'कृषि मेघ', नए भारत की डिजिटल कृषि की दिशा में उठाया गया एक कदम, का शुभारम्भ

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज वर्चुअल माध्यम से केवीसी एल्युनेट (कृषि विश्वविद्यालय छात्र एल्युम्नी नेटवर्क) और उच्च कृषि शिक्षण संस्थानों के लिए ऑनलाइन प्रत्यायन प्रणाली (एचईआई) के साथ ही कृषि मेघ (राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा व्यवस्था- क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं) का शुभारम्भ किया।

केन्द्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत सरकार-विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना को कृषि विद्यालयों के विद्यार्थियों को ज्यादा औचित्यपूर्ण और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से देश में राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए डिजाइन किया गया है, जो देश की नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप है। श्री तोमर ने महत्वपूर्ण अनुसंधान आधारित डाटा डिजिटल रूप में सुरक्षित एवं संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे उस तक देश और दुनिया के किसी भी कोने से पहुंच हासिल की जा सके। उन्होंने कृषि में निजी निवेश को सक्षम बनाने पर भी जोर दिया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि मेघ नए भारत की डिजिटल कृषि की दिशा में उठाया गया एक कदम है, जिसकी कल्पना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई है।

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि 2-3 आईसीएआर संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा वाले अनुसंधान केंद्र के रूप में तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने अनुसंधानकर्ताओं को रियल टाइम आधार पर डाटा उपलब्ध कराए जाने पर भी जोर दिया।

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कृषि मेघ की स्थापना के लिए आईसीएआर की सराहना की, जो आईसीएआर- भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के आईसीएआर डाटा सेंटर को आईसीएआर- राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद के डिजास्टर रिकवरी केन्द्र के साथ एकीकृत करता है। केन्द्रीय मंत्री ने इस पहल को कृषि में एक क्रांति के रूप में संबोधित किया।

सचिव (डेयर) और महानिदेशक (आईसीएआर) डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने 58 विश्वविद्यालयों का उल्लेख किया, जिन्हें आईसीएआर राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियों में सहयोग दिया गया है। महानिदेशक ने लगभग 377 विद्यार्थियों (यूजी, पीजी और पीएचडी) का उल्लेख किया, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण/इंटर्नशिप हासिल की है और उन्हें विभिन्न अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के लगभग 120 संकाय सदस्यों ने प्रशिक्षण दिया है। उन्होंने इंटरनेट तकनीक/ डिजिटलीकरण के अधिकतम उपयोग पर भी जोर दिया। डॉ. महापात्रा ने कृषि मेघ की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डाला, जो छवि विश्लेषण, पशुओं में बीमारी की पहचान आदि के माध्यम से एप्लीकेशन आधारित डीप लर्निंग के विकास और लागू करने के लिए नवीनतम एआई/डीप लर्निंग सॉफ्टवेयर/ टूल किट्स से युक्त हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृषि मेघ किसानों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और नीति निर्माताओं को आईसीएआर संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा डिजिटल माध्यम से कृषि, शोध, शिक्षा एवं विस्तार के संबंध में जारी अद्यतन एवं ताजा जानकारी हासिल करने में सक्षम बनाने के लिए डिजिटल इंडिया में एक नया अध्याय है।

इससे पहले, अपने उद्घाटन भाषण में आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. आर सी अग्रवाल ने कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने केवीसी एल्युनेट के विकास पर प्रकाश डाला, जो कृषि विश्वविद्यालयों के पूर्व छात्रों के लिए सोशल नेटवर्किंग के विचार का परिणाम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे 74 कृषि विश्वविद्यालयों के सभी पूर्व छात्र एक दूसरे से जुड़ने में सक्षम होंगे और इससे विद्यार्थियों को इंटर्नशिप, नियुक्तियों में सहायता मिलेगी, साथ ही उन्हें पूर्व छात्रों का सहयोग भी हासिल होगा।

विश्व बैंक के टास्क टीम लीडर एडवर्ड विलियम ब्रेसन्यान ने आईसीएआर की पहल को परिवर्तनकारी बताते हुए कहा कि इससे कृषि शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव आएगा। आईसीएआर और उसके संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से भागीदारी की।

कृषि मेघ की प्रमुख विशेषताएं

  1. राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा व्यवस्था (एनएआरईएस) की डिजिटल कृषि की सेवाओं और बुनियादी ढांचा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 2012 के दौरान विकसित वर्तमान डाटा सेंटर (आईसीएआर-डीसी) को क्लाउड कम्प्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ मजबूत बनाया जाएगा।
  2. एनएआरईएस- क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेस अपने घटकों आईसीएआर-डीसी और आईसीएआर-कृषि मेघ के साथ ई-ऑफिस, आईसीएआर- ईआरपी, शिक्षा पोर्टल, केवीके पोर्टल और मोबाइल ऐप्स, आईसीएआर संस्थान की वेबसाइट, अकादमी प्रबंधन प्रणाली, एल्युमनी पोर्टल, परास्नातक और स्नातक आदि स्तरों के ई-कोर्सेस जैसे अहम एप्लीकेशन को लागू करने के साथ एनएआरईएस प्रणाली की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मजबूत और गतिशील प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है।
  3. एनएएचईपी के अंतर्गत आईसीएआर डाटा केन्द्र की पहुंच में विस्तार के साथ कृषि विश्वविद्यालय अपनी वेबसाइट और आईटी समाधान चलाने में सक्षम हो जाएंगे।
  4. वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौर में आईटी एप्लीकेशंस की 24x7 उपलब्धता के माध्यम से घर से काम करने के साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साथी वैज्ञानिकों के साथ सहयोग संभव हुआ।
  5. आईसीएआर- आईएएसआरआई, नई दिल्ली के आईसीएआर- डाटा सेंटर के साथ जोड़े गए एनएएआरएम हैदराबाद स्थित आईसीएआर- कृषि मेघ का निर्माण भारत में कृषि के क्षेत्र में जोखिम कम करने, गुणवत्ता बढ़ाने, ई-प्रशासन की उपलब्धता और पहुंच, शोध, विस्तार एवं शिक्षा के लिए किया गया है।
  6. एनएएआरएम हैदराबाद को चुना गया है, क्योंकि आईसीएआर-आईएएसआरआई, नई दिल्ली के आईसीएआर- डाटा सेंटर से संबंधित विभिन्न भूकंपीय क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। हैदराबाद भी इसके लिए उपयुक्त है, क्योंकि निम्न आर्द्रता स्तर जैसी अन्य उपयुक्त पर्यावरण स्थितियों के साथ ही कुशल कार्यबल उपलब्ध हैं। यहां के आर्द्रता स्तर को डाटा सेंटर के पर्यावरण के साथ नियंत्रित किया जा सकता है।
  7. इन नए केन्द्र में छवि विश्लेषण के माध्यम से बीमारी और पेस्ट की पहचान, फलों की परिपक्वता और उनके पकने का पता लगाने, पशुओं आदि में बीमारी की पहचान आदि से जुड़े डीप लर्निंग बेस्ड एप्लीकेशंस के विकास और उपयोग के लिए नवीनतम एआई/ डीप लर्निंग सॉफ्टवेयर/ टूल किट्स मौजूद हैं।
News Source
PIB Release

More from Bharat Mahan