एकल का छात्र डिप्लोमा इंजीनियरिंग का छात्र बना
मैं, शशोधर महतो, झारखण्ड, प्रांत का सिल्ली प्रखण्ड (रांची जिला) का करियाडीह ग्राम का रहनेवाला हूँ। 8-9 वर्ष की आयु में ही एकल विद्यालय के माध्यम से मुझे पढ़ाई में जागृति उत्पन्न हो गई। मैंने 2001 में प्रथम क्लास में मध्य विद्यालय कारेयाडीह में नामांकन करवाया, वर्ष 2003 में जब एकल विद्यालय मेरे गांव में खुला, तो मैं नियमित रूप से एकल विद्यालय में भी पढ़ाई करने लगा। यहां शिक्षण की जो तकनीकी थी, वह मध्य विद्यालय में नहीं थी। यहां शिक्षा ज्ञान आधारित थी, अंक आधारित नहीं एवं बहुत से अन्य क्रिया कलाप होते थे जिससे यहां काफी मन लगता था। यहां से काफी संस्कार मिले। राजकीय मध्य विद्यालय में भी मुझे एकल विद्यालय की ही पढ़ाई ही काम आई। एकल की पढ़ाई से जवाहर नवोदय विद्यालय मेसरा रांची में नामांकन हेतु चयन हुआ। वर्ष 2011 में मैं मैट्रिक की परीक्षा में 9.8 C.G.P.A. अंक प्राप्त कर प्रथम श्रेणी से उतीर्ण किया। वर्ष 2013 में आरोग्य भवन रांची स्थित विकास भारती से कम्प्यूटर में DCA और DTP प्रशिक्षण प्राप्त किया। मैं एक अच्छा चित्रकार भी हूँ और कविताएँ भी लिखता हूँ।
वर्तमान में मैं राजकीय पोलिटेकनिक संस्थान, रांची में जुलाई 2014 से मेकेनिकल विभाग में डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहा हूँ। ऐसा मैं अकेला नहीं हूँ, बल्कि मेरे गांव में चलनेवाले एकल विद्यालय से पढ़कर मीरा कुमारी, पांच परगना किसान काॅलेज बुण्डू में स्नातक, द्वितीय वर्ष की छात्रा है। गुड़िया कुमारी एवं रानी कुमारी स्नातक की छात्रा है। मीरा कुमारी टाटीसिल्वे स्थित सरला बिड़ला नामक संस्थान से नर्स की ट्रेनिंग ले रही हैं। मीरा कुमारी की माता जी एकल विद्यालय आरोग्य समिति की सदस्या हैंैं। श्री प्यारे लाल महतो वर्ष 2009 में 78 प्रतिशत अंक प्राप्त कर रांची विश्वविद्यालय से स्नातक का छात्र है। प्यारेलाल महतो के पिताजी श्री शिवनाथ महतो एकल अभियान संस्कार शिक्षा के सेवाव्रती कार्यकर्ता है।
मेरे पिता श्री घासीराम महतो एकल विद्यालय के सम्पर्क में आने से ही जैविक खाद का उत्पादन करने लगे। अमृत जल, कीट-नियंत्रक बनाने लगे। खेती के समय मैं अपने गांव जाता हूँ एवं खेती में पिताजी का सहयोग करता हूँ। मैं अपने खेत में धान एवं दाल के उपज के अलावा साग-सब्जी फल आदि का उत्पादन करता हूँ। अमरूद हो या टमाटर, नेनुआ हो या कटहल, तरबूज हो या भिण्डी आदि की खेती से प्रतिवर्ष 60-70 हजार रू. की आमदनी कर लेता हूँ। एकल का ही संस्कार है कि मैं आज पोलीटेकनिक की पढ़ाई करते हुए भी घर में कृषि का कार्य कर पाता हूँ। मैं अपनी मेकेनिकल डिप्लोमा की पढ़ाई का उपयोग ग्रामीण कृषि तकनीकि एवं कारीगरी के विकास में करूँगा एवं अपने गांव में कोई भी तकनीकी समस्या नहीं होने दूंगा।
यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि चि. शशोधर महतो एक साधारण गांव का एकल विद्यालय का छात्र राजकीय पोलिटेकनिक संस्थान, रांची में मेकेनिकल विभाग में डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहा है।
ऐसे होनहार लड़कों को जब उनकी पढ़ाई पूरी हो जाये, तब उसे हम लोगों के उद्योग समूह में सेवा करने का अवसर देना चाहिए।
मंगलकामनाओं सहित।
-रामेश्वरलाल काबरा