गया था। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही बड़े पैमाने पर नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए शहरों को अपनी स्वच्छता की स्थिति में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रतिस्पर्धी ढांचा, स्वच्छ सर्वेक्षण (एसएस) की संकल्पना की गई और और बाद में इसे कार्यान्वित किया गया।
एसबीएम-यू के तहत पिछले छह वर्षों में हुई उल्लेखनीय प्रगति के साथ श्री पुरी ने मिशन के अगले चरण के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा, “हमारे प्रयासजारी हैं, शौचालयोंसे मल की सुरक्षित निकासी, परिवहन और निस्तारण तथा घरों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाले अपशिष्ट जल के सुरिक्षत निस्तारण का इंतजाम किया जाएगा इसका अधिकतम संभव पुन उपयोग भी हमारी प्राथमिकता होगी। इसके साथ-साथ, मैं अपने स्वच्छता कर्मचारियों, इस 'क्रांति' में हमारे अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं की सुरक्षा के बारे में भी चिंतित हूँ। इसलिए, सभी स्वच्छता कर्मचारियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा गियर और यंत्रीकृत उपकरणों के प्रावधान पर मिशन के अगले चरण में अधिकतम ध्यान दिया जाएगा।”
इस अवसर पर मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा, “जनवरी 2016 में 73 शहरों की रेटिंग के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण किया गया था, उसके बाद जनवरी-फरवरी 2017 में 434 शहरों की रैंकिंग के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 आयोजित किया गया। स्वच्छ सर्वेक्षण 2018, जो दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण था के बाद 2019 में कराए गए सर्वेक्षण में 4203 शहरों को स्थान दिया गया, जिसने न केवल 4237 शहरों को कवर किया, बल्कि यह 28 दिनों के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया अपनी तरह का पहला डिजिटल सर्वेक्षण भी था। स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 ने इस गति को जारी रखा और कुल 4242 शहरों, 62 छावनी बोर्डों और 97 गंगा शहरों का सर्वेक्षण किया गया जिसमें 1.87 करोड़ नागरिकों की अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई। शहरों के ऑन-ग्राउंड प्रदर्शन की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, एक कदम आगे बढ़ते हुए, मंत्रालय ने पिछले साल स्वच्छ सुरक्षा लीग की शुरुआत की थी, जो तीन चौथाई शहरों और कस्बों में किए गए का एक चौथाई स्वच्छता मूल्यांकन था, जो कि अंतिम स्वच्छ सर्वेक्षण में 25 प्रतिशत एकीकृत वेटेज के साथ था। इसके अलावा, स्वच्छता सुरक्षा ढांचे की गतिशील प्रकृति भी लगातार विकसित हुई है। परिणामों को मापने के लिए सिर्फ एक निगरानी ढांचा होने से, स्वच्छ सर्वेक्षण एसबीएम-शहरी के लिए एक कार्यान्वयन घटक बन गया है, जो स्वछता को संस्थागत करके परिणामों की स्थिरता को सक्षम बनाता है।
मिश्रा ने कहा कि स्वच्छ सर्वेक्षण2020 को बड़े स्तर पर लोगों का समर्थन मिला है। इसमें आवासीय क्षेत्र में रहने वाले 58 हजार से अधिक लोगों तथा औद्योगिक क्षेत्र से 20 हजार से ज्यादा लोगों का सर्वे किया गया। सर्वक्षण में 64000 से अधिक वार्ड को 28 दिनों में कवर किया गया।
र्स्वेक्षण की कुछ प्रमुख बाते इस प्रकार है :
- 1.87 करोड लोगों का फीडबैक मिला
- 1.7करोड़ नागरिकों ने स्वच्छता ऐप पर पंजीकरण कराया
- 11 करोड़ लोगों ने इसपर सोशल मीडिया में प्रतिक्रया दी
- 5.5 लाख स्वच्छता कर्मियों को सामाजिक कल्याण योजनाओं से जोड़ा गया और84,000 कचरा बीनने वालों को मुख्य धारा से जोड़ा गया
- स्थानीय निकायों ने 4 लाखसे ज्यादा अनुबंधित कर्मचारियों को काम पर रखा
- कचरा संभावित 21,000 से अधिक क्षेत्रों की पहचान की गई और उनमें बदलाव किया गया
