और एकल विद्यालय फर्स्ट हो गया
मैं फणि कुमारी एकल विद्यालय की छात्रा हूँ। मेरा गांव पणेतरा है। 2011 में हमारे यहां एकल विद्यालय खुला। वहां भीमाराम जी आचार्य थे। हम वंदना करते, हिन्दी-गणित पढ़ते। फिर खेलते और अपने घर आ जाते। घर में माता जी, पिताजी, दो बहनें एवं चार भाई थे। कुल 8 सदस्य थे। भाई-बहनों में मैं सबसे बड़ी थी। पिताजी मजदूरी करते हैं। मां घर पर रहती थीं। उंची पहाड़ी पर मेरा घर था। नीचे कुएं से पानी भरकर ऊपर ले जाना पड़ता था। जानवरों की देखभाल करना, भाई-बहनों को संभालना बहुत काम रहता था। पिताजी को कभी-कभी काम मिलता था। घर में बहुत परेशानी थी।
कभी-कभी हमे भूखे पेट सोना पड़ता था। मैं कुलदेवी आशापूरा तथा भैरों जी रो प्रार्थना करती-आशा मैया हमारे कष्ट दूर कर दो। मैं एकल विद्यालय जाती। खूब मन लगाकर पढ़ती। स्कूल में सबसे आगे रहती थी। मास्टर जी को देखकर लगता, बड़ी होकर मैं भी टीचर बनूंगी। ऐसे ही पढ़ाउंगी। भीमाराव आचार्य जी मेरी पढ़ने में बहुत सहायता करते। गणित, हिन्दी, अंगे्रजी में जहां मेरी समझ नहीं आती, समझा देते थे।
पहले हमलोग पानी ऐसे ही पी लेते थे। हमें एकल विद्यालय में बताया गया। पानी हमेशा छानकर तथा उबालकर पीना चाहिए। उसके बाद हम पानी छानकर पीने लगे। हमें बताया गया भोजन करने से पहले हाथ ठीक से साफ करना चाहिए। फिर अन्न देवता को हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए। हम वैसा ही करते। मैं बड़ी थी, छोटे भाई बहनों को भोजन कराने के बाद भोजन करती।
सन् 2013 में मैंने 8वीं की परीक्षा दी। कुछ दिन बाद स्कूल में रिजल्ट मिलना था। हम सब स्कूल में एक साथ बैठे थे। हमारे हेडमास्टर जी ने मेरा नाम पुकारा और कहा फणि कुमारी हमारे स्कूल में प्रथम आई है। सब बच्चों ने तालियाँ बजायी। मुझे इनाम में लैपटाॅप दिया। मेरे सिर पर हाथ रखा और कहा ऐसे ही पढ़ों और आगे बढ़ो। मुझे भी बड़ी खुशी थी। मैं एकल में पढ़ी थी। मैंने अपने एकल के पूर्व के मित्रों को भी बताया। सरकारी स्कूल में एकल से आये विद्यार्थी एवं बाहर के विद्यार्थी दोनों पढ़ते थे। हमलोगों में प्रतियोगिता भी होती थी। एकल के विद्यार्थियों ने खूब जश्न मनाया। सब ने नारा लगाया - एकल विद्यालय फर्स्ट हो गया। मैं इनाम लेकर घर आयी। बहुत खुश थी। मां ने तथा पिताजी ने मेरी खूब बड़ाई की।
मैं सोच रही थी अगर एकल विद्यालय न होता तो, मेरी जैसी गरीब बच्ची यह सम्मान नहीं पाती। मैं भैरू जी से हाथ जोड़कर विनती करती हूँ कि एकल विद्यालय मेरी जैसी बच्चियों को ऐसे ही आगे बढ़ाता रहे।