बालिका सशक्तिकरण की एक मिशाल बनी एकल से प्रशिक्षीत कु0 शिल्पा
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कु0 शिल्पा मिश्रा, उम्र 27 वर्ष, मु0-पो0 कराईकेला, प्रखण्ड- बंदगांव, जिला-प0 सिंहभुम, झारखण्ड की रहने वाली युवा बालिका ने एक अद्भुत पहचान बनाई है। वह एक बहुत गरीब परिवार से थी। एकल अभियान ग्रामोत्थान संस्थान केन्द्र ने इसके सपनों को संजोने में बडा योगदान दिया। कु0 शिल्पा मिश्रा ने 2003 में सिलाई का प्रशिक्षण ग्रामोत्थान संस्थान केन्द्र, करंजो में लिया। धीरे-धीरे 2004 में उसने घर में सिलाई का कार्य आरम्भ किया। कु0 शिल्पा को सिलाई मशीन भी निःशुल्क प्राप्त हुई । हैरान करने वाली बात यह है कि उसने पढ़ाई भी छोड दी थी क्योंकि उसके पिता जी का स्वास्थ्य खराब रहता था। जैसे-तैसे परिवार चलता था। सिलाई के माध्यम से उसे धीरे-धीरे 2000 से 3000 के लगभग प्रतिमाह आय हाने लगी, जिससे उसने अपनी पढाई पूरी की और साथ ही परिवार वालों को मदद करती थी। 2010 से ग्रामोत्थान संस्थान केन्द्र में सिलाई प्रशिक्षक के रूप में जिम्मेवारी बखूबी से निभा रही है। उन्होंने 6 वर्षों में 171 महिलाओं/ बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया जिससे आस-पास के 10-12 गांव में 25-30 बालिका सिलाई अपने घरों में कर रही है। उन्हें भी 500-2000 के बीच प्रतिमाह आय हो रही है। मैं स्वयं दो स्थानों में गया जहाँ पाया वास्तव में वो बालिकायें आत्मनिर्भर बन गई है। आश्चर्य की बात तो यह है कि कु0 शिल्पा का इतना हौसला कि ग्रामोत्थान संस्थान केन्द्र, करंजो के माध्यम से 10 सिलाई प्रशिक्षण उपकेन्द्र गाँव-गाँव में जाकर शुरूआत की। चूँकि बालिकाओं को करंजो सिलाई केन्द्र बहुत दुर होने के कारण आने में असुविधा होती थी अपने जैसे 10 बालिकाओं को प्रशिक्षक बनाया। समय-समय पर उन सिलाई उपकेन्द्रों में भी जाती है। इसके साथ-साथ अनमोल बात यह है कि शेष समय घर में सिलाई भी करती है, जिससे प्रतिमाह 5,000 से 6000/- रू0 कमाती है। इन्होंने इतनी बडी जिम्मेवारी निभाई इनके पिता जी चल भी नहीं पाते थे, इस बेटी ने अपनी कमाई करके पिता जी का ऑपरेशन कराया जिसमें 40,000 रू0 लगाई जो सिलाई करके कमाई थी। इस बहादुर बेटी ने इतना ही नहीं, बल्कि अपनी छोटी बहन को निरंतर पढ़ाई में आर्थिक मदद भी करती रही। वर्तमान में उड़िसा के महाविद्यालय से सिविल इंजीनियर की पढ़ाई हेतु दाखिला दिलवाया है। पूरी व्यवस्था की जिम्मेवारी स्वयं ने ली है। इस गांव की बेटी कु0 शिल्पा पर हमें गर्व है। कुबेर सिंह सूर्यवंषी की रिपोर्ट।
Women Empowerment With Ekal Help
27 year old Shilpa Mishra is from village Karaikera in Bandgaon block of West Singhbhum district of Jharkhand. This village girl from a very poor family has made a mark for herself. In 2003 Shilpa took training for stitching at the Ekal Gramothan Centre in Karanjho, not very far from her village. By next year she started implementing what she had learnt at home and started a tailoring unit with the help of one tailoring machine she was given free. She started earning 2 to 3 thousand Rupees a month, with which she completed her studies and also helped the family. From 2010 she started to train others at the Gramothan Centre, from where she had learnt. In these 6 years she has trained 171 females and they all are working from home. In fact the dedication of Shilpa helped her to open 10 to 12 sub-centres of the tailoring training in remote area. In each of these sub-centres 25-30 females participate. Now Shilpa is earning around 5 to 6 thousand Rupees per month. She has even helped her father get a medical operation done which cost her 40 thousand Rupees. With her earning she is helping her younger sister’s education, who is doing civil engineering from a Odisha institute. This report has been filed by Kuber Singh Suryavanshi.
बहुत बहुत बधाई जी और ह्रदय से आभारी रहूँगा ।