Community Based Malnutrition Management A Success In Rajasthan

Bharat Mahan

समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन का अभिनव कार्यक्रम बना अन्य राज्यों के लिए मिसाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व खाद्य कार्यक्रम, यूनीसेफ एवं संयुक्त राष्ट्र की न्यूट्रीशन पर गठित सिस्टम स्टेंडिग कमेटी की वर्ष 2007 की रिपोर्ट के अनुसार समुदाय आधारित प्रबंधन द्वारा 85 से 90 प्रतिशत तक अति गंभीर कुपोषित बच्चों को समुदाय स्तर पर स्वस्थ किया जा सकता है एवं कुपोषण से होने वाली मौतों में कमी लाई जा सकती है। बच्चों में पोषण युक्त भोजन की अनुपलब्धता से उनके सामान्य शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरूद्ध होता है एवं उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होती है। 

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की प्रेरणा से प्रदेश में चिकित्सा विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संगठन यूनीसेफ, गेन एवं एसीएफ का तकनीकी सहयोग लेकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सफल माने गये समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन का संचालन किया गया। अति कुपोषित बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए प्रारम्भ किया गया  यह सफल अभिनव कार्यक्रम अन्य राज्यों के लिए मिसाल बन चुका है। इस कार्यक्रम के प्रथम चरण में प्रदेश के 10 उच्च प्राथमिकता वाले जिले एवं 3 जनजातीय जिले बारां, बाड़मेर, बांसवाडा, बूंदी, धौलपुर, डूंगरपुर, जैसलमेर, जालोर, करौली, प्रतापगढ, राजसमन्द, सिरोही व उदयपुर के 41 खण्डों में 6 माह से 59 माह के अंतिगंभीर कुपोषित बच्चों का प्रबंधन कर उन्हें अति कुपोषण से मुक्त किया गया है। 

सीमेम कार्यक्रम के तहत लगभग 2.34 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। इन बच्चों में से 12 हजार 654 मध्यम गम्भीर कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र से पूरक पोषाहार हेतु जोड़ा गया। स्क्रीनिंग किये गये बच्चों में से 10 हजार 246 बच्चे अति गम्भीर कुपोषित पाये गये जिसमें से 406 चिकित्सकीय जटिलता वाले बच्चों को उपचार हेतु कुपोषण उपचार केन्द्र भेजा गया। शेष 9640 अति गम्भीर कुपोषित बच्चों को समुदाय आधारित कुपोषण कार्यक्रम के तहत जोड़कर एनर्जी डेंस न्यूट्रीशन सप्लीमेंट्स ‘पोषण अमृत‘ स्वास्थ्यकार्मिकों व परिजनों की निगरानी में खिलाकर 9 हजार 117 कुपोषण मुक्त किया गया है। अब ये बच्चे सामान्य जीवन जी रहे हैं एवं सभी लाभार्थियों का समुचित रिकार्ड साफ्ॅटवेयर में संधारित किया जा रहा है। कुपोषण श्रेणी से मुक्त घोषित इन बच्चों को पुनः इस श्रेणी में आने से रोकने हेतु उन्हें आंगनबाड़ी केन्द्रों से जोड़ा गया है। प्रदेश में 10 बैड्स वाले 40 एवं 6 बैड्स वाले 107 कुल 147 कुपोषण उपचार केन्द्रों में गंभीर कुपोषित बीमार शिशुओं का उपचार किया जा रहा है। 

समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम (सीमेम) के परिणाम प्रेरणादायी रहे हैं एवं इसके कुशल प्रबंधकीय नेतृत्व, प्रभावी कार्ययोजना एवं उत्कृष्ट परिणामों को राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सराहना की गयी। इंटर मिनिस्ट्रीयल टॉस्क फोर्स ऑन मॉलन्यूट्रीशन के चेयरमेन पद्मश्री डॉ. एम. के. भान ने राजस्थान में संचालित किये गये सी-मेम की सफलता को ओलम्पिक का गोल्ड मेडल की संज्ञा दी। सीमेम के दूसरे चरण में 25 हजार बच्चों को कुपोषण मुक्त करना प्रस्तावित प्रदेश में संचालित किये गये समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम के प्रथम चरण की सफलता बाद अब चयनित 62 ब्लॉक के 25 हजार बच्चों को कुपोषण मुक्त करने का कार्य प्रस्तावित किया गया है।  

News Source
DIPR Rajasthan

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