हिंदी प्रेमी एक बैंक ऐसा भी

Bharat Mahan

विश्व हिंदी दिवस पर लोग संकल्प लेते हैं कि हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा मानते हुए इसका प्रयोग लिखने-पढ़ने और बोल-चाल में भी करेंगे। अभी भी हिंदी भाषा के प्रति लोगों की सोच अलग है। सरकारी दफ्तरों में वैसे तो हिंदी भाषा में कार्य होता है, लेकिन कई ऐसे कार्य हैं जहां हिंदी लिखने से कर्मचारी व अधिकारी परहेज करते हैं। लेकिन जनपद में एक ऐसा बैंक है जहां प्रत्येक कार्य हिंदी में बखूबी किया जा रहा है। इस कार्यालय में बोल-चाल का कोई सानी नहीं है।

वैसे हिंदी भाषा के भविष्य को लेकर भले ही लोग चिंतित हों, लेकिन हाल ही की सर्वे रिपोर्ट से यह साबित हो गया कि पूरी दुनिया में हिंदी भाषा की धाक है। राष्ट्रभाषा को कुछ लोग सबसे मीठी भाषा के रूप में पसंद करते है। कुछ तो कहते हैं हिंदी भाषा इतनी सरल है कि हर कोई आसानी से समझ जाता है। अब इस भाषा के प्रति लोगों की रुझान भी बढ़ रही है। अपने जनपद के अधिकतर सरकारी कार्यालयों में हिंदी के बिना कार्य ही संभव नहीं है।

चिट्ठी से लेकर आदेश-निर्देश तक सबकुछ हिंदी में दिए जाते हैं। यहां तक कि बैंकों में भी हिंदी के प्रयोग का चलन बढ़ रहा है। ऐसा ही बैंक है मार्गदर्शी बैंक (लीड बैंक)। इसके कार्यालय के कर्मियों व अधिकारियों ने पूरी तरह से हिंदी को अपना रखा है। यहां सारे काम हिंदी में किए जाते हैं। हिंदी भाषा के प्रति लोग भले ही चिंतित हों, लेकिन हिंदी भाषा की अलग जगाने वालों की कमी नही है। मार्गदर्शी बैंक के सहायक अधिकारी उपेंद्रनाथ तिवारी कहते हैं कि बैंक में सभी कार्य पूर्णतया हिंदी में होता है। यहां तक कि मुहर व हस्ताक्षर भी हिंदी में ही किया जाता है। कोई हिंदी बोलने से परहेज करता है तो उसको हिंदी भाषा की जानकारी दी जाती है।

उन्होंने बताया कि मुझे हिंदी टाइपिंग में विभाग से 80 रुपये प्रतिमाह वेतन में जोड़कर मिलता था। अंग्रेजी भी जनता हूं लेकिन हिंदी कण-कण में बसी है। हिंदी पत्राचार से मेरी नियुक्ति हुई। अंग्रेजी चिट्ठी को हिंदी में बनाना मेरा मकसद है। बैंक के ही लीड अधिकारी सुधीर कुमार सिंह कहते हैं कि हिंदी से लगाव तो है ही हिंदी में कार्य भी करके सुखद अनुभूति होती है। आसान का आसान और सरलता का कोई सानी नहीं है। हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास भी जारी है। एक निजी बैंक के कर्मचारी आशीष श्रीवास्तव कहते हैं कि हिंदी भाषा से कहीं दुश्वारियां नहीं आती, बस इसके प्रति सोच बदलने की आवश्कता है। मेरी दिनचर्या हिंदी से शुरू होती है। हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हूं।

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Patrika

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