मूँज से लिख रहीं ग्राम्य स्वावलंबन की सुंदर पटकथा

Read about this motivational story of how village women use 'munj', a tough grass whose culms are used for ropes and baskets. These women make beautiful products at home, which include bags, bread box, flower pots, purse, night lamp, wall hanging, paper weight, coasters, etc. #Entrepreneur #SkillIndia #BharatMahan This story has been taken from the monthly magazine Panchwa Stambh.  

प्रयागराज, उप्र के कई गाँवों में मूँज उत्पादों का निर्माण कुटीर उद्योग की शक्ल ले चुका है। ग्रामीण महिलाओं द्वारा मूँज से तैयार किए गए सुंदर उपयोगी सामान देश के बड़े शहरों तक पहुँच रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की एक जनपद एक उत्पाद (वन डिस्टिक्ट वन प्रोडक्ट, ओडीओपी) योजना में मूँज शिल्प के शामिल हो जाने से इस विधा से जुड़े परिवारों में नई उम्मीद जग गई है। खास तौर पर महिलाओं के लिए यह अपने पैरों पर खड़े होने का बड़ा जरिया बनने लगा है।

प्रयागराज के नैनी क्षेत्र में मौजूद कई गाँवों में महिलाएँ घर बैठे मूँज के खूबसूरत उत्पाद बना रही हैं। अभी तक उनके उत्पाद की बिक्री स्थानीय बाजार में होती थी। लेकिन अब बड़ा बाजार उपलब्ध होने लगा है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार की कोशिश पर खुलने वाले काॅमन फैसिलिटी सेंटर और शोरूम से उनकी जिंदगी बदल जाएगी।

नैनी क्षेत्र के मड़ौका, पिपरसा, इंदलपुर, डांडी, महेवा पूरब पट्टी और महेवा पश्चिम पट्टी, भडरा समेत कई गाँवों में महिलाएँ मूँज से ब्रेड बाॅक्स से लेकर तरह-तरह के सजावटी सामान तैयार करती हैं। पहले इन्हें अपने सामानों को बेचने के लिए शहर में चैक और कोतवाली का बाजार ही उपलब्ध था। लेकिन जब से मूँज ओडीओपी में शामिल हुआ है, तब से इन्होंने सरकार की कोशिशों के बीच अपने कार्य और हुनर का दायरा बढ़ाया है। पिकनिक बैग के लिए जनवरी 2019 में राज्य पुरस्कार पा चुकी महेवा पूरब पट्टी की फिरोजा बेगम बताती हैं कि बाहरी जिलों के व्यापारी थोक में आॅर्डर देते हैं, जिसमें ज्यादा मुनाफा मिल जाता है। मुरादाबाद के एक कारोबारी ने 90 हजार का आॅर्डर दिया, लेकिन समय के अंदर 50 हजार का ही सामान दे पाए। सबीना, शहाना और तनीजा बताती हैं कि शादी-विवाह और त्योहार के समय महीने की बिक्री 20-25 हजार रुपये तक हो जाती है। मूँज से झोले, टोकरी, ब्रेड बाॅक्स, फ्लावर पाॅट, पर्स, नाइट लैंप, वाॅल हैंगिंग, पेपरवेट, पेन होल्डर, टी-कोस्टर एवं अन्य घरेलू सजावटी सामान तैयार हो रहे हैं।

क्या है एक जनपद एक उत्पाद: यह उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी योजना है। इसका उद्देश्य राज्य की उन विशिष्ट शिल्प कलाओं और उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाना है, जो देश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं। जैसे प्राचीन एवं पौष्टिक कालानमक चावल, दुर्लभ गेहूँ डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों व हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य, जो हाथी दाँत का विकल्प है इत्यादि। इनमें से बहुत से उत्पाद जीआइ टैग (भौगोलिक पहचान पट्टिका धारक) हैं। ये वे उत्पाद हैं, जिनसे स्थान विशेष की पहचान होती है।

प्रयागराज जिले के उद्योग उपायुक्त अजय कुमार चैरसिया ने कहा कि मूँज से बनी सामग्रियों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार शोरूम खोलने पर लोन और उस पर सब्सिडी दे रही है। इस कारोबार से जुड़े लोग खुद शोरूम खोल सकते हैं। इसमें ऐसे लोगों को शोरूम खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो सक्षम हैं। उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के लिए काॅमन फैसिलिटी सेंटर भी नैनी क्षेत्र में जल्द स्थापित होगा। साभार - पांचवां स्तंभ

News Source
Panchwa Stambh

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