Ekal Teacher Joins Chhattisgarh Armed Force

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Dhansay Singh, a teacher of Ekal Vidyalaya, has been successful in joining the Chhattisgarh Armed Force. In the year 2013, Dhansay joined the Ekal Movement and became a teacher in Umeshpur village of Ramanuj Block in Surajpur District of Chhattisgarh.

Dhansay’s dedication to his work as an Ekal teacher soon took him ahead. Only after a few months work as a teacher, he was given a bigger responsibility and he became the head of Sanch’s (group of 30 Ekal Vidyalayas) activity head.

In the year 2016 he was selected for the Chhattisgarh Armed Force. He is working in the Naxal effected area of the state. He fondly remembers his work in Ekal and says that he misses the company of other teachers and volunteers of the movement.

सेना के जवान को एकल बहुत याद आती है

"एकल बहुत याद आता हैं एकल के कार्यकर्ताओं से बातचीत होती रहती है। पूछता रहता हूँ कि एकल अभियान कैसा चल रहा हैएकल अभियान से जो कुछ सीखा हूँवह सब सेना की नौकरी में काम आ रहा है।"

यह अभिव्यक्ति धनसाय सिंह की है। ये छत्तीसगढ़ प्रांत के सूरजपुर जिलान्तर्गत रामानुज प्रखण्ड स्थित उमेशपुर गाँव के रहने वाले हैं। 22 वर्षीय श्री सिंह एकल विद्यालय के आचार्य एवं सेवव्रती कार्यकर्ता रह चुके हैं। संप्रति वे छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में कार्यरत है एकल अभियान से जुड़ा हुआ कार्यकर्ता देशसेवा हेतु सशस्त्र बल में कार्यरत है जो एकल अभियान की सफलता एवं उपलब्धियों को दर्शाता है।

धनसाय सिंह स्वयं बताते हैं कि वर्ष 2013 में एकल विद्यालय के संपर्क में आया। मैं 12वीं तक पढ़ाई किया हूँ। गाँव में एकल विद्यालय चलाने के लिए आचार्य के रूप में मेरा चयन कर लिया गया। कुछ माह आचार्य रहने के बाद एकल अभियान में संच गतिविधि प्रमुख का दायित्व दिया गया। एकल अभियान में कार्य करते-करते वर्ष 2016 में छत्तीसगढ़ आर्मी फोर्स में चयन कर लिया गया। इनकी पहली नियुक्ति 9 अगस्त 2016 को छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की दसवीं बटालियन सूरजपुर सिलफीएवी में हुई। यहाँ पर चार माह प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद दूसरे स्थान 11 बटालियनजानकी चापा में नवम्बर 2016 में भेजे गए संप्रति वही कार्यरत हैं। वे कहते है यहाँ सेना का काम है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। चुनौती पूर्ण काम कर रहे हैं। गरीब लोगों को जो तंग करते हैं उसे मिटाना है। नक्सलियों को पकड़ने के लिए जंगल पहाड़ में भी जाते हैं। डर तो लगता हैकिन्तु साहस एवं हिम्मत के साथ काम करते हैं। अभी तक कोई अनहोनी नहीं हुई है।

News Source
Ekal

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