2014 में अपनी शुरुआत के बाद से, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी ने स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन दोनों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 4,324 शहरी यूएलबी को ओडीएफ घोषित किया गया है, 1,319 शहरों को ओडीएफ+ और 489 शहरों को ओडीएफ ++ को मंत्रालय के स्वच्छता प्रोटोकॉल के अनुसार प्रमाणित किया गया है। यह 66 लाख से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों और 6 लाख से अधिक सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से संभव बनाया गया है, जो मिशन के लक्ष्यों से अधिक है। इसके अतिरिक्त, 2900+ शहरों में 59,900 से अधिक शौचालयों को गूगल मानचित्र पर लाइव किया गया है। ठोस कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में, 96 प्रतिशत वार्डों में डोर-टू-डोर कलेक्शन है, जबकि उत्पन्न कुल कचरे का 66 प्रतिशत पहले के 18 प्रतिशत प्रसंस्करण के 2014 के स्तर के लगभग 4 गुना अधिक है। कुल 6 शहरों (इंदौर, अंबिकापुर, नवी मुंबई, सूरत, राजकोट और मैसूरु) को 5-स्टार शहरों, 86 शहरों को 3-स्टार और 64-शहरों को 1-स्टार के रूप में दर्जा दिया गया है, कचरा निस्तारण के मामले में मंत्रालय स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल के अनुसार कचरा मुक्त शहर घोषित किया गया है।
स्वच्छ शहर सर्वेक्षण 2020 रिपोर्ट जारी किए जाने के साथ इस आयोजन की अन्य प्रमुख बातों में सर्वेक्षण नवाचारों और सर्वोत्तम प्रथाओं, स्वच्छ सर्वेक्षण सोशल मीडिया रिपोर्ट और गंगा के किनारे बसे शहरों की आकलन रिपोर्ट शामिल हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण में साझेदार संगठनों जैसे अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (यूएसएआईडी/इंडिया), बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, गूगल आदि जैसे संगठनों और लोगों को सम्मानित किया, गया जिन्होंने मिशन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पिछले महीने मंत्रालय ने सर्वेक्षण की छठी रिपोर्ट स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 जारी की थी। स्वच्छता मूल्य श्रृंखला की स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में मंत्रालय के प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, इस रिपोर्ट में दिए गए संकेतकों में अपशिष्ट जल के उपचार और पुन: उपयोग के लिए मापदंडों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। इसी तरह, अपशिष्ट प्रबंधन और लैंडफिल के महत्वपूर्ण मुद्दों को सर्वे के छठे संस्करण में सामने लाया गया है। इसके साथ ही, स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में एक नए प्रदर्शन श्रेणी की शुरुआत हुई, इसमें प्रेरक डीएयूयूआर सम्मान जिसमें कुल पांच अतिरिक्त उप-श्रेणियां हैं (प्लेटिनम), अनुपम (स्वर्ण), उज्जवल (रजत), उदित (कांस्य), आरोही (आकांक्षी) शामिल की गई। ’जनसंख्या श्रेणी’ पर शहरों के मूल्यांकन के वर्तमान मानदंडों के अलावा, यह नई श्रेणी छह चुनिंदा संकेतकों के प्रदर्शन मानदंडों के आधार पर शहरों को वर्गीकृत करेगी।
इन वर्षों में, डिजिटल नवाचार हमेशा मिशन को आगे बढ़ाने में सक्षम रहे हैं और स्थानीय स्तर पर लोगों को साथ जोड़कर परिणामों की बेहतर निगरानी कर रहे हैं। यह मंत्रालय द्वारा हाल ही में एकीकृत एमआईएस पोर्टल के शुभारंभ के साथ शुरु किया गया है, जो एक ही मंच पर कई डिजिटल पहल करता है और इस प्रकार राज्यों और शहरों के लिए एक एकीकृत और बाधा मुक्त अनुभव सुनिश्चित करता है और न केवल एक निर्माण की दिशा में आगे बढ़ता है बल्कि स्वच्छ लेकिन वास्तव में डिजिटल भारत की कल्पना को साकार करता है।
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